माइक्रोसॉफ्ट…एक ऐसी सॉफ्टवेयर कंपनी, जिसके फाउंडर ने हमेशा दूर की सोची। जब लोग टाइपराइटर पर लिख रहे थे, तब उनके सामने MS-DOS नाम का कंप्यूटर ऑपरेटिंग सिस्टम ला दिया। लोगों को जब MS-DOS की आदत पड़ी तो बेहतर इंटरफेस के साथ नया ऑपरेटिंग सिस्टम विंडोज दे दिया। विंडोज के आने से जब पर्सनल कंप्यूटर की मांग बढ़ी तो उसमें इंटरनेट एक्सप्लोरर ला दिया। इन सब इनोवेशन्स के कारण आज स्थिति ये है कि आपके रोजमर्रा के कई काम माइक्रोसॉफ्ट सॉफ्टवेयर के बिना नामुमकिन हो सकते हैं। फिलहाल कंपनी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की तरफ तेजी से कदम बढ़ा रही है। हाल ही में माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्या नडेला ने कहा कि जल्द ही कंपनी ChatGPT को अपने क्लाउड बेस्ड Azure सर्विस में जोड़ेगा। इससे पहले 2019 में माइक्रोसॉफ्ट ने OpenAI कंपनी में करीब 1 बिलियन डॉलर का निवेश किया था।
आज मेगा एम्पायर में जानिए दुनिया से एक कदम आगे की सोच रखने वाली माइक्रोसॉफ्ट की कहानी…
जब ज्यादातर अमेरिकी टाइपराइटर्स चलाते थे तब आई माइक्रोसॉफ्ट
आज माइक्रोसॉफ्ट कंप्यूटर सॉफ्टवेयर की दुनिया का बादशाह है। मगर कंपनी की शुरुआत तब हुई जब ज्यादातर अमेरिकी टाइपराइटर्स का इस्तेमाल करते थे। बिल गेट्स ने अपने बचपन के दोस्त पॉल एलन के साथ इसकी नींव 1975 में रखी। माइक्रोप्रोसेसर्स और सॉफ्टवेयर के शुरुआती शब्दों का जोड़ इसका नाम माइक्रोसॉफ्ट रखा गया। शुरुआत में कंपनी ने पर्सनल कंप्यूटर अल्टएयर 8800 के लिए सॉफ्टवेयर बनाए। लगभग तीन सालों में ही यानी 1978 के अंत तक माइक्रोसॉफ्ट की सेल्स 10 लाख डॉलर से अधिक पहुंच गई।
माइक्रोसॉफ्ट की सफलता का असली सफर 1980 से शुरू हुआ
1979 में माइक्रोसॉफ्ट न्यू मेक्सिको से वॉशिंगटन स्टेट में शिफ्ट हुई। यहीं से कंपनी को मल्टीनेशनल टेक्नोलॉजी कॉर्पोरेशन के तौर पर पहचान मिली। इसी साल कंपनी ने अपना MS-DOS यानी डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम लॉन्च किया और IBM के पहले पर्सनल कंप्यूटर के लिए लाइसेंस लिया। ये कंप्यूटर 1981 में लॉन्च हुआ था। इसके एक साल पहले ही 1980 में ही माइक्रोसॉफ्ट दुनिया की सबसे बड़ी पर्सनल कंप्यूटर सॉफ्टवेयर कंपनी बन गई थी।
विंडोज के लॉन्च के बाद गेट्स बने सबसे युवा अरबपति
साल 1985 में माइक्रोसॉफ्ट ने नया ऑपरेटिंग सिस्टम लॉन्च किया। इसे विंडोज नाम दिया गया। यह एक ग्राफिकल इंटरफेस था और इसमें कई नए फीचर भी शामिल किए थे। इसके बाद 1987 में माइक्रोसॉफ्ट ने शेयर बाजार में एंट्री ली। विंडोज की सफलता ने उस वक्त 31 साल के गेट्स को दुनिया का सबसे युवा अरबपति बना दिया।
विंडोज-95 वर्जन ने टेक की दुनिया में को हमेशा के लिए बदला
विंडोज के आने के 10 साल बाद दुनिया तेजी से टेक की तरफ बढ़ी। 1995 के बाद पर्सनल कंप्यूटर घरों में इस्तेमाल होने लगे। इसी मौके को भांपते हुए माइक्रोसॉफ्ट ने विंडोज-95 लॉन्च कर दिया। विंडोज 95 में पहली बार स्टार्ट मीनू का ऑप्शन आया और इसके साथ ही टेक जगत में एक तूफान सा आ गया। केवल 5 हफ्ते में ही विंडोज-95 की 7 मिलियन कॉपी बिक गई।
एपल कंपनी को दिवालिया होने से बचाया
एपल की शुरुआत माइक्रोसॉफ्ट से एक साल बाद 1976 में हुई। मगर एपल 1997 की शुरुआत में दिवालिया होने के कगार पर आ गई। तब माइक्रोसॉफ्ट ने ही 15 करोड़ डॉलर का निवेश एपल में किया और उसे डूबने से बचाया। इस बात को टाइम ने अपने कवर पेज पर जगह दी, जिसमें जॉब्स फोन पर गेट्स को थैंक य़ू बोलते दिखाए गए थे। इसके बाद दोनों ने साथ काम करने का फैसला लिया और माइक्रोसॉफ्ट ने मैक के लिए MS Office और एपल ने विंडोज के लिए itunes को लॉन्च किया।
2022 में कंपनी ने किया अपना अब तक का सबसे बड़ा टेकओवर
माइक्रोसॉफ्ट ने जनवरी 2022 में अब तक का सबसे बड़ा टेकओवर किया है। कंपनी ने 'कॉल ऑफ ड्यूटी' गेम बनाने वाली ‘एक्टिविजन ब्लिजार्ड’ को 68.7 बिलियन डॉलर में खरीद लिया। यह गेमिंग इंडस्ट्री के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा सौदा है। यह डील 2023 के जुलाई महीने तक फाइनल हो जाएगी। यह सौदा माइक्रोसॉफ्ट के लिंक्डइन के 26 अरब डॉलर के टेकओवर से भी बड़ा है।
2023 की शुरुआत में कंपनी ने किया सबसे बड़ी छंटनी का एलान
माइक्रोसॉफ्ट ने 2023 की शुरुआत में अब तक की सबसे बड़ी छंटनी का एलान किया। कंपनी का कहना है कि वो जल्द ही 10 हजार कर्मचारियों को निकालने जा रही है। छंटनी को लेकर कंपनी के सीईओ सत्या नडेला ने कहा कि हर शख्स के लिए ये समय काफी चुनौतीपूर्ण है। नडेला ने इस बात की भी जानकारी दी है कि जिन भी लोगों को नौकरी से निकाला जाएगा उनको हर जरूरी सुविधा मिले, इसका ध्यान रखा जाएगा।
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