क्रूज ड्रग्स केस में मुंबई की आर्थर रोड जेल में बंद शाहरूख खान के बेटे आर्यन खान की जमानत याचिका दो बार खारिज हो चुकी है। जिसके बाद उनके वकीलों ने बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया है। इस पर अब 26 अक्टूबर को सुनवाई होनी है। इस बीच आर्यन खान के मामले पर एक्टर अनंत महादेवन ने हाल ही में दैनिक भास्कर से खास बातचीत की। इस दौरान उन्होंने शाहरुख खान के शुरुआती दिनों, उनके साथ काम करने और आर्यन के केस को लेकर कई बातें शेयर की हैं।
शुरुआती दिनों में शाहरुख खान के मददगार कौन-कौन लोग रहे?
शुरू में सईद मिर्जा, अजीज मिर्जा, कुंदन शाह, विवेक बासवानी आदि सभी थे। इन सबके साथ 'सर्कस', 'इंतजार', 'फिर भी दिल है हिंदुस्तानी', 'चलते चलते' आदि सीरियल और फिल्म किए थे।
कहते हैं कि मददगारों में चंकी पांडे भी थे, जो उन्हें अपने घर पर ठहराए थे? क्या इसका उल्लेख आपकी बुक में है? विस्तार से बताइएगा?
नहीं, नहीं। वे विवेक बासवानी थे, जो अपने घर में ठहराए थे। शाहरुख, विवेक के घर पर रहते थे। उन्होंने 'राजू बन गया जेंटलमैन' में शाहरुख को पहली बार एक हीरो का रोल दिया था। दोनों की अच्छी दोस्ती थी। इससे हेमा मालिनी जी ने शाहरुख खान को फिल्म 'दिल आशना है' के लिए बुलाया था, तब विवेक साहब उनको वहां भी ले गए थे। यह पहली फिल्म थी, जिसे शाहरुख खान ने साइन किया, लेकिन 'राजू बन गया' जेंटल मैन उससे पहले रिलीज हुई थी। चंकी जी का कोई योगदान नहीं था। अगर होगा भी, तब मुझे पता नहीं है। शायद दोनों साथ में किसी फिल्म में काम नहीं किया है। चंकी जी उस वक्त एक्टर थे, तब उस हिसाब से नहीं लगता कि कोई करीबी या दोस्ती रही होगी।
आपका साथ और सहयोग किस तरह से रहा?
हमने साथ में 'सर्कस' में काम किया था। उसके बाद 'यस बॉस' में हमने काम किया था। लेकिन, मेजर 'बाजीगर' और 'बादशाह' में किया। 'बाजीगर' में उनके फादर का रोल निभाया था। इसके बाद उन्होंने जब पहली बार अपनी साफ्टवेयर कंपनी एंटरटेनमेंट का टेलीविजन सेक्शन लांच किया था। मुझे उस वक्त उन्होंने बुलाया था, तब उनके लिए 'घर की बात है' सीरियल के 26 एपिसोड बनाए थे।
शाहरुख के साथ आपका पुराना साथ रहा है, आज उनके करियर और बेटे के ड्रग्स केस में फंसने आदि बातों पर क्या कहेंगे?
दुख की बात है, क्योंकि अगर यह सच है, तब भी दुख है। अगर यह सच नहीं है, तब भी दुख की बात है। दुख तो है, क्योंकि कहीं न कहीं किसी ने गलती की है। उनके बेटे की तरफ से यह हुआ है या फिर जो लोग इन्वेस्टिगेट कर रहे हैं… कुछ न कुछ तो होगा, वरना उनको इस तरह की केस में दिलचस्पी नहीं होगी। यह एक तरह से अच्छी बात नहीं है, डिस्टर्बिंग बात है। उनसे काफी टाइम से बात नहीं हुई है।
एक तरफ रूस स्पेस में जाकर शूटिंग करके आता है, दूसरी तरफ भारतीय सिनेमा में कभी मीटू तो कभी ड्रग्स जैसी चीजों में उलझा-फंसा नजर आता है, भारतीय सिनेमा विश्व स्तर पर अपनी पहचान बनाएगा?
