इरफान खान के साथ 'अंग्रेजी मीडियम', 'हिंदी मीडियम', 'मकबूल' जैसी फिल्में कर चुके एक्टर दीपक डोबरियाल उनके करीबियों में से एक थे। दीपक को इरफान न सिर्फ भाई की तरह मानते थे, बल्कि फिल्ममेकर्स से उन्हें लेने की सिफारिश तक भी करते थे। इरफान की पहली बरसी पर उन्हें याद करते हुए दीपक डोबरियाल ने उनसे जुड़ी कई बातें शेयर की हैं।
इरफान भाई काफी रिजर्व्ड रहते थे
दीपक डोबरियाल ने कहा, "इरफान भाई काफी रिजर्व्ड रहते थे। कुछ-कुछ लोगों के साथ ही खुलते थे। मैं खुशकिश्मत हूं कि वे मेरे साथ खुले। उनका मेरे साथ दो भाइयों जैसा दिली रिश्ता था। मुझ पर बहुत विश्वास करते थे। प्रोड्यूसर-डायरेक्टर को बोलते थे कि दीपक को जो करना है, करने दो। यह अपने आप में जूनियर एक्टर पर एक विश्वास दिखाता है। यही वजह है कि बड़े अपनेपन से उनके साथ बैक टु बैक दो फिल्में कीं। उनमें एक कलाकार के प्रति उनकी जो संवेदना है, वह साफ दिखती थी। उनकी संगत की जो दरकार थी, वह बड़ी प्यारी थी।"
मुझे हर जगह रिकमंड करते थे
डोबरियाल ने आगे कहा, "'हिंदी मीडियम' के दौरान हम सुबह का नाश्ता से लेकर रात का खाना साथ में ही करते थे। साथ में स्वीमिंग करते थे। किसी ने कहीं स्क्रीनिंग पर बुलाया, तब मुझे साथ में ले जाते थे। उन्होंने 'ब्लैकमेल', 'करीब करीब सिंगल', वेब सीरीज सहित चार-पांच फिल्में मुझे और ऑफर की, जो वे कर रहे थे। उन्होंने हर जगह चाहा कि दीपक को ले लो। मेरे बारे में डायरेक्टर को बोलते थे कि कोई फोर्स नहीं करेगा कि मेरे नाम पर ले लिया है। लेकिन मैं बैक-टु-बैक तीन फिल्मों- 'लाल कप्तान', 'कामयाब' और मराठी फिल्म 'बाबा' में बिजी था, इसलिए डेट मैच नहीं कर पाई वरना मुझे हर जगह रिकमंड करते थे।"
उनकी हर बात को फिलॉसफी के लेवल पर देखता हूं
एक्टर ने कहा, "उनकी हर बात को फिलॉसफी के लेवल पर देखता हूं। जिंदगी में जहां हर तरफ से हताशा, लाचारी और मायूसी है, वहां पर आपका क्रॉफ्ट क्या होता है, उसकी स्ट्रेंथ इरफान भाई ने अंग्रेजी मीडियम में दिखाई। उन्हें अपने प्रोड्यूसर-डायरेक्टर, को-एक्टर और सबसे बड़ी बात खुद पर विश्वास था। बीमारी के एक साल बाद उन्होंने कहा था कि मैं यह फिल्म करना चाहता हूं। उन्होंने फिल्म कंप्लीट की, पर चेहरे पर शिकन तक नहीं दिखाई दी। उनका यह क्रेज उन्हें महान अभिनेता की श्रेणी में लाता है। इस हालात में फिल्म कर रहे हैं और प्रोड्यूसर-डायरेक्टर को नुकसान की बात तो दूर, अपनी बीमारी की वजह से उन्हें जरा-सा मायूसी भी नहीं होने देना चाहते थे। उन्होंने 60-70 दिनों तक शूटिंग की होगी, उसमें ऐसा लगा कि जैसे सेट पर कोई प्रोफेशनल एक्टर आया हो। यह अपने आप में बहुत बड़ा वाकया है।"
संघर्ष पर कहते थे कि इससे जीवन में सीखते चलो
