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आप तमिलनाडु में पैदा हुए, दिल्ली में पढ़े-बढ़े हैं, मां सुप्रीम कोर्ट की वकील हैं, पत्नी लखनऊ की। उत्तर और दक्षिण के चुनाव में क्या बड़ा अंतर पाते हैं? इस सवाल पर एक छोटी सी चुप्पी के बाद खिलखिला कर हंसते हुए मोहन कुमारमंगलम कहते हैं, 'यहां के चुनाव नॉर्थ इंडिया से ज्यादा महंगे हैं।' तमिलनाडु के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित राजनीतिक परिवार के वारिस, ओमलूर से कांग्रेस प्रत्याशी कुमार मंगलम की इस हंसी में खुद की पीड़ा भी है और तमिलनाडु में 'धनतंत्र' के नीचे दबे 'लोकतंत्र' की कड़वी हकीकत भी।
इसी सवाल पर चुनाव प्रक्रिया से जुड़े रहे वरिष्ठ अधिकारी भी एक लाइन में तमिलनाडु के चुनावों मे कैश फॉर वोट की कहानी बयां कर देते हैं। वे कहते हैं, 'बेशक दूसरे राज्यों से तमिलनाडु के वोटर ज्यादा भावुक हैं, लेकिन यहां वोट सिर्फ भावना से नहीं, भाव से भी तय होते हैं।' पिछले कई चुनावों में, आयोग की जब्ती के लगातार बढ़ते आंकड़े और करोड़पति उम्मीदवारों की संख्या भी इन दावों की पुष्टि करती नजर आती है।
सबसे ज्यादा संपत्ति कमल हासन की
किसी भी दूसरे राज्य के मुकाबले तमिलनाडु में करोड़पति प्रत्याशियों की संख्या लगभग 2 गुना है। दूसरे राज्यों में जहां 30% प्रत्याशी करोड़पति हैं तो तमिलनाडु में करीब 60%। दूसरे राज्यों में जहां प्रत्याशियों की औसत संपत्ति 2-3 करोड़ के बीच है तो तमिलनाडु में 4-5 करोड़ के आसपास है। अभी जिन पांच राज्यों में चुनाव हो रहे हैं उसमें भी मुख्यमंत्री पद के सबसे धनी दावेदार तमिलनाडु और पुडुचेरी के ही हैं। तमिलनाडु में ईपीएस ने 6.7 करोड़ तो स्टालिन ने 8.8 करोड़ की संपत्ति घोषित की है। पुडुचेरी में एन रंगासामी की संपत्ति 40 करोड़ है। वही असम में सोनोवाल की 3.2 करोड़, केरल के विजयन की 1.3 करोड़ तो सबसे गरीब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की संपत्ति 16.7 लाख है। वैसे पांच राज्यों में अब तक सबसे ज्यादा 176 करोड़ की संपत्ति कमल हासन ने घोषित की है।
प्रत्याशी अच्छा, 500 भी बांटे तो जीत जाएंगे
हिंदी जानने वाले तमिल भाषी के साथ मुख्यमंत्री ईपीएस की विधानसभा एडापाड़ी से होते हुए हम सेलम की एक विधानसभा ओमल्लूर पहुंचते हैं। स्थानीय लोगों से माहौल टटोलने की कोशिश जारी है। इस कोशिश में हमारी 'भावना' और 'भाव' की गुत्थी भी सुलझती जा रही है। DMK का झंडा टांगे एक नेता कहते हैं- कांग्रेस का माहौल तो अच्छा है। DMK का भी समर्थन है। मोहन कुमार को सब चाहते भी हैं, लेकिन जीतना खर्चे पर तय करेगा। एक स्थानीय नेता कहते हैं कि अम्मा पार्टी कमजोर है, इसीलिए इस बार 1000 का भाव दे रही है। मंगलम साहब के परिवार की बड़ी इज्जत है।
सेलम स्टील प्लांट, मेडिकल कॉलेज सब कुछ दिया। यह अगर 1000 के बजाय 500 रुपए भी खर्चा कर दें तो जीत जाएंगे, नहीं तो मुश्किल है। चेन्नई के सांसद डॉक्टर कलानिधि वीरास्वामी भी सीधे-सीधे कैश फॉर वोट की बात स्वीकारते हैं। वे कहते हैं- यह संस्कृति अन्नाद्रमुक की देन है, जिसकी चपेट में अब दूसरे भी आ रहे हैं। पिछले दो चुनावों से AIADMK पैसा देकर वोट खरीद रही है। वह फिर स्पष्ट करते हैं- मैं फ्री गिफ्ट के चुनावी वादों की बात नहीं कर रहा। मैं मतदाताओं को नगद रिश्वत की बात कर रहा हूं। वैसे यह बात अलग है कि पिछले लोकसभा चुनाव में इसी के चलते DMK प्रत्याशी का चुनाव रद्द हो चुका है।
देश में पहली बार यहीं निरस्त हुए थे चुनाव
कैश फॉर वोट के सबूत मिलने पर देश में पहला चुनाव तमिलनाडु के तंजौर में ही निरस्त हुआ था। लोकसभा चुनाव में भी वेल्लूर से सांसद कथीर आनंद के करीबी से 11.5 करोड़ की जब्ती के बाद चुनाव निरस्त हुए थे। हालांकि वे उप चुनाव भी जीत गए। जयललिता के चुनाव क्षेत्र रहे आरके नगर में भी उनके भतीजे टीटीवी दिनाकरण का चुनाव निरस्त हो चुका है। यह बात अलग है कि उन्होंने रविवार को फिर बयान दिया है कि वोटर, सभी पार्टियों से पैसा ले लें, क्योंकि उनकी ही टैक्स मनी है ।
विधानसभा चुनाव में 40% जब्ती तमिलनाडु से
इस बार भी पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में आयोग नगद, कीमती धातु, शराब आदि की 350 करोड़ की जब्ती कर चुका है। इसमें से लगभग 150 करोड़, यानी 40% हिस्सेदारी अकेले तमिलनाडु की है। इसमें करीब 60 करोड़ नगद, 70 करोड़ की कीमती धातु और 15 करोड़ के गिफ्ट आइटम शामिल हैं।
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