2 साल में सोहित ने दिए थे 300 ऑडिशन:उधार लेकर पहुंचे थे मुंबई, सड़क, स्टेशन और मंदिर में सोए, आज है जाना-माना चेहरा

7 महीने पहलेलेखक: उमेश कुमार उपाध्याय
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सोहित सोनी। ये नाम है एक साधारण कद-काठी, शक्लो-सूरत और बहुत ही आम से दिखने वाले लड़के का। फोटो देखेंगे तो आप पहचान भी जाएंगे। टीवी पर देखा होगा कई बार। कभी तेनाली रामा तो कभी भाबीजी घर पर हैं टीवी सीरियल में। साधारण से दिखने वाले इस कलाकार की कहानी बहुत असाधारण है। दिल्ली के पास फरीदाबाद के एक लोअर मिडिल क्लास परिवार से ताल्लुक रखने वाले सोहित कभी उसी फरीदाबाद की गलियों में बालों में लगाने वाले क्लिप बेचा करते थे।

कारण, परिवार की माली हालत ठीक नहीं थी और कुछ खुद का मन भी पढ़ाई में लगता नहीं था। कभी झोलाछाप डॉक्टर्स के क्लिनिक पर सफाई का काम किया तो कभी मरीजों को सलाइन और इंजेक्शन लगाने का काम। लोगों को हंसाने का हुनर आता था तो सोचा टीवी का रुख किया जाए। शुरुआत में कोई काम नहीं मिला, मूवर्स एंड शेकर्स से लेकर आप की अदालत तक, ऐसे कई प्रोग्राम्स में ऑडियंस में बैठकर ताली बजाने का काम मिलता रहा।

सोहित की कहानी कोई परीकथा जैसी नहीं है, जिसे एकदम से कोई ब्रेक मिला और स्टार हो गए। 5-10 मिनट के रोल और 2-5 हजार रुपए के लिए प्रोडक्शन हाउस के चक्कर लगाना, कास्टिंग डायरेक्टर्स से मिन्नतें करना और हर छोटे काम को हां कह देना। बरसों यही किया। हालांकि आज सोहित, भाबीजी घर पर हैं जैसे सीरियल में 80 से ज्यादा कैरेक्टर प्ले कर चुके हैं। तेनालीरामा शो के लिए 3 साल तक रोज अपना सिर मुंडवाया। अब इनकी झोली में कई सीरियल, एक-दो वेब सीरीज और एक-दो फिल्में भी हैं।

आज स्ट्रगल स्टोरी में पढ़िए, फरीदाबाद के सोहित सोनी की कहानी जिसने अपने सपनों के लिए मायानगरी मुंबई को चुना।

पहले जानते हैं सोहित कौन हैं

सोहित सोनी तेनालीरामा शो में मनी का किरदार निभाकर फेमस हुए हैं। ये भाबीजी घर पर हैं शो में न्यूज एंकर, दादी, सब्जी वाला, वकील जैसे करीब 80 अलग-अलग रोल प्ले कर चुके हैं। मे आइ कम इन मैडम, जीजाजी छत पर हैं में भी इनके कई रोल थे। हप्पू की उलटन पलटन हो या जीजाजी छत पर हैं शो, सब टीवी का ये जाना-माना चेहरा हैं। ये मास्साब, इंस्पेक्टर अविनाश जैसी फिल्मों और सीरीज का भी हिस्सा रहे हैं। ये जल्द ही जी 5 के शो कंट्री माफिया में पनवाड़ी के रोल में नजर आएंगे। सोहित ने भाबीजी घर पर हैं शो से ही टीवी सीरियल्स में जगह बनाई, वहीं उन्हें पहचान तेनाली रामा से मिली।

यहां तक पहुंचने का सफर बेहद मुश्किल रहा। बचपन गरीबी में और फिर काम की तलाश में कई साल बिताए। बचपन से लेकर आज तक के संघर्ष को पढ़ते हैं सोहित की जुबानी-

