UP सरकार ने 10 मार्च 2023 को एक आदेश जारी किया। इसमें लिखा था कि 22 से 30 मार्च तक हर जिले में नवरात्रि और रामनवमी पर सांस्कृतिक कार्यक्रम कराए जाएं। इसके लिए सभी जिलों को एक-एक लाख रुपए दिए गए। UP में 75 जिले हैं, यानी इन आयोजनों पर कुल 75 लाख रुपए खर्च किए जा रहे हैं।
विपक्ष ने इस फैसले का विरोध किया और पूछा कि रमजान भी तो है, उसके लिए फंड क्यों नहीं दिया। ये विरोध सिर्फ सियासी है, या जमीन पर भी इसका असर है, ये देखने मैं तीन जिलों संभल, सहारनपुर और गाजीपुर पहुंचा। ये तीनों जिले चुनने की वजह इनकी आबादी का रेश्यो है। संभल में मुस्लिम आबादी 32% और सहारनपुर में 42% है। वहीं, गाजीपुर में 90% आबादी हिंदुओं की है।
यहां के लोग इस फैसले पर क्या सोचते हैं, जानने से पहले पढ़िए ये शासनादेश..
जिला- संभल, जगह- हल्लू सराय
‘पहले हिंदू ‘राम’ कहने में संकोच करता था, अब डर नहीं रहा’
विपक्ष भले ही मुस्लिमों के साथ भेदभाव के आरोप लगा रहा है, लेकिन आम मुसलमान इस फैसले पर क्या सोच रहा है, ये जानने के लिए मैं सबसे पहले संभल पहुंचा। संभल में 32% मुस्लिम आबादी है, जबकि सहारनपुर के देवबंद को सुन्नी मुस्लिमों के लिए काफी अहम माना जाता है। लखनऊ से संभल की दूरी लगभग 420 किमी है। नवरात्रि के 5वें दिन हम यहां पहुंचे। इस जिले में सरकार ने 15 मंदिरों को सरकारी आयोजन के लिए चुना है। इन्हीं में एक लाख रुपए का बंटवारा होगा।
इनमें से एक संभल सदर विधानसभा के हल्लू सराय के चामुंडा देवी का मंदिर है। मैं उस तरफ चल दिया, नाला मोड़ से होते हुए लगभग 150 मीटर दूर से ही मंदिर का गुंबद दिखने लगता है। मंदिर में नवरात्रि का मेला भी लगा है। मंदिर के मेन गेट से दाहिनी ओर लगभग 300 मीटर दूर बाजार भी है। मंदिर में घुसते ही कुछ महिलाएं ढोलक की थाप पर भजन गा रही थीं।
मेरी मुलाकात चामुंडा मंदिर के महंत मुरली सिंह से हुई। मुरली सिंह ने बताया, चामुंडा देवी मंदिर करीब 850 साल पुराना है। संभल राजा पृथ्वीराज चौहान की राजधानी हुआ करती थी। उन्हें यहां जंगल में चामुंडा देवी की मूर्ति मिली थी। उसी के बाद पृथ्वीराज चौहान ने ये मंदिर बनवाया था। यहां हमेशा अखंड ज्योति जला करती है।’
रामनवमी पर खास क्या होता है, इस सवाल पर मुरली सिंह कहते हैं, ‘हर नवरात्रि पर भक्तों के सहयोग से मंदिर पर मेला और पूजा की व्यवस्था होती है। इस बार सरकार की तरफ से मंदिर में जागरण हुआ है। अष्टमी और नवमी को रामचरितमानस का पाठ होना है।’
इसके बाद मेरी मुलाकात मंदिर के प्रबंधक ओम प्रकाश सिंह से हुई। उन्होंने कहा, ‘संभल कल्कि भगवान की धरती है। इस धरती पर योगी जी और मोदी जी के सहयोग से मंदिरों को एक लाख रुपए दिए गए हैं। ऐसा रामराज्य हमेशा रहे।’
