‘हमारे स्कूटर में पेट्रोल खत्म हो गया था। इतने में राजू पाल भैया ने देखा और गाड़ी रोक ली, कहा- भाभी, हमारी गाड़ी में बैठ जाओ। वे मेरे पति के दोस्त थे। मैं गाड़ी में आगे की सीट पर बैठी थी, राजू भाई खुद गाड़ी चला रहे थे। थोड़ा आगे गए ही थे कि सामने से गोलियां चलने लगीं। राजू भैया को कई गोलियां लगीं, कार में पीछे बैठे लोगों को भी गोली लगीं। मैं चिल्ला रही थी, तभी एक के बाद एक दो गोलियां मुझे भी आ लगीं। उसके बाद क्या हुआ, याद नहीं, अस्पताल में आंख खुली।’
ये बातें रुखसाना की हैं। इनके पति हैं सादिक। दोनों 18 साल से UP के राजू पाल हत्याकांड में बाहुबली अतीक अहमद के खिलाफ गवाह हैं। 25 जनवरी 2005 को इलाहाबाद वेस्ट सीट से BSP के MLA राजू पाल की हत्या कर दी गई थी। रुखसाना ने राजू पाल को मरते, सबसे करीब से देखा था। वे इस हत्याकांड की चश्मदीद गवाह हैं। हत्या का आरोप अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ समेत कुल 9 लोगों पर है। मामला लखनऊ की CBI कोर्ट में चल रहा है।
रुखसाना और सादिक ने अतीक के खिलाफ गवाही दी, तो गैंग दुश्मन बन गया। कई दफा धमकियां मिलीं, हमले हुए, घर बेचने पड़े, डरकर जिंदगी जी रहे, पर पीछे नहीं हटे। आज भी हर तारीख पर अतीक के खिलाफ गवाही देने जाते हैं। इस मामले के दो और गवाह ओमप्रकाश और उमेश पाल थे। इस साल 24 फरवरी को उमेश पाल की हत्या कर दी गई। बचे ओमप्रकाश।
मैं रुखसाना, सादिक और ओमप्रकाश के घर पहुंचा। तीनों ने सारी बातें कीं, बस घर का पता नहीं बताने को कहा। बोले- 'पता नहीं कब कौन आ जाए।'
जगह: प्रयागराज का करेला बाग
रुखसाना और सादिक का घर
18 साल बीते, पर सदमे से उबर नहीं पाईं रुखसाना
मोहम्मद सादिक और रुखसाना को ढूंढना बेहद मुश्किल है। काफी पता करने पर सादिक का नंबर मिला। सादिक से बात हुई, तो उन्होंने कहा- ‘हमें हाइलाइट मत कीजिए। जब उमेश पाल जैसा रुतबे वाला आदमी नहीं बच सका, तो हम लोगों के पास तो कोई सिक्योरिटी भी नहीं है। हम कैसे बचेंगे?’
मैंने सुरक्षा का भरोसा दिया तो वे आमने-सामने बातचीत के लिए तैयार हुए। उन्होंने मुझे करेला बाग इलाके में मिलने बुलाया। प्रयागराज के सिविल लाइन एरिया से ये जगह करीब 7 किमी दूर है। मैं करेला बाग पहुंचा, तो तय जगह पर मोहम्मद सादिक मिल गए।
गलियों से होते हुए वे मुझे अपने घर तक ले गए। (सुरक्षा की वजह से हम घर की लोकेशन नहीं बता रहे हैं) इस घर में मोहम्मद सादिक पत्नी रुखसाना और बेटे के साथ रहते हैं। मैं केस के बारे में सवाल करता हूं तो सादिक कहते हैं, ‘यहां भी हम लोग सेफ नहीं हैं। यहां भी हम पर हमले हो चुके हैं।'
सादिक से बात हो ही रही थी कि अंदर से रुखसाना आ गईं। मैंने उनसे पूछा, उस दिन क्या हुआ था? वे कहने लगीं, ‘ये 25 जनवरी की बात है। मैं पति के साथ मेरी बहन के घर जा रही थी। चौफटका पुल पार करते ही इनके स्कूटर में पेट्रोल खत्म हो गया, राजू पाल भैया ने मुझे गाड़ी में बैठा लिया था। पति पेट्रोल डलवाने चले गए। गाड़ी कर्बला की ओर बढ़ रही थी। थोड़ी दूर ही गए होंगे कि हमला हो गया। राजू पाल को कई गोलियां लगीं। उनकी वहीं मौत हो गई।’
