नई दिल्ली (अखिलेश कुमार). सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक सुनवाई के दौरान पटाखों के पीछे पड़े हैं, जबकि प्रदूषण बढ़ाने में वाहनों की बड़ी भागीदारी है। इसलिए केंद्र के पास पटाखे और वाहनों के प्रदूषण का तुलनात्मक अध्ययन हो तो दे। इस मामले में भास्कर ने विशेषज्ञों से बात कर जाना कि किस तरह वाहनों से निकलने वाला धुआं जहर का काम कर रहा है। वहीं राजधानी में वाहनों के रजिस्ट्रेशन की बात करें तो वर्किंग डेज की बात करें हर दिन 1900 वाहन रजिस्टर होते हैं। अगर छुट्टी का दिन शामिल कर लें तो हर दिन 1145 वाहन रजिस्टर होते हैं।
1) सुप्रीम कोर्ट की वाहनों से ज्यादा पॉल्यूशन होने की टिप्पणी को लेकर भास्कर ने जाना पूरा गणित
वाहनों से बढ़ने वाले प्रदूषण को लेकर एनवायरमेंट एक्सपर्ट और वकील अनिल सूद ने भास्कर को बताया 2015 में आईआईटी, कानपुर की टीम ने दिल्ली में प्रदूषण को लेकर अध्ययन किया था। उसमें साफ किया गया है प्रदूषण में 18% भागीदारी वाहनों के प्रदूषण की है। ऐसे में शेष 82% प्रदूषण का सही आंकलन जरूरी है। सर्दी में पराली से दिल्ली में प्रदूषण की बात करते हैं जबकि 56% टाइम में हवा पश्चिमी रहती है तो फिर पंजाब की हवा यहां कैसे पहुंचती है?
दिल्ली में 28 फरवरी तक रजिस्टर्ड वाहनों की संख्या 1,13,62,952 पहुंच गई है। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से तय सीमा पेट्रोल (15 साल) और डीजल (10 साल) को मानें तो वैध रजिस्ट्रेशन वाले वाहनों की संख्या 74.63 लाख। इनमें 5.20 लाख डीजल व 5.42 लाख सीएनजी वाहन हैं। 1 सितंबर, 2018 से 28 फरवरी, 2019 के बीच 3,22,921 वाहन बढ़ गए हैं ।
अनिल सूद ने बताया कि पीएम-10 सबसे ज्यादा एनएचएआई निर्माण, पीडब्ल्यूडी व डीएमआरसी के कास्टिंग यार्ड में छिड़काव नहीं होने से बढ़ता है। सूद का कहना है एयरक्राफ्ट 1 मिनट में 240 लीटर एटीएफ खर्च करते हैं। हर उड़ान में दिल्ली के ऊपर 10 मिनट तक रहते हैं। हवाई जहाज उतरने के बाद रुकने तक 300 लीटर, और 700 लीटर टेक ऑफ में जल जाता है। ऐसे रोज 1209 एयरक्राफ्ट में 42 लाख लीटर एटीएफ जलता है। पूरी दिल्ली में हर दिन 26 लाख लीटर पेट्रोल बिकता है जबकि 13 लाख लीटर एटीएफ खपत है। एक एयरबस 300 डीजल कार के बराबर प्रदूषण कण छोड़ती है। यानी सभी का जोड़ लें तो आंकड़ा 3.13 लाख डीजल कार के प्रदूषण के बराबर पहुंचता है। इस पर किसी का ध्यान नहीं है।
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