प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील के बाद साधु-संतों ने हरिद्वार कुंभ को तय समय से 13 दिन पहले खत्म करने पर सहमति दे दी है। हालांकि कुंभ में प्रतीकात्मक तौर पर धार्मिक आयोजन होते रहेंगे। 13 अखाड़ों में सबसे बड़े जूना अखाड़े की तरफ से शनिवार शाम को कुंभ खत्म करने की घोषणा की गई।
जूना अखाड़े के बाद शनिवार की देर शाम अग्नि ओर आव्हान अखाड़े ने भी कुंभ मेला समाप्त करने की घोषणा कर दी। निरंजनी और आनंद अखाड़ा पहले ही अपनी ओर से कुंभ समाप्ति की घोषणा कर चुके हैं। तय कार्यक्रम के मुताबिक कुंभ मेला 30 अप्रैल तक चलना था और इसमें आखिरी शाही स्नान 27 अप्रैल को होना था।
हरिद्वार में 175 साधु कोरोना संक्रमित
हरिद्वार के चीफ मेडिकल ऑफिसर (CMO) डॉ. एसके झा ने बताया कि कुंभ मेले में शामिल होने वाले 175 साधुओं की कोरोना रिपोर्ट शनिवार को पॉजिटिव आई है। इसके बाद पॉजिटिव आने वाले साधुओं की संख्या बढ़कर 229 हो गई है। बढ़ते संक्रमण को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि से बात की थी। उन्होंने कुंभ में लोगों के जमावड़े को खत्म कर उसे सिर्फ प्रतीकात्मक तौर पर सीमित रखने की अपील की थी।
कुंभ खत्म होने से सरकार ने राहत की सांस ली
कुछ अखाड़े समय से पहले कुंभ मेला समाप्त करने की बात से नाराज थे। उनका कहना था कि मेला तय समय तक ही चलना चाहिए। इन साधु-संतों को मनाने के लिए उत्तराखंड सरकार पिछले 2 दिन से गुप्त बैठकें कर रही थी। दरअसल, केंद्र सरकार मेला जल्द से जल्द खत्म कराना चाहती है, लेकिन वह यह नहीं चाहती थी कि इसके लिए कोई सरकारी निर्देश जारी किया जाए। बल्कि, केंद्र साधु-संतों से खुद मेला खत्म होने की घोषणा कराना चाहती थी।
केंद्र ने इस बात के प्रबंधन का जिम्मा तीरथ सरकार को दिया था। सभी अखाड़ों के साथ गोपनीय सरकारी बातचीत चली। इन बैठकों का असर भी दिखा। दो दिन पहले निरंजनी और आनंद अखाड़े ने अपनी ओर से मेला समाप्ति की घोषणा कर दी थी। अब जूना अखाड़े के कुंभ खत्म करने के ऐलान से सरकार ने राहत की सांस ली है।
कुंभ खत्म करने पर अखाड़ों में मतभेद
कुंभ को समय से पहले खत्म करने की कोशिशों से कई अखाड़े नाराज थे। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक और श्री जूना अखाड़ा के राष्ट्रीय महामंत्री महंत हरि गिरि ने कहा कि निरंजनी अखाड़े की ओर से कुंभ समाप्ति के ऐलान के पीछे सरकार का हाथ हैं। वे कहते हैं कि कोई एक अखाड़ा कुंभ खत्म करने की घोषणा नहीं कर सकता। कुंभ एक धार्मिक आयोजन है। अखाड़े इसके आयोजक हैं। इसलिए अगर सरकार भी चाहे तो बिना अखाड़ों की सहमति के कुंभ नहीं बंद कर सकती।
जूना अखाड़े के नागा साधु गजेंद्र गिरी ने भी महंत हरि गिरी की बात का समर्थन करते हुए कहा था, '12 साल में एक बार पूर्णकुंभ होता है, चुनाव हर पांच साल में होता है। बंद करवाना है तो पहले चुनावी रैलियां बंद हों।'
अखाड़ों में संक्रमण की तेज रफ्तार
उधर, राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने चेताया है कि मेले की भीड़ अगर तुरंत कम नहीं की गई तो हालात बहुत गंभीर हो जाएंगे और अखाड़ों के शिविर कोरोना कैंप बनने में देर नहीं लगेगी। सूत्रों के मुताबिक, पुलिस- प्रशासन के अधिकारी भी हाथ खड़े कर चुके हैं और सभी ने मेला खत्म करने की सलाह दी है।
15 अप्रैल को श्री पंच निर्वाणी अखाड़े के महामंडलेश्वर कपिल देव दास की कोरोना से मौत हो गई थी। निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत रविंद्रपुरी को भी कोरोना हो गया। निरंजनी अखाड़े के साधु महेंद्र गिरी ने दैनिक भास्कर को बताया कि रविंद्रपुरी जी अखाड़े में ही आइसोलेट हैं। उनके साथ अखाड़े के 26 अन्य साधु भी कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। इसके अलावा जूना अखाड़े के दो साधु कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं।
अलग-अलग अखाड़ों में से कम से कम 50 साधु कोरोना पॉजिटिव हैं। श्री पंच निर्वाणी में पांच साधु कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। हरिद्वार के चीफ मेडिकल ऑफिसर शंभु कुमार झा कहते हैं, 'अखाड़ों में टेस्टिंग शुरू की गई है, लेकिन साधुओं को टेस्टिंग के लिए मनाना थोड़ा कठिन है। ज्यादातर साधु टेस्टिंग से मना कर रहे हैं। टीम उन्हें मनाने में लगी है।'
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