मेरी तस्वीर को अपनी समझ बैठे थे अमिताभ बच्चन:बोले- मेरे घरवाले भी धोखा खा जाएंगे, 1000 कोरोना मरीजों से बिग बी बनकर बात की

2 महीने पहलेलेखक: अरुणिमा शुक्ला
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‘10वीं क्लास में मुझे पता चला कि मैं अमिताभ बच्चन जैसा दिखता हूं। फिर खुद पर काम करके मैंने उनकी तरह बनने की कोशिश की। 2011 में मेरी मुलाकात अमिताभ जी से हुई। मैंने उनको अपनी तस्वीरें दिखाईं, लेकिन उन्हें लगा कि वो उनकी तस्वीरें हैं। मैंने उन्हें बताया कि सर ये आप नहीं हैं, ये मैं हूं। इस पर उन्होंने कहा कि मेरे घरवाले भी इन तस्वीरों को देखकर धोखा खा जाएंगे। अमिताभ मेरे लिए भगवान समान हैं। कभी-कभी लोग उनका गुस्सा मुझ पर उतारते हैं।’

ये कहना है शशिकांत पेडवाल का, जो पिछले 15 सालों से अमिताभ बच्चन के हमशक्ल के तौर पर पहचाने जा रहे हैं। शशिकांत मिमिक्री आर्टिस्ट भी हैं और धर्मेंद्र, दिलीप कुमार समेत कई नामी स्टार्स की मिमिक्री करते हैं। गवर्नमेंट ITI कॉलेज, पुणे में प्रोफेसर भी हैं। फिल्म झुंड (2022) में उन्होंने अमिताभ बच्चन के बॉडी डबल का काम किया था।

हालांकि, बचपन से लेकर अभी तक का सफर काफी उतार-चढ़ाव से भरा रहा। नासिक के एक गांव में जन्मे शशिकांत घर-घर जाकर पाव बेचा करते थे। आज कई देशों में उनकी तगड़ी फैन फॉलोइंग है। इंस्टाग्राम पर उनके 9 लाख से ज्यादा फॉलोवर्स हैं।

आज की स्ट्रगल स्टोरी में शशिकांत पेडवाल बता रहे हैं अपने संघर्ष की कहानी…

अमिताभ बच्चन के साथ शशिकांत पेडवाल।
अमिताभ बच्चन के साथ शशिकांत पेडवाल।

मेरा जन्म 5 जुलाई 1970 को नासिक के पास एक छोटे से गांव में हुआ था। पापा की आमदनी अच्छी नहीं थी इसलिए 13 साल की उम्र से ही मैंने कमाना शुरू कर दिया था। सुबह 6 बजे उठकर पाव बेचने निकल जाता था, फिर स्कूल जाता था। पाव बेचकर मुझे 2 रुपए मिलते थे। पापा की आइसक्रीम की एक गाड़ी थी, उसे ले जाकर मैं आइसक्रीम भी बेचा करता था। लस्सी भी बेची। गणपति पूजा में हम मूर्तियां बेचा करते थे, दिवाली में पटाखे बेचा करते थे।

मैं दसवीं क्लास में था, तब मेरे एक दोस्त ने कहा- तेरी सूरत तो बिल्कुल अमिताभ बच्चन जैसी है। जब मैंने सुना कि मैं महानायक जैसा दिखता हूं, तो बहुत खुश हुआ। इससे पहले मैंने बच्चन साहब की कई फिल्में देखी थीं लेकिन कभी इस बात पर गौर नहीं किया था कि मैं उनकी तरह दिखता भी हूं।

इस वाकये के बाद मैं खुद को उन्हीं की तरह ढालने लगा। उनके जैसे चलना लगा। उनकी जैसी आवाज निकालने की कोशिश करने लगा। बचपन में आवाज उतनी भारी नहीं थी, जितनी बच्चन साहब की है, लेकिन फिर भी मैं खुद पर काम करता गया।

