- ग्रीन बजट में गिनाए थे 26 एजेंडे, आधे अब भी अधूरे
- 11 बजे से दो बजे तक चलेगा सत्र, राज्यपाल अनिल बैजल अभिभाषण में गिनाएंगे सरकार के काम
- एक हजार इलेक्ट्रिक बस को लेकर विभागों में कैबिनेट नोट, फैसला बाकी
नई दिल्ली. दिल्ली विधानसभा का बजट सत्र शुक्रवार को शुरू हो रहा है। साल के पहले सत्र में पहले दिन उपराज्यपाल अनिल बैजल का अभिभाषण 11 बजे शुरू होगा। भाजपा दिल्ली में आम आदमी पार्टी की तरफ से मतदाताओं को फोन करके 30 लाख नाम भाजपा की तरफ से कटवाए जाने और फिर उनकी तरफ से जुड़वाए जाने के फोन कॉल का मुद्दा उठा सकती है।
विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने कहा है कि सत्ताधारी पार्टी ने चुनाव जीतने के लिए जो वादे किए थे, उसे पूरा करने के लिए विशेष टीम बनाने और 50 हजार करोड़ रुपए रखने की मांग करेंगे। पिछले साल के आउटकम बजट के साथ ग्रीन बजट का हिसाब-किताब भी वित्तमंत्री मनीष सिसोदिया को देना होगा। ऐसे में भास्कर ने ग्रीन बजट के नए कांसेप्ट में शामिल परिवहन विभाग, पर्यावरण, लोक निर्माण विभाग और ऊर्जा विभाग के 26 प्वाइंट को स्कैन किया। सामने आया िक आधे से ज्यादा योजनाएं आगे ही नहीं बढ़ पाईं।
दिल्ली कैबिनेट ने जुलाई, 2018 में बस स्टडी के लिए डिम्ट्स को मौका दिया जिसकी रिपोर्ट जनवरी, 2019 में आई। अभी तक इलेक्ट्रिक बसें किस तरह से उतारी जाएंगी, इसका फैसला नहीं हो पाया है। सालाना इन बसों को उतारने में 700 करोड़ रुपए खर्च होने हैं जिसमें सब्सिडी के 750 करोड़ रुपए और हर साल 530 करोड़ रुपए बस चलाने में होने वाला घाटा शामिल है। कैबिनेट मुहर बेशक एकसाथ 1000 बसें 4 क्लस्टर में उतारने की लगाएगी लेकिन जैसे-जैसे डिपो पर्यावरण क्लीयरेंस और पेड़ काटने की मंजूरी के साथ तैयार होंगे और ऊर्जा विभाग चार्जिंग सिस्टम के लिए कनेक्शन देगा, उसी तरह एक-एक कल्स्टर में 250-250 बसें उतारी जाएंगी।
16 किमी का साइकिल ट्रैक नहीं उतरा जमीन पर : लोक निर्माण विभाग ने 16 किमी साइकिल ट्रैक शुरू करने की घोषणा की थी लेकिन अभी तक जमीन पर नहीं उतरी है। न ही पीडब्ल्यूडी की सड़कों पर सभी लाइट एलईडी में बदली गई। सड़क किनारे लैंड स्केपिंग करके धूल उड़ने से रोकने की स्कीम भी सिरे नहीं चढ़ सकी है।
इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी विचाराधीन : इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी का ड्राफ्ट आया, फाइनल नहीं हुआ। बजट में कहा गया था कि भारत स्टेज-दो और तीन के वाहनों को रिप्लेस करने के लिए स्कीम लाएंगे। लेकिन पॉलिसी ही फाइनल नहीं हुई है। वहीं कंपनी से फिट सीएनजी वाली कार लेने पर रजिस्ट्रेशन चार्ज में 50%की छूट देने की स्कीम भी 10 महीने बीतने के बाद फाइनल नहीं हो सकी है।
प्रदूषण बताने वाले डिस्प्ले नहीं हुए शुरू : पर्यावरण विभाग ने नागरिकों को प्रदूषण पर सतर्क और जागरूक करने के लिए सरकारी व भीड़भाड़ वाले दफ्तरों में एक हजार डिस्प्ले बोर्ड लगाने थे लेकिन ये योजना सिरे नहीं चढ़ सकी है। इतना ही नहीं वर्ल्ड बैंक की टीम के साथ प्रदूषण के पूर्वानुमान का मॉडल भी अभी तक सामने नहीं आया है।
बिल्डिंग एनर्जी एफिसिएंसी प्रोग्राम भी नहीं हुआ शुरू : सरकार को बिल्डिंग एनर्जी एफिसिएंसी प्रोग्राम शुरू करना था जिसमें सरकारी कार्यालय और इमारतों में बिजली खपत का ऑडिट कराकर उसे कम करना था। ये भी शुरू नहीं हो सका है।
नहीं उतार पाए इलेक्ट्रिक फीडर बसें : डीएमआरसी को 47 रूट पर 427 एसी इलेक्ट्रिक बसें उतारनी थी लेकिन अभी तक टेंडर फाइनल नहीं कर पाई है। एक टेंडर कैंसिल करना पड़ा तो अभी क्लस्टर स्कीम में दो टेंडर का आंकलन चल रहा है।