राजनीति में नेता टिकट का भूखा हाेता है, लेकिन केरल में भाजपा ने जब 112 प्रत्याशियों की लिस्ट जारी की, तो इसमें से एक व्यक्ति ने टिकट लेने से ही मना कर दिया। उसका नाम है, मानिकनंदन सी। 30 साल के मानिकनंदन, राहुल गांधी की संसदीय सीट वायनाड जिले के मानिंदवाणी विधानसभा के एक सुदूर ट्राइबल कॉलोनी में रहते हैं। वह आदिवासी पनिया कम्युनिटी से आते हैं। मानिंदवाणी एसटी सीट है, भाजपा ने उन्हें इसी सीट से उम्मीदवार बनाया था। मानिकनंदन पनिया समुदाय से एकमात्र युवा हैं, जिन्होंने MBA किया हुआ है। वे यहीं केरल वेटरनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी वायनाड के वाइल्ड लाइफ डिपार्टमेंट में टीचिंग असिस्टेंट हैं।
केरल में चुनावी हुड़दंग के बीच मानिकनंदन सुबह 9 से शाम 4 बजे तक अपनी यूनिवर्सिटी में ही व्यस्त रहते हैं। मीडिया से लेकर नेता तक उन्हें ढूंढ रहे हैं, लेकिन वह बहुत कम ही किसी के हाथ आ रहे हैं। दरअसल वह इन सबसे बचना चाह रहे हैं। काफी प्रयास के बाद और अपने हेड ऑफ डिपार्टमेंट के कहने पर वह मुझसे मिलने को तैयार हुए।
मानिकनंदन यूनिवर्सिटी से अपने गांव तक रोज बस से ही आते-जाते हैं। यूनिवर्सिटी से लौटते वक्त एक दिन देर शाम करीब 6 बजे के आसपास उन्होंने मुझे मिलने के लिए लोकेशन भेजी। यह जगह मानिंदवाणी के नजदीक एक छोटे कस्बे की थी। मैं पहुंचा तो वह मुझसे सड़क किनारे ही अंधेरे में बात करना चाह रहे थे। काफी रिक्वेस्ट के बाद वह एक नजदीकी चाय की दुकान पर जाने के लिए तैयार हुए। यहां चाय ऑर्डर होने के साथ हमारी बातचीत शुरू हुई।
नहीं, मुझे बिल्कुल पता नहीं था। मुझे कैंडिडेट बनने की बात TV से पता चली। यहां मेरा नाम चल रहा था, तो मैं दंग रह गया। इसके बाद कुछ डिस्ट्रिक्ट और स्टेट लेवल के लीडर मुझे फोन करके बधाई देने लगे, मैंने उन सभी से तुरंत कह दिया कि मुझे टिकट में इंटरेस्ट नहीं है। सच बताऊं, तो मैं अपनी जॉब पर फोकस करना चाहता था, इसलिए टिकट रिजेक्ट किया।
पहली बात मुझे भाजपा की पॉलिटिक्स पसंद नहीं है, वह जो कर रहे हैं, उसके जरिए मेरी कम्युनिटी का विकास संभव नहीं था। मेरी कम्युनिटी भाजपा के रूल को पसंद नहीं करती है। दूसरी बात भाजपा से यहां जीतने की संभावना भी कम थी।
लिस्ट जारी होने के अगले दिन करीब 15 भाजपा नेता मेरे घर आए, यहां हमारी उनसे 5 घंटे तक चर्चा हुई। एक तरफ वे 15 थे और एक ओर मैं अकेला। सभी ने मुझे बहुत समझाया, लेकिन मैं अपने स्टैंड पर कायम रहा। आखिर में भाजपा के स्टेट प्रेसिडेंट के. सुरेंद्रन ने मुझे फोन किया और बधाई दी, मैंने उन्हें धन्यवाद दिया, लेकिन टिकट लेने से मना कर दिया। फिर उन्होंने तुरंत फोन काट दिया।
किसी का कोई प्रेशर नहीं था, यह मेरा खुद का फैसला था। आप ये जानिए, मेरे पास किसी भी पार्टी की मेंबरशिप नहीं है। यहां तक कि मैं किसी भी ट्राइबल ऑर्गेनाइजेशन का सदस्य भी नहीं हूं।
बिल्कुल नहीं, कांग्रेस और सीपीएम ने भी आज तक किसी को टिकट नहीं दिया। भाजपा ने दिया, इसके लिए शुक्रिया। दरअसल, वायनाड में 6 ट्राइब्स हैं। इनमें पनिया सबसे अधिक जनसंख्या वाली ट्राइब्स है, लेकिन ये हमेशा उपेक्षित रहे हैं। कुरचिया ट्राइब्स अगड़े लोग हैं। ये जनरल कास्ट जैसे हैं। इसी समुदाय के लोगों को LDF और UDF यहां टिकट देती हैं। मौजूदा विधायक ओरआर केडू कुरचिया ही हैं।
पनिया लोग बहुत खुश हैं, टिकट वापस करने के बाद मैं ताे पैनिक में आ गया था। लेकिन लोगों ने मुझे सपोर्ट किया।
