पिछले कुछ सालों में ऑर्गेनिक सब्जियों और फूड्स की डिमांड बढ़ी है। कई लोग ऑर्गेनिक फूड्स अपना रहे हैं, लेकिन सबसे बड़ी दिक्कत इसकी उपलब्धता को लेकर है। मार्केट में मिलने वाले ज्यादातर प्रोडक्ट्स में केमिकल मिले होते हैं। बहुत कम प्लेटफॉर्म ही ऐसे हैं, जहां ऑर्गेनिक प्रोडक्ट मिलते हैं। ऐसे प्लेटफॉर्म की पहचान करना और उन तक पहुंचना मुश्किल होता है। इस परेशानी को दूर करने के लिए कानपुर के अक्षय गुप्ता ने एक अनोखी पहल की है।
उन्होंने ऑर्गेनिक फार्मिंग का एक ऐसा स्टार्टअप लॉन्च किया है, जहां कस्टमर सब्सक्रिप्शन मॉडल पर अपनी पसंद की सब्जियां सालभर खा सकते हैं। इतना ही नहीं, कस्टमर यह भी मॉनिटर कर सकते हैं कि उनकी पसंद की सब्जियां कैसे उगाई जा रही हैं और उनमें क्या-क्या मिलाया जा रहा है। फिलहाल अक्षय के साथ ऐसे 90 कस्टमर जुड़े हैं।
अच्छी नौकरी छोड़ फार्मिंग सेक्टर में उतरे
30 साल के अक्षय गुप्ता कानपुर में रहते हैं। उन्होंने कम्प्यूटर साइंस से बीटेक किया है। कुछ साल तक उन्होंने जॉब भी की। दैनिक भास्कर से बातचीत में अक्षय बताते हैं कि एक बार काम के सिलसिले में मुझे UP इन्वेस्टर्स समिट में जाने का मौका मिला। वहां मुझे एग्रीकल्चर सेक्टर से जुड़े लोग मिले। उनसे बातचीत के बाद खेती को लेकर मेरी दिलचस्पी बढ़ी। तब मुझे पता चला कि जिन सब्जियों का इस्तेमाल हम लोग अपने खाने के रूप में करते हैं, उनमें कितने केमिकल मिले होते हैं, उसका कितना निगेटिव इफेक्ट हमारी हेल्थ पर पड़ता है।
इसके बाद अक्षय के मन में अक्सर ये बात आने लगी कि उन्हें कुछ ऐसा काम करना चाहिए जिससे वे खुद भी ऑर्गेनिक प्रोडक्ट खा सकें और दूसरों को भी प्रोवाइड करा सकें। कुछ साल इधर-उधर जानकारी जुटाने के बाद उन्होंने तय किया कि वे फार्मिंग सेक्टर में जाएंगे और अपनी नौकरी छोड़ दी।
पहले से खेती का कोई बैकग्राउंड नहीं था
अक्षय बताते हैं कि खेती से उनका दूर-दूर तक लगाव नहीं रहा है। उनके पिता बिजनेस बैकग्राउंड से रहे हैं। जबकि अक्षय शुरुआत से ही अपनी स्टडी पर फोकस्ड रहे, इसलिए जब वे फार्मिंग सेक्टर में उतरे तो उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा। उन्हें न तो जमीन की समझ थी और न ही फसलों के बारे में कोई जानकारी। शुरुआत में उन्होंने एक एकड़ जमीन लीज पर ली और ऑर्गेनिक सब्जियों की खेती की। हालांकि कुछ खास उनके हाथ नहीं लगा। ज्यादातर सब्जियां उग ही नहीं पाईं या बहुत कम प्रोडक्शन रहा।
इसके बाद भी उन्होंने अपना इरादा नहीं बदला। उन्होंने खेती के बारे में जानकारी जुटानी शुरू की। इस काम में चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने उनकी काफी मदद की। संस्थान के डायरेक्टर डॉक्टर एचजी प्रकाश और डॉ. खलील खान ने उनको खेती की बारीकियां समझाईं। इससे उन्हें फायदा भी हुआ और अगली बार बढ़िया प्रोडक्शन हुआ।
