नई दिल्ली. दिल्ली विधानसभा चुनाव में पार्टियां नाम और काम के दम पर वोट मांग रही हैं, लेकिन जिन उम्मीदवारों के नाम पर वे वोट मांगती आई हैं, उनमें से कई आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं। इसका अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि 2008 से 2015 के बीच दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की संख्या तो 23% घट गई, लेकिन आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों की हिस्सेदारी 3% तक बढ़ गई।
2008 में ऐसे सबसे ज्यादा उम्मीदवार कांग्रेस के थे, तो 2008 में यह रिकॉर्ड भाजपा के नाम दर्ज हो गया। चौंकाने वाली बात यह है कि 2013 से 2018 के दौरान सत्ताधारी आम आदमी पार्टी में आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों की संख्या करीब 5 गुना तक बढ़ गई। ये खुलासा चुनाव सुधार और चुनाव प्रक्रिया की निगरानी करने वाले संगठन एडीआर- इलेक्शन वॉच की ताजा रिपोर्ट में हुआ है।
2013-15 में ‘आप’ में आपराधिक मामलों वाले प्रत्याशी 5 गुना बढ़े
2008 के चुनाव में कुल 790 उम्मीदवारों में से 111 आपराधिक मामलों वाले थे। हालांकि 2008 में ये 16% घटकर 129 हो गए, लेकिन कुल उम्मीदवारों में हिस्सेदारी 2% बढ़ गई। 2015 में कुल उम्मीदवारों की संख्या 15% से ज्यादा घट गई, लेकिन आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों की हिस्सेदारी बढ़कर 17% हो गई।
चुनाव | कुल | दागी | हिस्सेदारी |
2008 | 790 | 111 | 14% |
2013 | 796 | 129 | 16% |
2015 | 673 | 114 | 17% |
2015 में 11% प्रत्याशियों के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज थे।
आपराधिक मामलों वाले सबसे ज्यादा प्रत्याशी भाजपा में
2008 के चुनाव में आपराधिक मामलों वाले सबसे ज्यादा 67 उम्मीदवार कांग्रेस के थे। भाजपा के 63, बसपा के 64, सपा के 31, लोजपा के 37 और एनसीपी के 15 उम्मीदवारों पर केस दर्ज थे। 2015 में ऐसे सबसे ज्यादा 31 उम्मीदवार भाजपा के थे। इनके अलावा कांग्रेस के 15, बसपा के 14, जदयू के 8 और आप के 5 उम्मीदवार ऐसे थे।
पार्टी | 2008 | 2013 | 2015 |
भाजपा | 35% | 46% | 39% |
कांग्रेस | 30% | 21% | 30% |
आप | 0% | 7% | 33% |
बीएसपी | 23% | 21% | 17% |
जेडीयू | 9% | 30% | -- |
एलजेपी | 22% | 25% | -- |
2015 में आपराधिक मामलों वाले 24 (34%) उम्मीदवार चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंचे थे।
बीएसपी अकेली पार्टी, जिसमें लगातार घट रहे आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवार
चौंकाने वाली बात यह है कि 2003 से 2015 तक आपराधिक मामलों वाले प्रत्याशियों की हिस्सेदारी बढ़ी है, लेकिन मायावती की बहुजन समाज पार्टी इकलौती है, जिसमें यह संख्या हर बार घटी है। 2008 में पार्टी में ऐसे 23% उम्मीदवार थे। 2013 में ये 21% हो गए और 2015 के चुनाव में 17% थे।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.