क्या कहती हो ठहरो नारी संकल्प अश्रु-जल-से-अपने तुम दान कर चुकी पहले ही जीवन के सोने-से सपने नारी! तुम केवल श्रद्धा हो विश्वास-रजत-नग पगतल में पीयूष-स्रोत-सी बहा करो जीवन के सुंदर समतल में देवों की विजय, दानवों की हारों का होता-युद्ध रहा संघर्ष सदा उर-अंतर में जीवित रह नित्य-विरूद्ध रहा आंसू से भीगे अंचल पर मन का सब कुछ रखना होगा तुमको अपनी स्मित रेखा से यह संधिपत्र लिखना होगा
- जयशंकर प्रसाद अपनी रचना कामायनी में
करिअर फंडा में स्वागत!
ये दिन स्थापित कैसे हुआ, जानिए इस ऐतिहासिक घटना से।
रूस में विद्रोह
मार्च 8, 1917 - रूस का पेट्रोगार्ड शहर, एक सर्द दिन। प्रथम विश्व युद्ध को शुरू हुए लगभग तीन साल हो चुके हैं। युद्ध के चलते रूस के सामाजिक और आर्थिक हालात खराब हैं, जार निकोलस-II का शासन।
‘ब्रेड एन्ड पीस (रोटी और शांति)' तथा ‘तानाशाही का अंत’ ये लाइंस उन होर्डिंग्स और बैनर्स पर लिखी थीं जो रूस के पेत्रोगार्द शहर (आज सेंट पीटर्सबर्ग) के जिनेमेन्स्काया स्क्वेयर्स पर उस सर्द दिन सुबह से ही जमा होने लगी थी।
जैसे-जैसे दिन चढ़ता गया, शहर भर की महिलाएं इसमें शामिल होती गईं। उन्होंने सड़कों पर मार्च किया, गाते और नारे लगाते हुए, और राहगीरों और दर्शकों का ध्यान आकर्षित करते हुए वे आगे बढ़ती रहीं। कुछ महिलाएं अपने बच्चों को भी साथ लाई थीं। पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए डंडों और बंदूकों से भीड़ पर हमला किया, लेकिन महिलाएं जमी रहीं। महिलाओं की बहादुरी और दृढ़ संकल्प से कुछ पुलिस अधिकारी भी प्रदर्शनकारियों में शामिल हो गए।
शहर में माहौल अराजक होता गया। लोगों की भीड़ ने इमारतों में आग लगा दी और दुकानों को लूट लिया, अराजकता का फायदा उठाते हुए सरकार पर अपनी हताशा और गुस्सा निकाला। जार की सरकार अशांति को रोकने में असमर्थ थी।
इसी दिन की याद में मार्च 8 को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है, हालांकि संयुक्त राष्ट्र ने पहली बार महिला दिवस 1975 में मनाया।
इस अवसर पर पेश है भारत की अलग-अलग क्षेत्रों से जुडी 6 महिलाओं की एक्सट्राऑर्डिनरी कहानियां जो अनसुनी ही रह गईं, और उनसे हमारे हिस्से के सबक…
भारत की 6 सुपर विमेन
6 भारतीय महिलाओं की अनसुनी कहानियां और उनसे सबक…
1) बेगम हजरत महल
वे अवध की रानी और 1857 के भारतीय विद्रोह की एक प्रमुख नेता थीं। उन्होंने ब्रिटिश सेना के खिलाफ लड़ाई लड़ी और लखनऊ में विद्रोह का नेतृत्व किया। उनका साहस और नेतृत्व कौशल कई महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत रहा है जो अपने समुदायों में बदलाव लाना चाहती हैं।
जब महारानी विक्टोरिया ने पत्र लिखकर अपना पक्ष समझाया, तो नेपाल से उत्तर देते हुए बेग़म हजरत महल ने तगड़ा जवाब दिया, और ब्रिटिश नीतियों को आड़े हाथों लिया।
उनका जीवन हमें सिखाता है कि हम जिस चीज में विश्वास करते हैं, उसके लिए खड़े होने का महत्व है, भले ही इसके लिए बड़ी विपत्ति का सामना करना पड़े।
2) सुरेखा यादव
वे भारत की पहली महिला ट्रेन ड्राइवर हैं और उन्होंने परिवहन के क्षेत्र में लैंगिक रूढ़ियों को तोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने अपनी यात्रा में कई चुनौतियों और बाधाओं का सामना किया है, लेकिन उसकी दृढ़ता और दृढ़ संकल्प ने उन सभी को दूर करने में उसकी मदद की है। उनकी कहानी हमें याद दिलाती है कि रास्ता कितना भी मुश्किल क्यों न हो, हमें अपने सपनों को कभी नहीं छोड़ना चाहिए।