कहने को सुनार हैं, लेकिन गरीबी में बीता बचपन

हम यूपी के बेचुपरु गांव से हैं। पापा बहुत गरीब थे और वो रोड बनाते थे। हम सोनी हैं, जो सुनार होते हैं। सुनार सुनते ही लोगों को लगता है कि अमीर हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। दादा जी पीतल की अंगूठी बनाया करते थे। खानदानी काम मंदा था तो कुछ रिश्तेदारों ने पिताजी को राशन की दुकान में बैठा दिया। शादी के बाद माता-पिता फरीदाबाद आकर बस गए। सिर्फ पिताजी कमाते थे और घर में खाने वाले 7-8 लोग थे। पिताजी पढ़े-लिखे नहीं थे, तो दूसरे शहर में बसना बहुत मुश्किल था। पहले हम किराए के मकान में रहे, फिर 30 गज का मकान खरीद लिया। ऐसी परिस्थितियों में शौक पूरा करना बहुत मुश्किल था। घर खर्च के लिए पिताजी चक्कों की मरम्मत का काम भी करते थे, जिससे कुछ एक्स्ट्रा कमाई हो सके और किराया दिया जा सके।

घरवाले चाहते थे मैं डॉक्टर बनूं

घर की स्थिति देखकर मेरा लोगों को हंसाने का और दूसरों का मनोरंजन करने का मन होता था। कभी एक्टिंग का नहीं सोचा था, क्योंकि बहुत गरीबी थी। मैं पढ़ाई में भी कमजोर रहा हूं, लेकिन हमेशा कुछ अच्छा करने की कोशिश करता था। घरवाले चाहते थे मैं बड़ा होकर डॉक्टर बनूं। मां को लगता था एक बेटा डॉक्टर बने, एक वकील बन जाए, बहन जज बन जाए। मम्मी के सपने बहुत बड़े थे। हम भी हां-में-हां मिलाते थे। हम चटाई पर सोते थे, लेकिन मैं लकड़ी काटकर कभी सोफा तो कभी पलंग बना देता था, पिताजी मजाक उड़ाते कि तुझे टेंटवाला बना दूंगा।

8वीं क्लास में गलियों में बालों में लगाने के क्लिप बेचे

पढ़ाई में कमजोर था और संगत बिगड़ गई थी, तो पापा बहुत गुस्सा करते थे। एक बार उन्होंने मुझे कुछ लड़कियों की क्लिप लाकर दीं और कहा अब से स्कूल के बाद तू यही बेचेगा। 8वीं में था तब ही पूरी गली में घूमकर क्लिप बेचता था। दिन भर के 150 रुपए तक कमा लेता था। पापा रोज पूछते कि कितने पैसे कमाए आज, मैं 30 रुपए बताता था और बाकी बचा लेता था। 4-5 महीने ऐसा ही चला, फिर मेरा मन उठने लगा। शर्मिंदगी भी होती थी, मुझे वो काम नहीं करना था।

क्लिनिक में रहकर सीखा काम

एक बार मम्मी मुझे एक झोला छाप डॉक्टर के पास ले गईं। इलाज के बाद मां ने डॉक्टर से कहा कि मेरे बेटे को भी दुकान पर बैठा लो, वो मान गया। उस डॉक्टर को खुद कुछ नहीं आता था, तो वो मुझे क्या सिखाता। कुछ दिनों में दूसरे क्लिनिक में नौकरी शुरू कर दी। मुझे क्लिनिक की सफाई करनी होती थी, दवाई जमानी होती थी। कुछ समय बाद मुझे इंजेक्शन और दवाई देना भी आ गया। वहीं से जिज्ञासा बढ़ने लगी। एक वक्त ऐसा आया कि पूरे गली-मोहल्ले के लोग मेरे सुझाव पर ही दवाई लेने लगे थे। फिर नर्सिंग होम में काम शुरू कर दिया। सोचा था कुछ समय बाद क्लिनिक खोल लूंगा।

टीवी पर दिखने की चाह में डेढ़ महीने किया चैनल में कॉल

जब लाफ्टर चैलेंज आया तो मैंने देखा अलग-अलग लोग भी एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में आते हैं। जो पैसे मिलते थे उनसे मैं अमिताभ बच्चन को फोन मिलाता था। एसटीडी पीसीओ वाला कहता था, भाईसाब कोई कंपनी का नंबर बताओ, ऐसे फोन नहीं लगता। मैं बहुत छोटा और मासूम था। फिर मैंने टोटल टीवी न्यूज चैनल को कॉल करना शुरू किया। वो छोटा चैनल था तो किसी ने फोन उठा लिया। मैंने फोन पर कहा सर मुझे भी टीवी पर आना है। उन्होंने जवाब दिया कि ऐसे ही कोई टीवी पर नहीं आ जाता।

