पाएं अपने शहर की ताज़ा ख़बरें और फ्री ई-पेपर
Install AppAds से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप
तमिलनाडु हिंदी विरोधी आंदोलन के लिए भी जाना जाता है, लेकिन अब हालात बदल रहे हैं। उत्तर भारतीय मतदाता भले ही यहां निर्णायक स्थिति में न हों, लेकिन इस राज्य के कई शहरों में एक बड़ा वोट बैंक जरूर बन चुके हैं। यही कारण है कि कभी उत्तर भारतीयों का विरोध करने वाले नेता इन वोटरों को रिझाने के लिए सबकुछ करते नजर आ रहे हैं। कहीं प्रत्याशी राजस्थानी पगड़ी पहन रहे हैं तो कहीं गरबा करते दिख रहे हैं। और तो और होली उत्सव में भी नजर आ रहे हैं। द्रविड़ आंदोलन मूर्ति पूजा विरोधी रहा है, लेकिन इसी के जनक पेरियार के वंशज अब जैन मंदिरों में पूजा करते नजर आ रहे हैं।
कोयंबटूर का राजस्थान भवन, व्यस्त धनीराम कहते हैं कि आज कमल हासन आ रहे हैं। कमल हासन को राजस्थानी पगड़ी पहनाई जाती है। यह बात अलग है कि असहज, भौचक्के कमल इसे तत्काल उतार देते हैं। उनके भाषण में उत्तर भारतीयों के तमिलनाडु के विकास में योगदान का जिक्र है तो राजस्थान के पालीताणा जैन मंदिर और महात्मा गांधी का भी। दैनिक भास्कर द्वारा उनके हिंदी और हिंदू विरोधी पुराने बयानों के सवाल पर वे कहते हैं- मैं हिंदी-हिंदू का विरोधी नहीं, तमिल की महानता का पक्षधर हूं। वे कहते हैं एक राज की बात बताऊं मेरे बच्चे मुझे 'बापू' कहते हैं। बता दें ये वही कमल हासन हैं जिनके 'भारत का पहला आतंकवादी हिंदू था' वाले बयान पर बवाल मच चुका है।
समरसता ही तो भाजपा का विजन है : स्मृति
कोयंबटूर के गुजराती समाज का भवन, अवसर है होली मिलन समारोह का। ढोल की थाप पर परंपरागत परिधान में नाचते युवा। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के साथ गरबा करती नजर आ रहीं यह कोई और नहीं बल्कि भाजपा की राष्ट्रीय महिला अध्यक्ष और प्रत्याशी वानिथी श्रीनिवासन हैं। दरअसल जहां से वह चुनाव लड़ रही हैं, वहां लगभग 15 हजार उत्तर भारतीय मतदाता हैं। भास्कर के सवाल पर स्मृति कहती हैं- यह समरसता ही तो भाजपा का विजन है।
18 हजार तो सिर्फ उत्तर भारतीय वोटर हैं
टैक्सटाइल हब इरोड का एक जैन मंदिर। मंदिर की सीढ़ियों से उतर रहे यह शख्स कोई और नहीं, कांग्रेस प्रत्याशी राम इलांगोवन हैं। प्रचार के दौरान जैन मंदिर में पूजा कर बाहर निकल रहे हैं। राम, कोई और नहीं बल्कि हिंदी और मूर्ति पूजा के घोर विरोधी तमिल राष्ट्रपिता कहे जाने वाले रामास्वामी पेरियार के पड़पोते हैं। यू टर्न के सवाल पर वे कहते हैं, 'पेरियार को गलत पेंट किया गया, वह हिंदू संस्कृति के विरोधी नहीं बल्कि महान तमिल संस्कृति के पक्षधर थे।' उत्तर भारतीयों की तेजी से वृद्धि इसी से समझी जा सकती है। टैक्सटाइल हब इरोड में 1947 में कराची से सिर्फ एक हिंदू परिवार आया था। 1975 तक सिर्फ 9 परिवार थे। आज लगभग 18 हजार तो सिर्फ उत्तर भारतीय वोटर हैं।
हर बड़ी इंडस्ट्री पर उत्तर भारतीयों का कब्जा
कभी उत्तर भारतीयों के लिए हिकारत भरा 'वंदेरी' (बाहरी प्रवासी) जैसा संबोधन अब कम ही सुनने में आता है। चेन्नई, कोयंबटूर , इरोड, सेलम, तिरची, मदुरै, तिरुपुर जैसे शहरों मे उत्तर भारतीयों की आबादी 50 हजार से लेकर 2 लाख तक है। वहीं, ऊटी, मन्नारगुड़ी, कुन्नूर जैसे छोटे शहरों में भी 10 से 20 हजार तक है। चेन्नई का बड़ा व्यावसायिक केंद्र साहूकार पेठ है तो सेलम का सेवा पेठ। चेन्नई के बड़े उद्योगपति नवल राठी कहते हैं- बड़े उद्योग समूहों को छोड़ दें तो 21 लाख करोड़ की GDP में बड़ा योगदान उत्तर भारतीय व्यापारियों और वर्कर का है।
GST के आंकड़े देखिए, वह खुद बता देंगे कि टेक्सटाइल स्टील, केमिकल, दवा, प्लाईवुड, मेटल, कोयला आदि के इंपोर्ट-एक्सपोर्ट और थोक व्यापार में उत्तर भारतीयों का क्या योगदान है। सोने-चांदी ,कपड़ा व्यापार और फाइनेंस पर तो लगभग हर छोटे-बड़े शहर में लगभग उत्तर भारतीयों का ही कब्जा है। लगभग 40 साल पहले बसना शुरू हुए इन उत्तर भारतीयों में अब हजारों वोटर भी हैं।
पॉजिटिव- व्यक्तिगत तथा पारिवारिक गतिविधियों में आपकी व्यस्तता बनी रहेगी। किसी प्रिय व्यक्ति की मदद से आपका कोई रुका हुआ काम भी बन सकता है। बच्चों की शिक्षा व कैरियर से संबंधित महत्वपूर्ण कार्य भी संपन...
Copyright © 2020-21 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.