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भोपाल से दिल्ली, ट्रेन के सफर की चुनिंदा तस्वीरें:मुंह पर मुस्तैद मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग को बनाए गोलों में पड़ते पैर और डर से मुसाफिर ऐसे सहमे कि बात करने से भी कतरा रहे हैं
नई दिल्ली2 वर्ष पहलेलेखक: अक्षय बाजपेयी
स्टेशन पर ट्रेन भी है। यात्री भी हैं। अगर कुछ नहीं है, तो वो है रौनक। स्टेशन पर लगने वाले स्टॉल से जो रौनक पहले आती थी, वो अब नहीं है क्योंकि यहां स्टॉल खोलने की इजाजत अभी मिली नहीं है।
- कैसे बदला कोरोना के बीच रेल का सफर, भोपाल एक्सप्रेस से दिल्ली निजामुद्दीन स्टेशन तक के सफर की तमाम तस्वीरें
- तस्वीरों में खाली बर्थ के बीच ड्यूटी निभाने को पीपीई किट पहने एसी मैकेनिक और हेल्पर से लेकर फेस शील्ड के पीछे कैद टीटीई तक
कोरोना के बाद बदले हालात के बीच 100 जोड़ी ट्रेन एक दिन पहले ही पटरियों पर लौटी हैं। अब तक सिर्फ श्रमिक एक्सप्रेस ही सरकार ने मजबूरन धक्का देकर दौड़ाईं थी।
लॉकडाउन के बाद सोशल डिस्टेंसिंग की एहतियात और संक्रमण के खतरे के बीच कैसे बदला रेल का सफर ये महसूस करवाने भास्कर संवाददाता अक्षय बाजपेयी बीती रात भोपाल के हबीबगंज स्टेशन से ट्रेन में सवार हुए और आज सुबह निजामुद्दीन पहुंचे।
हबीबगंज स्टेशन से लेकर निजामुद्दीन स्टेशन तक और ट्रेन डिब्बे के भीतर से लेकर इंजन तक की खास तस्वीरें लेकर आए हैं आपको इस सफर का मुआयना करवाने।
ट्रेन में एसी कोच की बजाय स्लीपर कोच में थोड़ी रौनक जरूर थी, लेकिन लोग एक-दूसरे से बात करने से बच रहे थे।
ट्रेन में पीपीई किट पहनकर काम करते कर्मचारी।
यात्रियों ने सीट पर सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखी, घर से ही चादर लेकर आए।
हजरत निजामुद्दीन स्टेशन पर आरपीएफ जवान तैनात थे, तो उन्होंने ट्रेन से उतरे यात्रियों को लाइन लगाकर बाहर किया। लेकिन, बाहर निकलते ही यात्री फिर एक साथ जुटने लगे।
स्टेशन से बाहर आते ही लोग फुटपाथ पर जगह-जगह आकर बैठ गए।
सफर करने वालों में बुजुर्ग भी शामिल थे। कुछ बुजुर्ग ऐसे भी थे, जिनके साथ अपना कोई नहीं था।
स्टेशन पर जबलपुर, बेंगलुरु और भोपाल से आने वाली ट्रेनों में कई ऐसे भी लोग थे, जो महीनों से इधर-उधर फंसे थे। अपने राज्य की सीधी ट्रेन न मिलने के चलते ये लोग पहले दिल्ली आए। अब यहां से दूसरी ट्रेन पकड़कर घरों को जाएंगे।
स्टेशन से बाहर आने के बाद धूप से बचने के लिए लोग पेड़ के नीचे बैठ गए। लेकिन, धूप से बचने के चक्कर में सोशल डिस्टेंसिंग को भूल गए।
महीनों से दूसरे राज्यों में फंसे लोग जब अपने राज्य पहुंचे, तो उनके चेहरे भले ही ढंके थे, लेकिन खुशी जरूर दिख रही थी।
स्टेशन के अंदर चार लोगों के बैठने वाली कुर्सियों पर अब दो ही लोग बैठ रहे हैं। कुर्सी पर दो ही बैठें, इसके लिए बीच की दो कुर्सियों पर क्रॉस मार्किंग कर दी है।
स्टेशन के गेट के बाहर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो, इसके लिए एक मीटर की दूरी पर मार्किंग की गई है। आरपीएफ के जवान भी यात्रियों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवा रहे हैं।
रेलवे प्लेटफॉर्म पर भी एक मीटर की दूरी पर मार्किंग है, लेकिन ट्रेन से उतरने के बाद लोग इन मार्किंग की तरफ ध्यान ही नहीं देते।
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पहली रिपोर्ट : भोपाल से दिल्ली, ट्रेन का सफर / पहली बार इस ट्रेन की आधी सीटें खालीं, डर इतना की लोग आपस में बात करने से भी बच रहे थे
दूसरी रिपोर्ट : भोपाल से दिल्ली, ट्रेन का सफर / आरपीएफ-जीआरपी जवानों को देखते ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते दिखे लोग, उन्हें डर था कि यात्रा से ना रोक दिया जाए
तीसरी रिपोर्ट : भोपाल से दिल्ली, ट्रेन का सफर / दिल्ली में स्टेशन के बाहर निकलते ही खत्म हो गई सोशल डिस्टेंसिंग, सिर्फ गेट से निकलने के लिए आरपीएफ जवान ने लाइन लगवाई