अक्षय कहते हैं कि शुरुआत में मैंने खुद के इस्तेमाल के लिए सब्जियां उगाईं, जब प्रोडक्शन अच्छा हुआ तो आसपास के लोगों को भी उपलब्ध कराईं। लोगों को हमारी सब्जियां काफी पसंद आईं। इसके बाद मुझे लगा कि इस काम को प्रोफेशनल लेवल पर आगे बढ़ाया जा सकता है और साल 2019 में 'माय फार्म' नाम से एग्री स्टार्टअप शुरू किया। शुरुआत में वे अपना प्रोडक्ट मार्केट में भेजते थे, लेकिन लागत के मुकाबले उन्हें कमाई नहीं हो रही थी। कई बार बहुत कम कीमत पर भी उन्हें अपना प्रोडक्ट बेचना पड़ता था।
एक साल बाद नया बिजनेस मॉडल शुरू किया, लेकिन सफलता नहीं मिली
अक्षय बताते हैं कि जब मार्केट से बढ़िया रिस्पॉन्स नहीं मिला तो मैंने सीधे कस्टमर्स तक पहुंचने का टारगेट सेट किया। मैंने एक बिजनेस मॉडल तैयार किया, जिसमें हम लोगों को मंथली वनटाइम पेमेंट के बाद उनके घर सब्जियां पहुंचाते थे। हम एक फिक्स रेश्यो में उनके पास सब्जियां पहुंचाते थे। इसके लिए हम हर महीने 2500 रुपए चार्ज करते थे। कुछ दिनों तक हमारा यह मॉडल चला, लेकिन बाद में दिक्कत होने लगी, क्योंकि कई बार उतना प्रोडक्शन नहीं होता था, जितना उन्हें कस्टमर्स को देना होता था, इससे कस्टमर्स की नाराजगी झेलनी पड़ती थी। फिर हमनें यह मॉडल बंद कर दिया और नए आइडिया को लेकर प्लानिंग करने लगे।
वे कहते हैं कि शहरों में ज्यादातर लोग अपने घर के आगे या पीछे खाली पड़ी जमीन या छत पर ही खुद का किचन गार्डन लगाते हैं। जिसमें वे अपनी पसंद की सब्जियां उगाते हैं और अमूमन उनकी जरूरत के मुताबिक प्रोडक्शन भी हो जाता है। फिर हमनें सोचा कि क्या हम ऐसा प्लेटफॉर्म तैयार कर सकते हैं जहां कस्टमर का खुद का एक किचन गार्डन हो, उसमें सब्जियां भी उसके पसंद की हों और जो कुछ हफ्ते में या महीने में प्रोडक्शन हो, वह उसका हो।
सब्सक्रिप्शन मॉडल यानी हर कस्टमर का खुद का किचन गार्डन
साल 2020 की शुरुआत में अक्षय ने इस मॉडल पर काम करना शुरू किया। उन्होंने अपने आसपास के लोगों से बात की और मंथली सब्सक्रिप्शन बेस्ड एक मॉडल डेवलप किया। जिसमें एक फिक्स एरिया में हर कस्टमर का खुद का किचन गार्डन होता है। जहां उनके पसंद की सब्जियां उगाई जाती हैं। हफ्ते में दो दिन कस्टमर के घर प्रोडक्शन के हिसाब से सब्जियां पहुंचाई जाती हैं। इसके बदले एक कस्टमर को 1100 रुपए मंथली पेमेंट करना होता है। इसमें कोई अमाउंट फिक्स नहीं है कि हर हफ्ते या महीने इतना प्रोडक्ट कस्टमर को देना है। सीधा सा कॉन्सेप्ट है कि उस जमीन पर जितना भी प्रोडक्शन होगा, वह उस कस्टमर का होगा।
अक्षय कहते हैं कि कस्टमर्स को वनटाइम मंथली पेमेंट और अपनी पसंद की सब्जियों की लिस्ट प्रोवाइड करानी है। इसके बाद उनका कोई रोल नहीं होता है। यानी, फार्मिंग से लेकर प्रोडक्शन, मॉनिटरिंग और फिर कस्टमर्स के घर तक सब्जियों की डिलीवरी का काम अक्षय की टीम करती है।