आरती में शामिल बृजेश कुमार गुप्ता पेशे से व्यापारी हैं। वो भी काफी खुश हैं, कहते हैं, ‘नवरात्रि में मंदिरों में सरकारी स्तर पर आयोजन कराने का फैसला बहुत अच्छा है। भविष्य में ऐसी सरकार आना मुश्किल होगा। इन्होंने हिंदुओं को जागृत किया है। पहले जितनी भी सरकारें थीं, हिंदू दबाव में रहते थे। आज हिंदू राम-राम कहते हुए संकोच नहीं करता, पहले बहुत संकोच करता था। आज हिंदू सिर झुकाकर नहीं चल रहा है। संभल जैसे मुस्लिम बहुल क्षेत्र में शान से सिर उठाकर चल रहा है। पहले तो हम लोग अपनी बात तक नहीं कह सकते थे।’
एक श्रद्धालु अभिषेक चतुर्वेदी कहते हैं, ‘मंदिरों के लिए योगी सरकार ने ये अच्छी पहल की है। संभल के सभी लोग खुश हैं। ऐसी व्यवस्था पहले कभी नहीं हुई।’
हुल्ला सराय के मुस्लिम बोले- हम कैसे मानें, ये हमारी सरकार
मंदिर के पास ही मुझे संभल के शाही जामा मस्जिद के वाइस प्रेसिडेंट अशरफ जमाल मिल गए। वो कहते हैं, ‘सरकार जनता की होती है। UP की आबादी 22 करोड़ है। इनमें हिंदू-मुसलमान सभी हैं। सरकार की योजना सभी के लिए होती है। सरकार भेदभाव के साथ योजना लागू कर रही है। यह गलत है।’
अशरफ के साथ ही रशीद अनवर भी खड़े थे। वे संभल में पैथालॉजी लैब चलाते हैं। रशीद कहते हैं, ‘इस सरकार में एक वर्ग की बात सुनी जा रही है। 2024 में लोकसभा चुनाव है। उसी को ध्यान में रखकर हिंदू-मुस्लिम किया जा रहा है। हम यह नहीं कह रहे हैं कि आप नवरात्रि में पैसा मत दीजिए, लेकिन इस सरकार में हमारे साथ भेदभाव हो रहा है। नवरात्रि में गोश्त पर पाबंदी लगाने की बात हो रही थी, लेकिन हमारे भी रमजान हैं, तो हम क्या खाएंगे?’
कुछ आगे बढ़ा तो मेरी मुलाकात सैयद हुसैन अफसर से हुई। टीचर की नौकरी से रिटायर हुए हैं। कहते हैं, ‘मैं तो इस उम्र में ये सोचने पर मजबूर हूं कि क्या ये जम्हूरियत (डेमोक्रेसी) है। मुख्यमंत्री एक पक्ष को अपना समझ रहे हैं, लेकिन हम भी उनके हैं। इस सरकार में बस एक फायदा हुआ है कि अब दंगे नहीं हो रहे, लेकिन दूसरी तरफ हमसे भेदभाव किया जा रहा है। मॉब लिंचिंग हो रही है।’
इलाके में टायर की दुकान चला रहे जिया अशरफ कहते हैं, ‘सरकार मजहब की बजाय तालीम पर फोकस करे। स्कूलों की फीस इतनी महंगी है कि बच्चों को पढ़ाना मुश्किल है। सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए।’ यहां लोगों से बातचीत में ये साफ था कि इलाके के हिंदू इस फैसले से खुश हैं, लेकिन मुसलमान रमजान के लिए कुछ ऐलान न होने से नाराज हैं।
हैदर बोले- सरकार किसी को कुछ भी दे सकती है, इसमें भेदभाव नहीं
हल्लू सराय के बाद मैं संभल के ही सिरसी के लिए निकला। यहां भी एक मंदिर है, जिसे फंड दिया गया है। शहर से करीब 10 किमी दूर सिरसी के चौधरियान मोहल्ले में ही देवी का मंदिर है। मंदिर के आसपास मुस्लिमों के घर हैं। सिरसी में करीब 92% मुस्लिम आबादी है, लेकिन मंदिर में जोर-शोर से भजन गाए जा रहे हैं और पूजा हो रही है।
मंदिर के बगल में 100 मीटर में लगे बिजली के तीन खंभों पर दो-दो लाउडस्पीकर लगे हैं। इन पर फुल वॉल्यूम में भजन बज रहे हैं। लोग मंदिर के सामने चटाई पर ढोल मंजीरा और हारमोनियम के साथ भजन गाने में मगन हैं।