अमिताभ बच्चन के अलावा धर्मेंद्र, दिलीप कुमार की आवाज भी निकालने लगा। धीरे-धीरे जब लोगों को मेरे इस हुनर के बारे में पता चला, तो मुझे बहुत सराहना मिली। इसी खूबी की वजह से मैंने आर्केस्ट्रा में काम करना शुरू कर दिया। आर्केस्ट्रा का शो 3 घंटे का चलता है।

जब कुछ घंटे की परफॉर्मेंस के बाद आर्टिस्ट थक जाते थे और चाय-नाश्ते के लिए चले जाते थे, तब उस दौरान दर्शकों को बांधे रखने के लिए मैं फिल्मी स्टार्स की मिमिक्री करता था। इस काम की वजह से कुछ समय बाद पूरे कस्बे में मेरा नाम हो गया था। बाद में मैं कई इवेंट कंपनी का हिस्सा बन गया और जगह-जगह जाकर स्टेज शो करने लगा।

इसी दौरान मैंने एक शो किया था, जिसमें सिंगर अलका याग्निक भी आईं थीं, इस शो में लगभग 60 हजार लोग थे। सभी को मेरा काम बहुत पसंद आया था।

बच्चन साहब ने पोलियो जागरुकता अभियान के ऐड में काम किया था, जिसका स्लोगन था पोलियो से गांव हमारा बचेगा, उन्नति देश हमारा करेगा। इस ऐड को अपनी आवाज में बदलकर कुछ ऐसा कर दिया था… पोलियो से लासल गांव हमारा बचेगा, उन्नति देश हमारा करेगा। इस ऐड को मैंने केबल ऑपरेटर के जरिया टेलीकास्ट कराया था।

जिसके बाद गांव के सभी लोग बहुत हैरान हुए कि अमिताभ बच्चन सिर्फ उनके गांव का नाम कैसे बोल रहे हैं। वो तो ग्लोबल स्टार हैं, फिर एक गांव का नाम भला क्यों ले रहे हैं। किसी को शक भी नहीं हुआ कि ये उनकी आवाज नहीं है। इस काम के बाद तो मुझे खुद पर और भरोसा हो गया कि बेहतर काम कर सकता हूं।

मैंने ग्रेजुएशन किया। ITI पुणे में अप्रेंटिस था। मेडिकल लाइन के मार्केटिंग फील्ड में भी काम किया। जब इस काम से भी मन भर गया था तो मैंने ITI में नौकरी करने लगा। किस्मत से फिर मुझे 1996 में इसी कॉलेज में अस्थाई नौकरी मिल गई। फिर 1999 में यहां बतौर प्रोफेसर काम करने लगा।

आखिरकार मुझे बिग बी से मिलने का मौका मिला। ये पल मेरी जिंदगी में 2011 में आया। दरअसल , मेरा एक दोस्त रजिस्ट्रार ऑफिस में काम करता था। बच्चन साहब को कोई प्रॉपर्टी खरीदनी थी, लेकिन वो ऑफिस नहीं आते थे। दोस्त ने कॉल कर बताया कि कल वो उसी काम के लिए बच्चन साहब के ऑफिस जा रहे हैं, अगर मुझे मिलना है, तो मैं आ जाऊं।

इस वीडियो में शशिकांत ने बिग बी के लुक को रिक्रिएट किया है।
इस वीडियो में शशिकांत ने बिग बी के लुक को रिक्रिएट किया है।

अगले दिन मैं अपने दोस्त के साथ उनके ऑफिस जनकपुरी चला गया। मैं अपने साथ खुद तस्वीरों का एल्बम ले गया था। दोस्त ने 5 मिनट की मुलाकात बिग बी से फिक्स कराई, जिसके बाद मैं उनसे मिला। जैसे ही मैंने उनको देखा, खुशी से पागल हो उठा। जिनको इतने सालों से टीवी पर देखते आ रहा था, उस दिन पहली बार उनके साक्षात दर्शन हुए। उस दिन मैं अमिताभ बच्चन के गेटअप में नहीं बल्कि नॉर्मल शशिकांत बन कर गया था।

मैंने उन्हें मिलकर एक एलबम दिखाया। उसे देखकर उन्होंने कहा- वाह! बहुत ही खूबसूरत तस्वीरें हैं मेरी।

मैं माफी मांगते हुए उनसे कहा- सर ये मेरी फोटोज है।

इस पर उन्होंने आश्चर्य से कहा- क्या!