दीपक ने कहा, "सेट पर अपने स्ट्रगल दौर से लेकर यहां तक पहुंचने के लिए उन्हें किस-किस संघर्ष से गुजरना पड़ा। उन्होंने जिस संघर्ष से गुजरे, उसे एक रचनात्मकता की शक्ल दी पर गिला-शिकवा नहीं किया। एनएसडी से लेकर फिल्मों तक उनके परफॉर्मेंस को जिन्होंने प्रभावित किया, उनमें एक नाम थिएटर डायरेक्टर प्रसन्ना का अक्सर लेते थे। वे बताते थे कि उन्होंने मेरे करियर में अलख जगा दी थी। मैं सबकी तरह परफॉर्मेंस तो पहले जैसा ही करता था, लेकिन जब से प्रसन्ना मेरी लाइफ में आए, तब से मेरे परफॉर्मेंस का एटीट्यूट ही बदल दिया। इस तरह वे प्रसन्ना जी का बहुत प्यारे ढंग से जिक्र करते थे। मैं उनसे अक्सर पूछता रहता था कि शुरुआत में क्या मुश्किलें आईं, कैसा संघर्ष रहा? इस पर कहते थे कि इससे जीवन में सीखते चलो। मुझसे अक्सर कहते थे कि आप अपनी इंग्लिश इम्प्रूव करो।"
बड़ी सर्जरी करवाई, उसके बाद किसी से नहीं मिले थे
डोबरियाल ने कहा, "उन्होंने जब बड़ी सर्जरी करवाई, उसके बाद किसी से नहीं मिले। मैंने कई बार फोन और मैजेस किया, पर कोई रिप्लाई नहीं आया। मुझे थोड़ा दुख हुआ। हालांकि, मैं तभी समझ गया था कि वे ऐसा क्यों कर रहे हैं। वे अपने किसी प्यारे साथी को दुखी और मायूस होते नहीं देखना चाहते थे। इस वजह से फोन नहीं लेते थे। कहां तो मेरे हर मैसेज का रिप्लाई देते थे, लेकिन आखिर के कुछ महीनों में जवाब नहीं आया। वे गिने-चुने लोगों में सिर्फ होमी अदजानिया से मिलते थे। फिर वह उनकी परफॉर्मेंस हो या फिर दिल्ली और लंदन में शूटिंग के दौरान बिताए दिन हो। यहां तक कि भोपाल में 'मकबूल' की शूटिंग के दौरान के कई किस्से याद हैं। एक बार 'मकबूल' के सेट पर मैं बीमार हो गया था, तब इरफान भाई ने शूटिंग रोककर मेरे लिए एम्बुलेंस बुलाई। क्योंकि मैं उनका राइटहैंड था। मेरी हालत देखते हुए उन्होंने डायरेक्टर से कहा था कि क्या यह दीपक के बिना हो जाएगा? डायरेक्टर ने कहा कि हो जाएगा। फिर उन्होंने तुरंत फोन करके एम्बुलेंस बुलाकर मुझे हॉस्पिटल भिजवाया। मैं वहां से इलाज करवाकर वापस आया। उनकी यह छोटी-छोटी बातें आज भी याद आती हैं। जब भी मैं इस बात का जिक्र करता था, तब उनके चेहरे पर सिर्फ स्माइल देखने को मिलती थी।"
अफसोस है उनके अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो सका था
दीपक डोबरियाल ने कहा, "हिंदी मीडियम फिल्म की सफलता को लेकर बहुत गदगद थे। यह उनकी पहली फिल्म थी, जो बड़ी सुपरहिट हुई थी। लोग कहते थे कि आर्टिस्ट बड़ा है, पर कोई हिट फिल्म नहीं है। इस फिल्म से सबका मुंह बंद कर दिया था। इस फिल्म के बाद मैं जहां भी उनके साथ जाता था, अपने से ज्यादा मुझे स्टार बनाकर इंट्रोड्यूज करते थे। हमारा इतना दिली रिश्ता था कि शेयर ही नहीं कर सकता, क्योंकि सबको लगेगा कि उनके नाम पर पब्लिसिटी बटोर रहा है। इरफान भाई के साथ जितना साथ गुजारा है, वह अच्छी लर्निंग थी। जिंदगी भर रहेगी। छोटे-छोटे रोल में भी उनके काम की सराहना सभी करते थे। काम की कभी कमी नहीं थी, पर उन्हें लुक्स को लेकर मुश्किलात आई। वे बताते थे कि एक टाइम लोग मुझे कहते थे कि मिथुन चक्रवर्ती जैसी शक्ल लगती है, तब बचपन में उनके जैसा ही एक्टिंग करने की कोशिश करता था। अफसोस! जब उनके अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो सका। उस समय लॉकडाउन था और मैं उत्तराखंड में फंसा था। गाड़ी फ्लाइट कुछ नहीं चल रहा था।"
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