मैंने कहा- सर सिक्का खत्म होने वाला है (कॉल कट होने वाला है) जल्दी बता दीजिए कि टीवी पर कैसे आ सकते हैं। मैंने डेढ़ महीने तक उसे परेशान किया। वो मुझसे पूछता था काम क्या करोगे, मैं कहता था न्यूज एंकर के पीछे दिखने वाले गमले ही साफ कर दूंगा, लेकिन काम दे दो। एक दिन उसने तंग आकर मुझसे कहा कि ठीक है तुम एक-दो लड़के और लेकर आ जाओ। मैं पहुंचा, मुझे न्यूज शो में ताली बजाने के लिए बैठाया गया। मैं समझ गया था काम कैसे होता है।

न्यूज शो में बैठकर तालियां बजाते थे

उस शो में शेखर सुमन आए थे, जो उस समय लाफ्टर चैलेंज में जज थे। मैंने उनसे कहा आपका शो कब आएगा, मैं भी उसमें हिस्सा लूंगा, वो हंसकर निकल गए। मैं फरीदाबाद में रहता था, जहां से नोएडा करीब था। मैं ऐसे ही स्पेशल शोज में ऑडियंस बनकर पहुंचने लगा। एक बार इंडिया टीवी में जाने का मौका मिला। उस शो में लाफ्टर चैलेंज के विनर्स को बुलाया जाता था। आप की अदालत में भी मैं गया था। कई लोगों के नंबर निकालता था और उनसे काम मांगता था। एक बार सुनील पाल से बात हुई तो उन्होंने कहा, हां कभी बुलाऊंगा।

क्लिनिक पर लोगों को हंसाते हुए इंजेक्शन लगाता था

जब भी क्लिनिक पर कोई पेशेंट आता था तो मैं उसे हंसाते हुए इंजेक्शन लगाता था। मेरी डिमांड बहुत बढ़ गई थी। लोग तारीफ करते और कहते मुझसे ही इंजेक्शन लगवाएंगे। कॉल करने के सिलसिले से एक आदमी मिला, जिसने मुझे बताया कि नोए़डा की एक कंपनी शोज करवाती है। संपर्क किया तो उस कंपनी ने मुझे बुलाया, लेकिन जॉब के कारण मैं वहां नहीं जा सका। अगली बार जब मैंने दोबारा कॉल किया तो उन्होंने डांट दिया कि पहले क्यों नहीं आए।

गुस्सा शांत होने पर उन्होंने कहा तुम आ जाओ काम पर, लेकिन अभी पैसे नहीं मिलेंगे। मैं हर शनिवार, रविवार 120 रुपए लगाकर जाता था, लेकिन पैसे नहीं मिलते थे। कभी एंकरिंग की तो कभी लोगों को हंसाया। 6 महीने बाद वो मुझे एक दिन के 50 रुपए देने को राजी हो गए। मन लग रहा था तो मैं करता गया। फिर 150 रुपए मिलने लगे।

दादाजी की मौत के बाद लिया काम से ब्रेक

2012 के आखिर में मेरे दादाजी का देहांत हो गया। मैंने ब्रेक लेकर जब दोबारा वापसी की तो उन्होंने मुझे बाहर शहर के इवेंट दिए। एक दिन की फीस थी हजार रुपए। क्रेटा जैसी कई कंपनियों के इवेंट, शादियों, बर्थडे पार्टी में एंकरिंग और होस्टिंग करता था। मेरे लिए ये बड़ी बात थी। मेरे घरवालों को इसकी कोई खबर नहीं थी।

एक कॉल से मुंबई पहुंच गया

एक बार मुझे कॉल आया कि क्या मुंबई आओगे। मैंने कहा क्या मजाक कर रहे हैं। जवाब मिला, एक कॉम्पिटिशन है, उसमें अजय देवगन भी आएंगे। अगर तुम जीत गए तो हम तुम्हें टिकट दे देंगे। मैं घबरा गया। बहुत सोचने के बाद मैं मुंबई आ गया। पुराने दोस्त दुबे जी ने कांदीवली के पास एक मंदिर में ठहरने का इंतजाम करवा दिया।

इवेंट वालों ने अंधेरी ईस्ट के एक लॉज में ठहरने की व्यवस्था रखी थी। वहां कई और लोग भी थे। मैं डरा हुआ था तो उन लोगों ने मुझे समझाया कि हम तुम्हें मारेंगे नहीं, दूसरे लोगों के साथ ही आपसे काम करवाया जाएगा। सुना था कि मुंबई जाओ तो लूट लेते हैं। मेरे मन में यही सोच-सोचकर शक था कि इतनी भीड़ वाले शहर में मुझे दिल्ली से क्यों बुलाया गया।