फिर उन्होंने आगे कहा- आप ये तस्वीर लेकर घर ना चले जाइएगा, वरना घरवाले पहचान हीं नहीं पाएंगे कि असली अमिताभ बच्चन कौन है।

जब मेरे घरवालों और दोस्तों को ये बात चली कि मैं उनसे मिला हूं, तो सबको बहुत खुशी हुई। दोस्त पूछते थे कि कौन सा हाथ उन्होंने मिलाया था। उनसे मिलकर ऐसा लग रहा था कि मानो भगवान के दर्शन हो गए। कई दिनों तक तो मैं इस बात से बाहर ही नहीं निकल पा रहा था कि मैं उनसे मिला हूं। आज भी जब उस पल को याद करता हूं, तो मन गदगद हो जाता है। ये दिन मेरी जिंदगी का सबसे खूबसूरत दिन था।

बच्चन साहब के जैसे एक्ट करने के बाद बहुत फेमस हो गया, जिस वजह से कई फिल्मों में उनका बॉडी डबल बनने के लिए ऑफर आने लगे। फिल्म झुंड और एक एजुकेशन ऐप के एड में मैंने उनके बॉडी डबल के तौर काम किया है। ऐड में जो तोड़फोड़ है, वो मैंने ही किया है।

बिग बी की एक भोजपुरी फिल्म थी, जिसे उनके मेकअप मैन दीपक सावंत ने बनाया था। उस फिल्म की पूरी डबिंग मैंने ही की थी। अभी हाल में उनके बर्थडे के अवसर पर KBC ने उनकी जर्नी को फिल्माने के लिए वीडियो बनाया था, उसमें भी मैंने काम किया था। आप उसे देख कर पहचान ही नहीं पाएंगे कि हम दोनों में असली कौन है।

इवेंट के दौरान शशिकांत पेडवाल
इवेंट के दौरान शशिकांत पेडवाल

बिग बी के बॉडी डबल और मिमिक्री आर्टिस्ट के तौर पर लगभग सभी लोग मुझे जानते हैं। ऐसा कई बार हुआ कि लोग मुझे रियल अमिताभ बच्चन समझ बैठे। एक बार मैं टोल प्लाजा से गुजर रहा था। तभी वहां के टोल वाले ने रियल बच्चन समझ लिया। उसने बोला- हम आप से टोल नहीं लेंगे, लेकिन आप हमारे साथ फोटो क्लिक करा लीजिए।

एक बार हम कई शूटिंग के लिए जा रहे थे। तभी एक RTO ऑफिसर ने कार रोक दी। शूटिंग लोकेशन पर पहुंचने के लिए देरी हो रही थी। फिर मेरा ड्राइवर ने ऑफिसर से जा कर बोला कि गाड़ी में एक्टर अमिताभ बच्चन बैठे हैं और उन्हें शूटिंग के लिए देरी हो रही है। ऑफिसर ने कार के पास मुझे देखा और बोला- अरे बच्चन साहब आप !