भक्त भजन गाने में मगन थे, तो मैं मंदिर के आस-पास रह रहे मुस्लिमों से बात करने लगा। मंदिर के बगल में ही वसीम हैदर मिले। उन्होंने रोजा रखा हुआ था और मस्जिद की तरफ जा रहे थे। मंदिरों में लाउडस्पीकर बजने और मस्जिदों से उतारे जाने के सवाल पर कहते हैं, ‘मस्जिदों से लाउडस्पीकर उतारे नहीं गए है। बस आवाज कम की गई है। कहीं-कहीं मंदिरों से भी उतारे गए हैं।’ तेज-तेज बज रहे भजनों पर बोले- ‘नवरात्रि है, त्योहार है। ऐसे में सब ठीक है। अपनी बस्ती है, जो करें ठीक है।’
आगे बढ़ा तो पुत्तन से मुलाकात हुई। फंड के सवाल पर बोले, ‘हमें कुछ पता नहीं है। हम ऐसी बातों में नहीं पड़ते।’ लाउडस्पीकर के सवाल पर बोले, ’इस पर कुछ नहीं बोलना।’ थोड़ी दूर पर खड़े रफीक अहमद से हमने बात की, तो वे बोले, ‘हमें न लाउडस्पीकर से दिक्कत है, न ही मंदिरों को दिए रुपयों से। हम आपस में मिलजुल कर रहते हैं।’
'मंदिरों में रामायण पाठ अच्छी पहल, रमजान की वजह से बिजली मिल रही है'
मंदिर की तरफ लौटा तो पुजारी मनीराम दास मिले। कहते हैं, ‘इस मंदिर में इस बार ज्वाला देवी से ज्योति लाया हूं। लोग दूर-दूर से इसके दर्शन करने आ रहे हैं। सरकारी लोग भी पूजा-पाठ करने आते हैं। रुपया तो मुझे नहीं दिया है, लेकिन अष्टमी-नवमी पर रामायण पाठ कराने को कहा है।’
पुजारी के साथ मौजूद विमल सिंह सैनी बताते हैं, ‘सरकार ने मंदिरों में रामायण पाठ का जो फैसला लिया है। वह बहुत अच्छी पहल है।’ थोड़ा संभलते हुए कहते हैं, ‘मुसलमानों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने बिजली की व्यवस्था की है। सरकार ने रमजान की वजह से ऐसी व्यवस्था की है कि किसी को कोई परेशानी न हो।’ मोहल्ले के संजय सिंह कहते हैं, ‘योगी जी ने रामायण वगैरह की व्यवस्था की है, वह बहुत बढ़िया है। यह व्यवस्था हर साल होनी है।’
जिला- सहारनपुर, जगह- देवबंद
7 मंदिरों में रामनवमी, मुस्लिम बोले- हमें कोई दिक्कत नहीं
संभल में लोगों से बात करने के बाद मैं सहारनपुर के देवबंद पहुंचा। देवबंद की पहचान शिक्षा के लिए स्थापित दारूल उलूम से है। यहां देश ही नहीं, बल्कि दुनियाभर से मुस्लिम पढ़ने आते हैं। सहारनपुर मुख्यालय से लगभग 45 किमी दूर देवबंद में कस्बे के बीचोबीच मां दुर्गा के श्री त्रिपुर मां बाला सुंदरी देवी स्वरूप की पूजा की जाती है।
यहां हर साल चैत्र मास की चतुर्दशी को मेला लगता है। ये मेला 15 दिन चलता है। यहां शक्तिपीठ का निर्माण कब हुआ, किसने किया यह अज्ञात भाषा में लिखा हुआ है, जिसे आज तक कोई नहीं पढ़ सका है।
इस मंदिर में मुझे पुजारी गोस्वामी नवनीत लाल महाराज मिले। नवरात्रि के लिए फंड के सवाल पर कहने लगे, ‘सरकार ने धर्म-कर्म के नाम पर मन जीत लिया है। योगी आदित्यनाथ ने बहुत अच्छा निर्णय लिया है। घर में तो रामचरितमानस का पाठ हमेशा होता है, लेकिन योगी और मोदी जब से आए हैं, तब से जन-जन हिंदू-हिंदू हिंदुस्तान कर रहा है।’