बोलते-बोलते रुखसाना रुक जाती हैं। फिर खुद को संभालकर कहती हैं, ‘18 साल हो गए, लेकिन एक भी दिन सुकून से नहीं बिता पाई। पति, बेटे सब दिनभर बाहर ही रहते हैं। मन में डर रहता है कि कुछ हो न जाए। कुछ दिन पहले ही हम लोग बाहर बैठे थे। तभी अतीक के गुर्गे आए और हथियार दिखाकर धमकाने लगे। कहने लगे कि गवाही देने नहीं जाना। मेरे बेटे ने हवाई फायर किया, तब वे लोग भाग गए।’
‘मेरा एक बेटा बाहर नौकरी करता है। बड़ा बेटा यहीं है। पति खेती करते हैं। इस तरह हम लोगों का घर चलता है, लेकिन हम लोग सुकून से नहीं रह पाते। मेरे पति से राजू पाल की दोस्ती थी। उसी दोस्ती की खातिर जिंदगी भर का डर हमने ले रखा है। पति से कहो, तो कहते हैं कि अब इतना आगे आ गए हैं, पीछे नहीं जाएंगे।’
रुखसाना बताती हैं, ‘अतीक और अशरफ जेल से ही साजिशें करते हैं। हमें परेशान करने के लिए मेरे पति और मायके वालों के खिलाफ मुकदमे लिखवा दिए। उसकी सुनवाई ही नहीं हो रही है। पुलिस भी जानती है कि ये मुकदमे गलत हैं। फिर भी कोई राहत नहीं है। कमाई का एक हिस्सा तो इन्हीं मामलों में चला जाता है।’
अतीक का खौफ इतना, दो मकान बेचने पड़े
रुखसाना की बात खत्म होते ही उनके पति मोहम्मद सादिक बोलने लगते हैं। बताते हैं, ‘राजू पाल हमारा दोस्त था। हम सभी ने मिलकर उसे चुनाव लड़वाया था। 25 जनवरी 2005 को मेरी पत्नी राजू पाल के साथ गाड़ी में थी। स्कूटर में पेट्रोल डलवाकर मैं भी उसी रास्ते पर उनके पीछे चल दिया। थोड़ी दूर पहुंचा तो देखा वहां लोग भाग रहे हैं। एक गाड़ी डिवाइडर से भिड़ी हुई थी। राजू पाल की गाड़ी एक दुकान के सामने खड़ी थी। वहां राजू पाल नहीं था।’
‘मैंने रुखसाना को देखा, उसकी आंखें बंद थीं। मैंने एक टेम्पो रोका और उसे हॉस्पिटल ले गया। राजू के बारे में कोई नहीं बता रहा था। लोग बात तो कर रहे थे कि बचना मुश्किल है, लेकिन पता कुछ नहीं था। आखिर में वही हुआ, जिसका अंदेशा था। राजू पाल को नहीं बचा पाए।’
‘मेरी फिक्र पत्नी को लेकर भी थी। वह दो महीने हॉस्पिटल में रही। लाखों रुपए खर्च हो गए। किसी तरह से जान बची। इसके बाद केस शुरू हुआ, तो रुखसाना चश्मदीद गवाह बनी। मैं भी केस में गवाह बना। हमारे साथ-साथ उमेश पाल और कई और लोग भी गवाह बने। रुखसाना की गवाही सबसे ज्यादा जरूरी रही। अतीक इसीलिए हमारे परिवार के पीछे पड़ा रहता है। इस केस में हम उसके लिए सबसे बड़ा रोड़ा रहे हैं।’
मोहम्मद सादिक कहते हैं, ‘18 साल में हमारे परिवार ने जो झेला, शायद इस केस से जुड़े किसी शख्स ने नहीं झेला हो। कर्बला में हमारे दो मकान थे। केस शुरू हुआ तो अतीक ने हमें अलग-अलग तरीके से परेशान करना शुरू कर दिया। केस पर बहुत खर्च होने लगा। इस इलाके में डर भी लगने लगा था। हम मकान बेचकर वहां से थोड़ा दूर रहने लगे।'
'हम खेती-किसानी वाले लोग हैं, राजनीति से दूर रहते थे, पर अब हम फंस चुके थे। अगर गवाही न देते तो दोस्त से गद्दारी होती और गवाही देते हैं तो जान खतरे में डालते। हमने दूसरा रास्ता चुना, लेकिन इसकी कीमत भी चुका रहे हैं।’
‘18 साल में अतीक ने मुझे हिस्ट्रीशीटर बनवा दिया’