हर कस्टमर अपने किचन गार्डन को मॉनिटर कर सकता है
अक्षय कहते हैं कि कोई भी कस्टमर फार्म पर आकर अपने किचन गार्डन की मॉनिटरिंग कर सकता है। वह यह भी देख सकता है कि उसके गार्डन में कौन-कौन सी सब्जियां हैं और किस हाल में हैं। उनकी देखरेख कैसे की जा रही है और किस तरह उन्हें उगाया जा रहा है। इसके साथ ही जल्द ही वे लोग एक ऐप भी लॉन्च करने वाले हैं, जिसकी मदद से कस्टमर घर बैठे ही अपने गार्डन को मॉनिटर कर सकेंगे। वे बताते हैं कि हमने इस मॉडल का पायलट प्रोजेक्ट पूरा कर लिया है। अपने लैंड पर CCTV भी लगा दी है ताकि कस्टमर्स अपने घर से ही लाइव अपने गार्डन को देख सकें। आने वाले कुछ महीनों में हमारा यह प्लेटफॉर्म शुरू हो जाएगा।
कैसे करते हैं मार्केटिंग, सब्सक्रिप्शन का क्या है तरीका?
अक्षय कहते हैं कि सोशल मीडिया और ऑनलाइन मार्केटिंग पर ही हम पूरी तरह से फोकस कर रहे हैं। हमने खुद की वेबसाइट भी डेवलप की है। जिसके जरिए हम अपना प्रमोशन भी करते हैं और कस्टमर्स को भी जोड़ते हैं। अगर कोई कस्टमर हमारी सर्विस लेना चाहता है तो उसे वेबसाइट पर जाकर इन्क्वायरी करनी होगी। वह चाहे तो हमें फोन भी कर सकता है। उसके बाद हमारी टीम पूरी बातचीत कर लेगी और सब्सक्रिप्शन का प्रोसेस समझा देगी।
अक्षय अभी 20 बीघे जमीन पर खेती कर रहे हैं। यह जमीन उन्होंने लीज पर ले रखी है। उनके साथ कानपुर और लखनऊ से 90 कस्टमर जुड़े हैं। जल्द ही इस प्रोजेक्ट को वे दूसरे शहरों में भी शुरू करने वाले हैं। इसको लेकर उनकी टीम प्लानिंग कर रही है। उनके साथ 3-4 लोग कोर टीम में हैं। जबकि काम के मुताबिक वे मजदूर हायर करते रहते हैं। कमाई को लेकर वे कहते हैं कि इस मॉडल से उन्हें अच्छा मुनाफा हो रहा है। अभी वे 7 से 8 लाख रुपए सालाना कमाई कर रहे हैं।
सब्सक्रिप्शन मॉडल बिजनेस क्या होता है, आप इसकी शुरुआत कैसे कर सकते हैं? पढ़िए ये खास स्टोरी
दार्जिलिंग की चाय बेहद खास होती है। इसका रंग, खुशबू और टेस्ट सब कुछ लाजवाब होता है। यही वजह है कि भारत के साथ-साथ विदेशों में भी इसकी खूब डिमांड है। कई ब्रांड्स दार्जिलिंग की चाय के नाम से अपनी मार्केटिंग करते हैं। ज्यादातर लोग कहीं मॉल या शॉप पर चाय खरीदने जाते हैं तो दार्जिलिंग का लेबल देखना नहीं भूलते हैं।
जरा सोचिए, अगर दार्जिलिंग के चाय बागानों से निकली फ्रेश चाय एक सब्सक्रिप्शन पर सालभर आपके घर पहुंचे तो कैसा रहेगा? है न यूनीक मॉडल... कोलकाता के दो युवाओं ने हाल ही में एक स्टार्टअप की शुरुआत की है। जिसके जरिए वे सब्सक्रिप्शन मॉडल पर देशभर में दार्जिलिंग की फ्रेश चाय पहुंचा रहे हैं।(पूरी खबर पढ़िए)
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