पुजारी नवनीत लाल ने बताया कि जिले के सात मंदिरों में प्रशासन ने रामनवमी के कार्यक्रम का इंतजाम कराया है। जिले के सारे अफसर इसमें लगे हैं।
मंदिर के ही पास मुझे एहितशाम इलाही मिल गए। उनसे नवरात्रि पर मिले फंड के बारे में पूछा तो कहा- ‘वे अपना काम कर रहे हैं, हम अपना। इससे हमें कोई तकलीफ नहीं है।’ पास ही सलीम खड़े थे। उन्होंने कहा- ‘हमारे लिए लाइट की व्यवस्था भी की गई है। हमारे रमजान बेहतर जा रहे हैं। वे रामायण पढ़ेंगे, तो हमें दिक्कत नहीं है।’
जिला-गाजीपुर, जगह- मोहम्मदाबाद और सैदपुर
मंदिरों में कीर्तन चल रहे, लेकिन फंड की जानकारी नहीं
संभल और सहारनपुर के बाद मैं गाजीपुर पहुंचा। यहां भी कई मंदिरों में दुर्गा सप्तशती पाठ, कीर्तन, रामायण पाठ कराने के सरकारी निर्देश हैं। हालांकि मंदिरों के संचालक और पुजारी इस योजना में मिलने वाले बजट को लेकर कन्फ्यूज हैं। लोगों का कहना है कि सरकारी बंदोबस्त के भी पहले से दुर्गा सप्तशती, रामायण और धार्मिक आयोजन रामनवमी और नवरात्रि के मौके पर होते ही रहे हैं। गाजीपुर के 8 मंदिरों को सरकार की तरफ से बजट मिला है।
जिला प्रशासन की लिस्ट के मुताबिक, हथियाराम मठ के बुढ़िया माई मंदिर में बीते 24 मार्च को ही सरकारी फंड से भजन-कीर्तन का प्रोग्राम किया गया था। गहमर के मां कामाख्या धाम में भी 29-30 मार्च को इसी तरह का कार्यक्रम होना है। कामाख्या धाम के महंत आकाश राज तिवारी के मुताबिक, ‘दुर्गा सप्तशती का आयोजन भी हुआ था, अब फिर से कार्यक्रम है, लेकिन सरकारी फंड कब और कितना मिलेगा, इसकी जानकारी नहीं है।’
मोहम्मदाबाद इलाके के मां कष्टहरणी धाम मंदिर में भी पूरे नवरात्रि भजन-कीर्तन के कार्यक्रम किए जा रहे हैं। यह मंदिर भी प्रशासन की उस लिस्ट में शामिल है, जहां के लिए फंड जारी हुआ है। यहां के पुजारी सुनील राय ने बताया कि कीर्तन, जागरण तो हो रहे हैं, लेकिन सरकारी मदद मिलेगी इसकी अब तक जानकारी नहीं है।
गाजीपुर शहर के हरिहरपुर काली मंदिर में भजन कीर्तन करने वाले गायक जावेद बताते हैं, ‘पर्यटन विभाग की तरफ से हमारी बुकिंग कराई गई थी। कार्यक्रम के बाद 10 हजार रुपए दिए जाएंगे।’
फंड तो मिला, लेकिन कार्यक्रम के लिए इंतजाम ही नहीं
गाजीपुर के सैदपुर में चकेरी धाम मंदिर में भी ऐसा ही कार्यक्रम होना था। चकेरी धाम के बाबा बालक दास ने बताया कि सैदपुर एसडीएम डॉ. पुष्पेंद्र पटेल आए थे और फंड के बारे में बताया था। उनके मुताबिक कलाकार बिंदुमाधव वर्मा इस कार्यक्रम के लिए आए थे, लेकिन मंदिर में व्यवस्था न होने से वे लौट गए थे।
बिंदुमाधव वर्मा ने भी बताया, ‘वहां कोई व्यवस्था नहीं थी। प्रशासन के कहने पर हमने बिना माइक, साउंड और दर्शकों के गाया था। उन लोगों ने इसका एक वीडियो बना लिया और हम लौट आए। हमारी बुकिंग 10 हजार में की गई थी, अब तक पैसा नहीं मिला है।’