मैंने भी हाथ जोड़कर उनका अभिवादन किया और बिग बी की आवाज में उनका हालचाल पूछा। फिर देरी होने की बता कर वहां से जल्दी से निकल लिया।

जिस नाम और पहचान ने मुझे शोहरत दिलाई है, उस नाम की बदौलत मेरी हमेशा कोशिश रहती है कि लोगों का भला भी कर सकूं। मैं अक्सर कैंसर हॉस्पिटल और वृद्धाश्रम जाता हूं। कैंसर के जो मरीज, जिंदगी के आखिरी पड़ाव पर होते हैं, उनसे बच्चन साहब बनकर मिलता हूं। इससे उन्हें बहुत खुशी मिलती है। जब उन्हें पता भी चल जाता है कि असली अमिताभ बच्चन नहीं हूं, फिर भी लोग प्यार देते हैं। मैं इन सामाजिक कामों के लिए कोई पैसे नहीं लेता हूं।

कोविड के टाइम मैंने उन लोगों का हौसला बढ़ाया, जिन्होंने इस बुरे समय में जीने का हौसला छोड़ दिया था। कोरोना के दूसरी लहर में मैंने एक हजार लोगों की मदद अमिताभ बच्चन बन कर की थी। इस काम को करने का ख्याल मुझे तब आया, जब मुझे पता चला कि बहुत लोगों की जान डरकर जा रही थी। मुझे लगा कि अगर मैं बिग बी बन कर उनसे बात करूंगा, उनकी हौसला अफजाई करूंगा और उन्हें बताऊंगा कि मुझे भी कोविड हुआ था, लेकिन अब मैं ठीक हूं तो शायद वो इतने डरेंगे नहीं।

इसके बाद जब मैंने ये प्रस्ताव प्रशासन के सामने रखा, तो उन्होंने मना कर दिया। फिर मैंने उनसे कहा कि मरीजों से मत कहिएगा कि मैं ही अमिताभ बच्चन हूं। आप उन मरीजों से पूछिएगा कि क्या वो मुझ से बात करेंगे। इसके बाद प्रशासन ने इस बात पर सहमति जताई। मैं उन लोगों ऑनलाइन वीडियो कॉल के जरिए से जुड़ा था। इस काम के लिए मुझे बहुत सराहा गया। जब बच्चन साहब को ये बात चली तो उन्होंने KBC के सेट पर मुझे मिलने के लिए बुलाया था। उन्होंने मिलकर मेरी तारीफ की और कहा कि मैं बहुत अच्छा काम कर रहा हूं।

जहां बिग बी की मिमिक्री करने पर प्यार मिलता है, वहीं इस काम की वजह से मुझे ट्रोलिंग का शिकार होना पड़ता है। कुछ ऐसे लोग होते हैं, जिनसे किसी शो के दौरान बिग बी उनसे नहीं मिल पाते हैं, तो वो मुझे टैग करके कमेंट करते हैं। वो लोग लिखते है कि जिसे मैं भगवान कहता हूं, वो उन लोगों के साथ एक सेल्फी तक क्लिक नहीं कराई। इस तरह की बहुत सारी बातें सुननी पड़ती हैं। वहीं इस काम के जरिए इतना प्यार मिलता है कि मेरा शो आधे घंटे का होता है, लेकिन मेरे साथ सेल्फी लेने में डेढ़ घंटे चले जाते हैं।

मैं पेशे से प्रोफेसर हूं लेकिन कॉलेज में एक टीचर जैसा ही रहता हूं। पढ़ाई के दौरान मैं बस बच्चों को पढ़ाने पर फोकस करता हूं। आज तक कॉलेज के किसी इवेंट में मैंने ये काम नहीं किया है।

किस्सा ये भी है कि अमिताभ बच्चन के एक दूसरे LOOK ALIKE कनुभाई ठक्कर थे. जिनके निधन की खबर वायरल हुई, लेकिन खबर में नाम उनका था और फोटो मेरी। जिसके बाद कई साइट पर ये भी खबर चलने लगी कि मेरी मौत हो गई है। कई लोगों के कॉल मेरे पास आने लगे। फिर मैंने सोशल मीडिया पर वीडियो शेयर कर लोगों को बताया कि मैं जिंदा हूं और वो कनुभाई ठक्कर हैं जिनका निधन हुआ है।