अजय देवगन से मिला था हैंपर

इवेंट में पहली बार मैंने अजय देवगन को देखा। शो शुरू होने के ठीक पहले मेरे पास घर से कॉल आया कि मेरी बहन के साथ उसके पति ने मारपीट की है। दिमाग में टेंशन और एक तरफ परफॉर्मेंस का प्रेशर और दूसरी तरफ अजय सर से मिलने की खुशी।

पहले मैं टॉप-10 में था, लेकिन फिर पता नहीं क्या हुआ कि मुझे टॉप-10 तक ही रखा गया। अजय देवगन उस समय हाजमोला के ब्रांड एम्बेसडर थे और मुझे उसके हैंपर मिले। 2015 में मुझे छोटे-मोटे न्यूज चैनलों के होली, दिवाली प्रोग्राम में काम करने का मौका मिलने लगा।

एक बार मैं काम से लौट रहा था। उसमें मुझे 8 हजार रुपए मिले थे। ये होली के एक दिन पहले की बात थी। कुछ लोगों ने मुझे जबरदस्ती गाड़ी में बैठा लिया और मेरे पैसे, लैपटॉप सब छीन लिया। उनका प्लान था कि वो मुझे मारकर नहर में डाल देंगे। मैंने रास्ते भर उनसे बहुत अच्छे से बात करने की एक्टिंग की। अपना बचाव नहीं किया। मुझे लगा आज मैं मर जाऊंगा, मेरे फोन भी बंद हो चुके थे।

वो लोग जब नहर किनारे रुके तो मैं नहर की तरफ दौड़ने लगा। उनके हाथों चाकू से मरने से बेहतर था मैं नदी में डूब जाऊं। मैंने फिल्मों में देखा था कि लोग नदी से निकालकर पट्टी कर देते हैं। मैं जैसे ही चिल्लाते हुए भागा तो वो खुद भागने लगे। मैंने उन्हें समझाया था कि मेरा लैपटॉप चुराओगे तो पकड़े जाओगे, क्योंकि उसमें ट्रैकर है, तो भागते हुए वो लोग लैपटॉप छोड़ गए।

बचकर पुलिस स्टेशन पहुंचा तो मेरी शिकायत दर्ज नहीं की गई। मैंने फेसबुक में इस घटना के बारे में पोस्ट की तो अगले दिन कई आर्टिस्ट मेरे घर पहुंच गए। उन लोगों ने मदद कर मेरी शिकायत दर्ज करवाई। पुलिस वालों ने एक पुलिस स्टेशन से दूसरी जगह खूब घुमाया। एक साथी ने कमिश्नर को कॉल किया तो सीधे चाय आई और शिकायत लिखी गई। घरवाले बहुत सीधे थे, उन्होंने खूब विनती की कि शिकायत वापस ले लो। मैंने शिकायत वापस ली तो साथी बुरा मान गए।

धीरे-धीरे फिर काम करना शुरू किया। मुंबई में एक शो मिला तो मैं सीधे पहुंच गया, क्योंकि मुझे मुंबई में काम करना था। वहां राजेश खन्ना के डुप्लिकेट बनने वाले एक आदमी ने मेरा फोन चोरी कर लिया, लेकिन मुझे खुशी थी कि मैं मुंबई में हूं। उस इवेंट में गुरमीत चौधरी, कायनात अरोड़ा आए थे।

जबरदस्ती ऑडिशन दिया तो मिला पहला काम

एक दोस्त के साथ प्रोडक्शन हाउस गया तो सोचा ऑडिशन दे दूं। उन लोगों ने यह कहते हुए इनकार कर दिया कि अभी ऑडिशन नहीं चल रहे हैं। मैंने बहुत रिक्वेस्ट की तो वो मान गए। मैंने फनी डायलॉग बोलकर ऑडिशन दिया और घर आ गया। मैंने एक दोस्त से भी जबरदस्ती ऑडिशन दिलवा दिया। उस दोस्त के पास मेरे लिए कॉल आया, जिसमें एक आदमी ने डांटते हुए कहा, कॉल क्यों नहीं उठाते।