हर कार्यक्षेत्र में एक महिला होती ही है जो शुरुआत कर एक नई इबारत लिखती है।
3) लक्ष्मीकुट्टी अम्मा
वे एक आदिवासी चिकित्सक और पर्यावरणविद् हैं जिन्होंने पारंपरिक ज्ञान का उपयोग करके कई हर्बल दवाओं का विकास किया है। उन्हें पश्चिमी घाट की जैव विविधता के संरक्षण के प्रयासों के लिए भी जाना जाता है।
उनका जीवन हमें अपनी परंपराओं और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के महत्व को सिखाता है, साथ ही अपने और अपने समुदायों के लिए बेहतर भविष्य बनाने के लिए नए विचारों और तकनीकों को भी अपनाने की प्रेरणा देता है।
ममता का ये स्वरूप हमें प्रकृति से प्रेम सिखाता है।
4) भानु अथैया
फिल्म गांधी के लिए सर्वश्रेष्ठ कॉस्ट्यूम डिजाइन का ऑस्कर अवार्ड जीतने वाली पहली भारतीय थीं। उन्होंने कई अन्य भारतीय और अंतरराष्ट्रीय फिल्मों के लिए भी पोशाकें डिजाइन कीं। उनका जीवन दुनिया को बदलने के लिए रचनात्मकता और नवीनता की शक्ति का एक वसीयतनामा है। वह हमें लीक से हटकर सोचने और दुनिया में सकारात्मक प्रभाव डालने के लिए अपनी प्रतिभा और कौशल का उपयोग करने के लिए प्रेरित करती हैं।
ग्लोबल स्टेज पर भारत की महिलाओं ने कमाल किया है।
5) चंद्रो तोमर (1932 – 2021)
वे एक शार्पशूटर और दुनिया की सबसे बुजुर्ग (लगभग 80 वर्ष) महिला शार्पशूटर थीं। उन्होंने कई महिलाओं को शूटिंग को एक खेल के रूप में अपनाने के लिए प्रेरित किया और ग्रामीण भारत में लैंगिक रूढ़ियों को तोड़ने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उनका जीवन हमें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए चुनौतीपूर्ण सामाजिक मानदंडों और रूढ़ियों के महत्व को सिखाता है, और कभी भी उम्र या लिंग को हमारे सपनों के लिए बाधा नहीं बनने देता है।
खेलकूद और कॉम्पिटिटिव गेम्स में भारतीय महिलाओं ने कमाल किया है।
6) रानी वेलु नचियार
शिवगंगई की रानी, जिन्होंने 18वीं शताब्दी में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। वह अंग्रेजों के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध रणनीति का इस्तेमाल करने वाली पहली भारतीय शासकों में से एक थीं। उनका जीवन हमें विपरीत परिस्थितियों में साहस, दृढ़ संकल्प और नेतृत्व का महत्व सिखाता है।
युद्ध क्षेत्र में भी महिलाओं का योगदान अद्भुत रहा है।
सारांश
इन सभी प्रेरक महिलाओं से एक कॉमन सबक जो सीख सकते हैं वह, दृढ़ संकल्प, रूढ़िवादिता को तोड़ना और सामाजिक मानदंडों को चुनौती देना। उन सभी को अपनी यात्रा में महत्वपूर्ण चुनौतियों और बाधाओं का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने अपने लक्ष्य को कभी नहीं छोड़ा। आज जब भारत में महिलाओं की श्रम बल में भागीदारी लगातार गिरते हुए 20 प्रतिशत से भी नीचे गिर गई है, ऐसे में इन महिलाओं की कहानी से समाज को सबक लेना चाहिए।
आज का करिअर फंडा है कि भारत की महिलाओं की अनसुनी एक्सट्राऑर्डिनरी कहानियां हमारे चारों ओर बिखरी पड़ी हैं, जिनसे हम अपने जीवन के लिए सबक ले सकते हैं।
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