सादिक बताते हैं, ‘अतीक की पकड़ प्रयागराज के एडमिनिस्ट्रेशन में अंदर तक है। उसने हमें डराने के लिए मुझ पर 18 साल में 10 से ज्यादा केस करवा दिए। इसमें गुंडा एक्ट और हत्या तक का मुकदमा शामिल है। पुलिसवाले भी जानते हैं कि सभी मुकदमे फर्जी हैं। हत्या का मुकदमा जिसने लिखाया, उसने हमसे कहा भी कि अतीक का प्रेशर है। आप गवाही मत दो, तो मैं आज लिखकर दे दूं।’
‘उस मामले में अतीक का गुर्गा मुबारक लगा हुआ है। मुबारक भी हिस्ट्रीशीटर है। मेरी जिंदगी तो गुजर बसर हो गई, लेकिन मेरे बच्चे हैं, उनके परिवार हैं। अब उनकी चिंता लगी रहती है। हत्या के मामले में मैं, मेरे बेटे और मेरे ससुराल वालों पर मामला दर्ज है। मुझे इसी की चिंता होती है।’
सादिक आगे कहते हैं, ‘अतीक का कितना खौफ है, वह कितना बड़ा माफिया है, यह पूरा प्रदेश जानता है। वह गवाहों को डराता है। झूठे केस कराता है। अगर उसकी शरण में चले गए, तो फिर कार्रवाई बंद हो जाती है। जो बात नहीं मानता, उसका हाल उमेश पाल या राजू पाल की तरह होता है।’
मैंने सादिक से पूछा कि अतीक को वापस प्रयागराज लाया जा रहा है, इस पर क्या सोचते हैं? सादिक ने कहा- 'इससे लोगों में डर है, पर मैं न डरा हूं, न सहमा हूं। मौत और जिंदगी अल्लाह के हाथ में है। मैं चाहता हूं अतीक को हाई सिक्योरिटी में रखा जाए। उसकी सुरक्षा में लगे पुलिसवाले ही उसके मददगार बन जाते हैं। सरकार ध्यान रखे कि ऐसा न हो।'
मैं जब रुखसाना और सादिक से मिला, तब तक उन्हें पुलिस प्रोटेक्शन नहीं मिली थी। 21 मार्च को दोनों की सुरक्षा के लिए एक-एक गनर तैनात किया गया है। रुखसाना और सादिक अतीक के खौफ से परेशान जरूर हैं, लेकिन उनके चेहरे पर अब डर नहीं दिखता। उनसे बात कर मैं कौशांबी के लिए निकल पड़ा। वहां मेरी मुलाकात ओमप्रकाश पाल से होनी थी।
जगह: कौशांबी का चकपिन्हा गांव
राजू पाल के ड्राइवर रहे ओमप्रकाश पाल का घर
‘पुलिस गवाही के नाम पर ले गई और अतीक के सामने खड़ा कर दिया’
सादिक के घर से करीब 50 किमी दूर राजू पाल मर्डर केस के एक और गवाह ओमप्रकाश पाल का घर है। वे कौशांबी के सराय अकील थाने में आने वाले चकपिन्हा गांव में रहते हैं। घर के सामने ही मेरी मुलाकात ओम प्रकाश पाल से हुई। ओम प्रकाश राजू पाल के दूर के रिश्तेदार लगते हैं। वे ड्राइवरी का काम करते हैं।
ओमप्रकाश को राजू पाल के साथ बिताया हर दिन याद है। वे कहते हैं, ‘राजू पाल चुनाव लड़ रहे थे। उन्होंने मुझे बुलाया था। पूरे इलेक्शन में मैंने उनकी गाड़ियां चलाईं। इलेक्शन खत्म होने के बाद मैं वापस आने लगा, तो बोले कि वहां जाकर भी ड्राइवरी करनी है। वही काम यहां भी करना है, तो यहीं करो। मुझे कुछ अपने लोगों की जरूरत है। उनके कहने पर मैं रुक गया।’
‘25 जनवरी को मैं राजू पाल के साथ था। उनकी गाड़ी आगे थी, मैं पीछे वाली गाड़ी चला रहा था। हमला हुआ, तो मुझे भी गोली लगी थी। ऊपर वाले का शुक्र था कि मैं बच गया। इसके बाद केस चलने लगा। कई साल हो गए, अतीक के खौफ की वजह से केस आगे ही नहीं बढ़ रहा था।’
‘राजू पाल के मर्डर के बाद मैं गांव लौट आया। परिवार का खर्च चलाने के लिए बस चलाने लगा। एक बार मैं काम से रामबाग गया था। तब सपा की सरकार थी। मुझे पुलिसवालों ने पकड़ लिया। मुझसे बोला गया कि आपका बयान होना है। मैं भी उनके साथ चल दिया।'