देखिए, हॉलीवुड की पुरानी फिल्में और पुराने लोगों को देखो, तब ऐसा नहीं है कि वे इसमें उलझे नहीं थे। अभी देखो, आर्ट और सिगरेट, ड्रग्स का एक तरीके से संबंध रहा है, क्योंकि इस चीज में विश्वास नहीं रखता कि कोई आर्ट को प्योर आर्ट फॉर्म की तरह ट्रीट करे। इसे सोशल आईना की तरह ट्रीट करे। कहीं न कहीं क्रिएटर और आर्टिस्ट को दारू पीकर प्रॉब्लम हुआ है। कई लोग गुजर भी गए हैं। यह तो ऑल ओवर वर्ल्ड में है। यह न सिर्फ सिनेमा में हुआ है, एडवरटाइजिंग में हुआ है और भी फील्ड में हुआ है। लेकिन, आर्ट और सिनेमा को लेकर एक तरह से प्योरिटी चाहते हैं कि जिस तरह से पिक्चर दिखाते हैं, जिसमें मैसेज देते हैं या मोरल देते हैं या फिर सोसाइटी का आईना दिखाते हैं। आईने के दूसरी तरफ बहुत सारे लोग वही सब कुछ करते हैं, जिसकी फिल्मों में निंदा करते हैं। इसको मैं कंट्राडिक्शन मानता हूं। यह अजीब तरीके की जो हेपोक्रेसी है, यह वर्ल्ड के आर्ट, सिनेमा, ड्रामा, थिएटर में होता है। क्योंकि उसी चीज का सेवन करते हुए आदी हो जाते हैं, जिसको आप चिल्ला-चिल्लाकर अपनी फिल्मों में बताते हैं कि यह खराब और बुरा है।
कुछ लोगों का मानना है कि इन चीजों को लीगल ही कर देना चाहिए?
ड्रग्स तो पूरी दुनिया में फैली हुई है। इस ड्रग्स काटल को आप बंद ही नहीं कर सकते। मैसिस्को से लेकर अफगानिस्तान, क्यूबा, पाकिस्तान आदि देशों में जिस तरह से ये लोग ड्रग्स को पूरी दुनिया में फैला रहे हैं। अभी मैस्सिको और क्यूबा में जिस तरह वहां ड्रग्स लॉडर्स हैं, उन्हें अरेस्ट करने के लिए पुलिस वाले भी डरते हैं, क्योंकि वे सबको मार डालते हैं और बॉडी भी नहीं देते हैं। मुझे नहीं लगता कि इसे कंट्रोल किया जा सकता है। हां, छोटी-छोटी जगहों पर लोग अरेस्ट हो जाते हैं, वहां इसको बंद कर देते हैं। इसको एक जगह से बंद कर देंगे, तब दूसरी जगह से लीक हो जाएगा। यंग जनरेशन को यह बेचा जा रहा है। इसके बारे में गलत बातें फैलाई जा रही है।
क्या ग्लैमरस इंडस्ट्री होने के नाते…?
नहीं-नहीं, यह तो मैं नहीं कह सकता। लेकिन बहुत सारे ड्रग्स एडिट्स हैं और उनके चेन को पकड़ा जाता है, इन्वेस्टिगेट किया जाता है। लेकिन, यह फिल्म इंडस्ट्री है, इसलिए मीडिया उसको ज्यादा कवरेज दे रही है। अगर कवरेज नहीं होता और चुपचाप एक कोने में न्यूज रहता है, तब वह भी ठीक रहता। लेकिन, तब वही होता है, जो दूसरों के साथ रोजाना हो रहा है। रोजाना कितने लोग अरेस्ट हो रहे हैं। लेकिन मीडिया यहां की बातों को उछालता है, क्योंकि उसको दूसरी तरह का हेडलाइन मिलता है।
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