पर्यटन विभाग की सूचना अधिकारी दिव्या से इस मामले में सवाल किया गया, तो उन्होंने इसकी जानकारी न होने की बात कही। उन्होंने कहा, ‘यहां के चुनिंदा मंदिरों में दुर्गा सप्तशती और रामनवमी पर रामायण पाठ का आयोजन कराने का आदेश मिला था। इसके लिए 1 लाख रुपए का बजट भी दिया गया है। मंदिर समितियों को इसका भुगतान किया जाएगा।’
इस तरह धार्मिक आयोजनों के लिए बजट देना कितना संवैधानिक
योगी सरकार के इस आदेश के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका भी दायर की गई है। समाजसेवी राजीव यादव ने ये याचिका दाखिल की है। इसमें आरोप लगाया गया है कि सरकार जनता के पैसे का इस्तेमाल एक धर्म से जुड़े कार्यक्रमों को बढ़ावा देने में कर रही है। ये स्टेट के धर्मनिरपेक्ष कैरेक्टर के खिलाफ और असंवैधानिक है।
इन आरोपों पर मैंने इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज चंद्र भूषण पांडे से बात की। चंद्र भूषण कहते हैं, सरकार ने धर्म का एक विभाग ही खोल रखा है। फिर भी हम सेकुलर स्टेट हैं। इसकी लाइन बहुत महीन है। सेकुलर स्टेट में सरकार को हर धर्म के लोगों की आस्था और तौर तरीकों को सहयोग करना चाहिए। उसमें खुद इन्वॉल्व नहीं होना चाहिए। शासनादेश में लिखा होगा कि मंदिरों में इंतजाम के लिए एक लाख रुपए दिए गए हैं। एक लाख रुपए मिल गए, वे चाहे जैसे इस्तेमाल हों।’
चंद्रभूषण आगे कहते हैं, ‘सरकार धार्मिक आयोजनों को सुविधाएं दे सकती है, लेकिन उनमें उसे सीधे शामिल नहीं होना चाहिए। पहले राज्यपाल रोजा-इफ्तार कराते थे, लेकिन उसमें भी तो राजभवन का खर्च होता था। वे कह सकते हैं कि हम सद्भावना के लिए करते हैं। ये सरकार भी कह सकती है कि हम भी सद्भावना के लिए करवा रहे हैं, लेकिन सद्भावना का मतलब सिर्फ धार्मिक सद्भावना ही नहीं होता।’
‘संविधान में सेकुलर वर्ड लिख दिया, लेकिन सेकुलर प्रैक्टिस क्या है, उसकी व्याख्या नहीं की गई। हमारे यहां सेकुलर की व्याख्या है- सर्व-धर्म समभाव। इसका मतलब हुआ कि सभी धर्मों के लोग जो काम कर रहे हैं, उसे सहयोग करना। ईद पर भी मुस्लिम जहां नमाज पढ़ते हैं, वहां पुलिस लगाते हैं। ये सिर्फ पॉलिटिकल इश्यू है इसका लीगल इश्यू बनना मुश्किल है।’
योगी सरकार के इस कदम का राजनीतिक मतलब
राजनीतिक जानकारों की माने तो यूपी सरकार इस कदम के जरिए एक तीर से दो निशाने साध रही है। बीते दो महीने से जहां रामचरितमानस की कुछ पंक्तियों पर समाजवादी पार्टी के नेता विरोध कर रहे थे, लेकिन BJP की मुख्य लीडरशिप इस मामले पर वेट एंड वॉच की स्थिति में थी।
अब इस मामले पर योगी सरकार ने एक कदम आगे बढ़कर पूरे यूपी के मंदिरों में सरकारी खर्चे पर रामचरितमानस का पाठ कराकर अपना स्टैंड ले लिया है। हिंदी पट्टी के बड़े इलाकों जैसे एमपी, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव हैं, ऐसे में यूपी सरकार का ये कदम BJP की प्रो-हिंदुत्व की छवि को मजबूत करने के लिए है।
इनपुट: गाजीपुर से कृपा कृष्ण और सहारनपुर के देवबंद से राजीव भारद्वाज
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