'पुलिस वाले मुझे प्रयागराज के चकिया वाले दफ्तर पर अतीक के सामने ले गए। वहां अतीक मौजूद था। पुलिस वालों के सामने ही मुझे मारा-पीटा गया। अतीक ने कहा कि मेरे पक्ष में बयान दे दो और आराम की जिंदगी जियो। इसके बाद मैं क्या करता? मैंने अतीक के पक्ष में गवाही दे दी। इसके बाद मुझे हिदायत दी गई कि किसी को बताया तो जान से जाओगे।’
‘वहां से निकलकर मैं पहले अपने घर पहुंचा। फिर मन नहीं माना तो राजू पाल की पत्नी पूजा पाल को यह बात बताई। पूजा पाल की मदद से कीडगंज थाने में केस दर्ज कराया। उस मुकदमे में कोई कार्रवाई नहीं हुई। बाद में राजू पाल का केस CBI को ट्रांसफर हुआ, तो मेरा बयान दर्ज किया गया। तब मैंने सही बयान दर्ज कराया।’
एक बार हमला हो चुका, बीवी-बच्चों का डर रहता है
ओमप्रकाश पाल कहते हैं, ‘मैं शुरुआत से दिहाड़ी पर काम करने वाला आदमी हूं। आज भी वही करता हूं। उमेश पाल की हत्या हुई है, तब से घर में ही हूं, कहीं नहीं जाता। 2019 में गांव में ही मेरे ऊपर हमला हुआ था। ये हमला अतीक के शूटर अब्दुल कवि ने किया था।
'मैं खेत से लौट रहा था, तभी अब्दुल अपने आदमियों के साथ आया। मैंने उसे अशरफ के साथ देखा था। वह मुझ पर गवाही नहीं देने के लिए दबाव बनाने लगा। बातचीत के दौरान ही उसने गोली चला दी। मैं भाग कर एक गड्ढे में कूद गया। गोली की आवाज सुनकर गांव वाले आने लगे, तो वह भाग गया। इसका मुकदमा भी थाने में दर्ज कराया गया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब अपने परिवार के लिए डर रहा हूं।’
अतीक अहमद ने 2018 में उमेश पाल को मारने की धमकी दी थी। उसने कहा था कि 'उमेश पाल को मारूंगा, तो 15 दिन तक टीवी पर चलेगा। चार साल बाद उमेश की हत्या की खबरें टीवी पर चलीं, लेकिन अतीक के करीबियों के घर पर बुलडोजर भी चला। पढ़िए ये रिपोर्ट...
अतीक के घर बने मलबे का ढेर, करीबियों के घरों पर भी बुलडोजर चला
22 नवंबर 2018 का दिन था। UP के बाहुबली अतीक अहमद ने जमीन के झगड़े में अपने ही गुर्गे रहे जैद को पिटवाया। उसे शक था कि जैद, उमेश पाल के उकसावे के बाद उस जमीन को हड़प रहा था, जिस पर अतीक की नजर थी। इसी दौरान अतीक ने कहा था- ‘जिस दिन उमेश पाल को मरवाऊंगा, टीवी पर 15 दिन यही चलेगा।’
24 फरवरी 2023 को 4 साल 4 महीने बाद, ये सच साबित हुआ। उमेश पाल का मर्डर हुआ और आरोप अतीक पर लगा। हालांकि, अतीक ने जो कहा था, वो पूरा सच नहीं था, मर्डर के वीडियो के साथ-साथ टीवी पर बुलडोजर भी चलता नजर आ रहा है। उमेश पाल मर्डर केस में 20 मार्च को भी अतीक के गुर्गे गुलाम मोहम्मद के घर और दुकान पर बुलडोजर चला। अतीक का पूरा गैंग और परिवार इस बुलडोजर की चपेट में है।
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अतीक को अहमदाबाद की जेल से यूपी लाया गया, 28 मार्च को कोर्ट में पेश होगा
गैंगस्टर अतीक अहमद को UP पुलिस गुजरात के अहमदाबाद से ले आई है। पुलिस अतीक को रविवार शाम को 6 बजे साबरमती जेल से लेकर निकली थी। अतीक को प्रयागराज के MP-MLA स्पेशल कोर्ट में 28 मार्च को पेश किया जाएगा। लगातार 850 किमी चलने के बाद पुलिस की टीम झांसी में आराम के लिए रुकी। अतीक को रिजर्व पुलिस के पुलिस लाइन में रखा गया।
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