यही तो दिक्कत है, किसी ने कुछ नहीं किया। आप मेरी ट्राइब्स कॉलोनी में आएंगे तो देखेंगे कि कोई डेवलपमेंट नहीं है। LDF और UDF ने लोगों की जिंदगी में खुशहाली लाने के लिए कुछ नहीं किया है। हमारी कम्युनिटी से आज तक कोई विधायक नहीं बना। ये बैकवर्ड कम्युनिटी है। एजुकेशन और लैंड ही हमारे सबसे बड़े इश्यू हैं। पनिया लोगों के पास लैंड नहीं है।
सोचिए, मैं इस कम्युनिटी से MBA करने वाला एकमात्र व्यक्ति हूं, मैंने 2013 में MBA किया था, तब से किसी ने नहीं किया। कोई डॉक्टर नहीं है, सिर्फ एक इंजीनियर है। किसी के पास परमानेंट जॉब नहीं है। लोगों के घरों में बेसिक फैसिलिटी नहीं है। जबकि एक लाख से ज्यादा लोग यहां इस कम्युनिटी के हैं।
मौका तो था, पर मुझे लगता हे यह भाजपा के जरिए संभव नहीं था। इसलिए नहीं आया राजनीति में। मैं अपनी यूनिवर्सिटी की ओर से एक ट्राइब प्रोजेक्ट पर काम कर रहा हूं। इसमें बीपीएल परिवारों की जिंदगी और आजीविका को कैसे बेहतर किया जाए, उस पर मैं काम कर रहा हूं।
यूडीएफ को।
हां, मैं राहुल गांधी को पसंद करता हूं। उन्होंने यहां ट्राइब्स लोगों के लिए कई अच्छे काम किए हैं। कोविड के वक्त ट्राइब्स के बच्चे पढ़ाई कर सकें, इसके लिए उन्होंने टीवी और प्रोजेक्टर जैसी चीजें मुहैया कराई हैं। अब जिला अस्पताल में भी पहले से अच्छी सुविधाएं मिल रही हैं। नि:शुल्क इलाज भी हो रहा है। हालांकि उन्हें अभी यहां और भी बहुत कुछ करने की जरूरत है। कुछ समय पहले राहुल आए थे, यहां उनका एक कार्यक्रम था, तब मैंने उनसे एक रिप्रजेंटेटिव के तौर पर बात की थी। अपने प्रोजेक्ट के बारे में भी बताया था।
वैसे मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पसंद करता हूं। उनका एडमिनिस्ट्रेटिव लीडरशिप बहुत बढ़िया है। तभी वो दूसरी बार जीते भी।
गॉड विल डिसाइड। वैसे, मेरे पास सोचने के लिए अभी 5 साल हैं। हां, एलडीएफ और यूडीएफ की ओर से मौका मिला तो जा सकता हूं, लेकिन मैं काम अपनी कम्युनिटी के लिए ही करूंगा। एक बात और अभी मुझे पब्लिसिटी नहीं चाहिए, मुझे मेरी फैमिली के साथ छोड़ दें।
नहीं, अभी इसी फरवरी में मेरी शादी हुई है। पत्नी मेरी कालीकट में नर्स थीं। शादी के चलते उन्होंने जॉब छोड़ दी, वह वायनाड आ गईं। मैं हनीमून के लिए प्लान कर रहा था, इसी दौरान यह सब हो गया, मैं तीन दिन तक बहुत पैनिक रहा। फिर पत्नी ने बहुत समझाया। उसके बाद से सब सेटल डाउन करने में ही लगा हूं। मैंने अरेंज मैरिज की है, इसलिए पत्नी को पहले से मेरे बारे में बहुत कुछ पता नहीं था।
मैं सोशल मीडिया पर बहुत एक्टिव हूं, यहां पर अपनी कम्युनिटी के लोगों की समस्याएं उठाता रहता हूं, यहीं से तो भाजपा नेताओं ने मुझे जानना शुरू किया, कई बार उनके कमेंट भी आते थे। सोशल मीडिया पर मैं काफी पॉपुलर हूं। इसके अलावा मैं ट्राइब्स कॉलोनी में विजिट करता रहता हूं। किताबें पढ़ता हूं। लोगों के बीच में रहना पसंद करता हूं।
मानिकनंदन से बातचीत करते-करते कब रात के साढ़े आठ बज गए, पता ही नहीं चला। यहां दुकाने भी बंद होने लगी हैं। केरल में ज्यादातर बाजार 9 बजे तक बंद हो जाते हैं। मानिकनदंन कहते हैं- अब मुझे चलना होगा, यहां से 25 किमी दूर मेरी कॉलोनी है। मैंने पूछा- फिर कैसे जाएंगे, बोले- बस आती होगी। यहां छोटे-बड़े कस्बे के लिए नियमित अंतराल पर बसें आसानी से मिल जाती हैं। चलते-चलते मानिकनदंन कहते हैं- अच्छा फिर बात होगी, तब तक उनकी बस भी आ जाती है।
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