हिमाचल विधानसभा चुनाव के लिए आचार संहिता से पहले और बाद में क्राइम के ग्राफ में काफी अंतर देखा गया है। अवैध शराब की तस्करी में आचार संहिता लगने के बाद जहां दोगुनी बढ़ोतरी देखने को मिली है, वहीं अन्य अपराध भी बढ़े हैं। ऐसे में अनुमान लगाया जा सकता है कि ड्रग तस्कर चुनाव के दौरान काफी सक्रिय हो गए हैं।
8 अक्टूबर से लेकर 14 अक्टूबर और 15 अक्टूबर से लेकर 21 अक्टूबर तक हिमाचल पुलिस की ओर से जारी किए गए आंकड़ों से साफ होता है कि चुनाव के दौरान ड्रग तस्कर एक्टिव हुए हैं।
शराब तस्करी के आंकड़े डराने वाले
...आचार संहिता लगने से पहले 8 से 14 अक्टूबर के बीच कुल 6,31,125 मिलीलीटर शराब पकड़ी गई थी।
...आचार संहिता लगने के बाद यानि 15 अक्टूबर से 21 अक्टूबर तक यह आंकड़ा 6,31,125 से बढ़कर 16,68,110 मिलीलीटर तक पहुंच गया। इसमें 10,36,985 मिलीलीटर अवैध शराब की तस्करी की बढ़ोतरी हुई है।
शिमला में बढ़ा सबसे ज्यादा चिट्टा-चरस कारोबार
चुनाव गतिविधियों के दौरान चिट्टे के अवैध कारोबार में भी अचानक से बढ़ोतरी हुई है। शिमला में सबसे ज्यादा नशे का कारोबार हो रहा है। पुलिस की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, 7 दिन पहले 108.88 ग्राम चिट्टा पकड़ा गया था, जबकि 15 से लेकर 21 अक्टूबर तक अचानक इसमें तेजी आई।
पूरे प्रदेश में 7 दिन के अंतराल के बाद ही 709.29 ग्राम चिट्टा पकड़ा गया। शिमला में 614.38 ग्राम चिट्टा पकड़ा गया। इसी तरह चरस का अवैध कारोबार भी चुनाव के दौरान फलफूल रहा है। आचार संहिता लगने के 7 दिन पहले 10.11 ग्राम चरस पकड़ी गई थी, जबकि 7 दिन के ही अंतराल के बाद 17.36 ग्राम चरस बरामद की गई है।
माइनिंग एक्ट के तहत दर्ज होने वाले केस में भी उछाल आया
हिमाचल में माइनिंग एक्ट के दौरान दर्ज होने वाले केस में भी उछाल आया है। 8 से 14 अक्टूबर तक माइनिंग एक्ट के तहत कुल 92 चालान हुए और 5,14,920 रुपए की राशि वसूली गई, जबकि 15 से 21 अक्टूबर तक 174 माइनिंग के चालान हुए और 8,47,500 रुपए का जुर्माना वसूला गया है।
24 घंटे हो रही चैकिंग
प्रदेश के सभी विधानसभा क्षेत्रों में 24 घंटें वाहनों की चैकिंग हो रही है। DGP संजय कुंडू का कहना है कि प्रदेश के सभी थाना प्रभारियों को अलर्ट पर रखा गया है। आबकारी विभाग, सर्विलांस टीम और पुलिस के जवान 24 घंटे ड्यूटी पर मुस्तैद हैं।
खासकर उत्तराखंड की सीमा के साथ लगते क्षेत्रों में निगरानी और ज्यादा बढ़ा दी गई है। यहां पर CCTV कैमरे भी लगाए गए हैं। चुनाव के दौरान सबसे ज्यादा ड्रग्स और शराब माफिया सक्रिय होते हैं। ऐसे में उन्हें रोकने के लिए वाहनों की चैकिंग जरूरी है।
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