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तमिलनाडु में देश के सबसे पुराने मंदिरों में शुमार तंजावुर के बृहदेश्वर मंदिर के गुंबद की छाया भले ही जमीन पर न पड़ती हो, लेकिन कावेरी जल विवाद की छाया यहां चुनावों पर जरूर पड़ने लगी है। कर्नाटक के प्रस्तावित मेकेदातु डैम, कावेरी से पानी छोड़ने और मीथेन गैस प्रोजेक्ट को लेकर किसान केंद्र-राज्य गठबंधन से डरे हुए हैं। DMK हर तरीके से इस विवाद और डर को हवा देकर अपने पुराने गढ़ की वापसी की उम्मीद लगा रही है। 2016 में उसे 48 में से 19 तो AIADMK को 29 पर जीत मिली थी, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में क्लीन स्वीप से उत्साहित DMK, इस बार 30 के पार जा सकती है।
कावेरी डेल्टा के कडलूर, तंजावुर, तिरुचिरापल्ली, अरियलूर जैसे 8 जिलों की 38 सीटों पर किसान वोट निर्णायक हैं। अन्नाद्रमुक ने लोन माफ कर किसानों की नाराजगी को साधने की कोशिश की है, लेकिन कावेरी डेल्टा फार्मर एसोसिएशन के अध्यक्ष केवी ऐलनकीरन कहते हैं कि दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन से यहां के किसानों की सहानुभूति, लोन माफी को बेअसर कर रही है। द हिंदू के ब्यूरो चीफ गणेशन कहते हैं कि कावेरी डेल्टा को प्रोटेक्टेड एग्रीकल्चर जोन घोषित घोषित किया गया है, लेकिन किसान इस बात से डरे हैं कि AIADMK सत्ता में आई तो वह भाजपा के दबाव में गैस उत्खनन प्रोजेक्ट को रोक नहीं पाएगी।
ऐसी आशंका कर्नाटक के प्रस्तावित मेकेदातू बांध का विरोध कर रहे कावेरी फार्मर एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी पीआर पांडियन भी जताते हैं। वे कहते हैं कि बांध से सिर्फ कावेरी बेल्ट ही नहीं, 32 जिलों के किसान और आम जनता भी प्रभावित होगी। येदियुरप्पा ने बांध के लिए 9,000 करोड़ का बजट रखा है। भाजपा की चुप्पी के चलते किसान अन्नाद्रमुक गठबंधन से भी नाराज हैं। DMK भी इस आशंका और विवाद को जमकर हवा दे रही है। तिरुचिरापल्ली, तंजावुर, मन्नारगुड़ी में इसका खासा असर भी दिख रहा है।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट में 35 साल कानूनी लड़ाई लड़ने वाले कावेरी फार्मर एसोसिएशन के एस. रंगनाथन कहते हैं कि मौजूदा मुख्यमंत्री (EPS) में जयललिता जैसी काबिलियत तो नहीं है, लेकिन केंद्र और तमिलनाडु के बीच मौजूदा समीकरण प्रदेश हित में हैं। एक मुद्दा नागपट्टनम बंदरगाह के अधूरे वादों को लेकर भी है। मछुआरों को अपना रोजगार छिन जाने की आशंका है।
लेकिन, सीनियर पॉलिटिकल रिपोर्टर राजाराम कहते हैं कि इस सब के बावजूद एंटी इनकंबेंसी लगभग न के बराबर है। 2016 में यहां 3 सीटों पर भाजपा तीसरे स्थान पर रही थी। फिलहाल 2 सीटों पर लड़ रही भाजपा की संभावना पर वे कहते हैं कि 'ब्लड बाथ' यहां के DNA में ही नहीं है। वैसे एक बात तो है छोटे से गांव में भी मोदी जाना-पहचाना नाम हैं।
धान का कटोरा में किसान आंदोलन से सहानुभूति
दक्षिण का धान का कटोरा 'मन्नारगुडी माफिया' के लिए बदनाम शशिकला की जन्मस्थली है, तो 5 बार CM रहे करुणानिधि की भी। नागपट्टनम जैसा ऐतिहासिक बंदरगाह भी यही हैं तो गज तूफान में 30 लाख से ज्यादा नारियल पेड़ की तबाही का गवाह भी यही है। कावेरी बेल्ट, कभी दलित मजदूरों और जमीदारों के खूनी संघर्ष में 44 लोगों के जिंदा जला देने का भी ये साक्षी रहा है तो तंजौर, तिरची, कुंभकोणम की धार्मिक सांस्कृतिक विरासत का भी। कई किसान सुधार आंदोलनों के चलते यहां कम्युनिस्टों का काफी प्रभाव रहा है।
मन्नारगुडी माफिया बीते दिनों की बात
तंजौर से लगभग 40 किलोमीटर दूर मन्नारगुडी में जन्मी शशिकला ने वीडियोग्राफी करते हुए, जयललिता को फ्रेम में ऐसा उतारा कि उनकी खास बन गईं। धीरे-धीरे नौकर, ड्राइवर से लेकर परिवार के 50 से ज्यादा लोग 'अम्मा' निवास पोयस गार्डन में जम गए। 1991 के बाद पूरे तमिलनाडु में शशिकला के करीबियों ने लूट का ऐसा आलम मचाया कि उन्हें 'मन्नारगुडी माफिया' कहा जाने लगा। 1996 में जयललिता 4 सीटों पर सिमट गई। हालांकि बाद में शशिकला माफी मांग कर फिर उनकी करीबी हो गईं, जो उनकी मौत तक बनी रहीं। बाद में भ्रष्टाचार के आरोप में 4 साल जेल काटी। अब पार्टी से भी बाहर हैं और संन्यास ले कर सियासी दंगल से भी।
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