मैंने पूछा कौन तो कहा, तुमने ऑडिशन दिया था, वो सिलेक्ट हो गया है, कल शूटिंग पर आ जाना। मैंने पहला शो किया तू मेरा हीरो। मेरे किरदार का नाम हीरो था और डायलॉग था मैं मुंबई हीरो बनने आया हूं, क्योंकि मुंबई के सारे हीरो पुराने हो गए हैं। 2 दिन के 2 हजार रुपए मिले और मैं फरीदाबाद लौट आया। 5 दिनों बाद मुझे दोबारा कॉल आया।

शूटिंग पर जाने के लिए लेते थे उधार

एक दिन मेरे पास भाबीजी घर पर हैं शो से कॉल आया, लेकिन शॉर्ट नोटिस में जाना मुमकिन नहीं हुआ। उसके बाद मेरे पास दीया और बाती के प्रोडक्शन का कॉल आया। उन्होंने कहा- 1 दिन की शूटिंग है, कल ही आना है। मैंने दिल्ली से मुंबई फ्लाइट टिकट देखी तो 5 हजार की थी और एक दिन के पैसे सिर्फ 2 हजार मिलते। मैंने सोचा कोई बात नहीं चला जाता हूं।

एक दोस्त से पैसे उधार लिए और आधी रात को ही मैं निकल गया। रात भर एयरपोर्ट पर बैठा रहा और सीधा उठकर सेट पर पहुंचा। एक बार में शॉट ओके हो गया और उन्होंने कहा जाओ। दिन भर का काम होता तो मुझे खाना सेट पर मिलता, लेकिन 10 मिनट में ही मेरा शॉट हो गया। मैं झिझकते हुए खाने तक सेट पर रुका रहा और बाद में ट्रेन से वापस आ गया।

मुंबई आता था तो दोस्त फोन बंद कर लेते थे

फिर एक बार भाबीजी घर पर हैं के प्रोडक्शन से कॉल आया। फिर उधार लेकर पहुंचा तो पता चला कि मुझे शूटिंग के लिए नहीं बल्कि सिर्फ मिलने बुलाया गया है। मेरा काम पसंद आया तो उन्होंने न्यूज एंकर का काम दिया और कहा आते रहना। लोग कहते हैं कि मुंबई आओ तो जरूर मिलना, लेकिन वही लोग कॉल करते ही बहाने बनाकर फोन बंद कर देते हैं। कई बार तो ऐसा हुआ कि जिस दोस्त ने कॉल कर बहाना बनाया कि शहर में नहीं हूं, वही सामने खड़ा दिख गया।

एक महीने पीजी में रहा ये कहकर कि मैं साफ-सफाई कर दूंगा। वो लोग मुझसे बहुत काम करवाते और बहुत जलील करते। मुझे परेशान होकर 5 दिन में ही वो जगह छोड़नी पड़ी। मुझे पहला बड़ा काम पुलिस फैक्टरी शो में मिला। रहने की जगह नहीं थी तो मैं सेट पर ही सो जाता था। रात भर मच्छर काटते थे। कई बार भाबीजी घर पर हैं के सेट पर सोया।

एक शो के लिए गंजा हुआ, लेकिन काम नहीं मिला

2017 में मैंने तेनाली रामा का ऑडिशन दिया। मैं टॉप- 3 में था, लेकिन मुझे रिजेक्ट कर दिया गया। बाकी लड़कों ने शो करने से इनकार कर दिया तो किस्मत से मुझे शो मिल गया। लुक टेस्ट हुआ सब कुछ हुआ, लेकिन फिर कह दिया कि अभी कुछ फाइनल नहीं है। दो-तीन बार रिहर्सल भी करवाई, लेकिन काम शुरू नहीं करवाया। मैं चिढ़ गया और पूछा कि काम है भी या नहीं।

उन्होंने कहा थोड़ा सब्र करो हो जाएगा शुरू। एक दिन कॉल आया कि तुम रोल के लिए अपने पूरे बाल कटवाकर गंजे हो जाओ। मैंने मन मारकर बाल कटवाए। नाई की दुकान के बाहर एक पॉलिथीन बैग में अपने बाल लिए खड़ा था कि तभी कॉल आया कि अभी मत कटवाओ, कुछ फाइनल नहीं है।

तेनाली रामा से मिला था बड़ा ब्रेक

कुछ दिनों बाद शूटिंग शुरू हुई। छोटी सी यूनिट और अनजान चेहरों के साथ हमने शूटिंग की। मैं सोच रहा था इससे अच्छा तो भाबीजी घर पर हैं शो था, कम से कम कलाकार तो फेमस थे। खैर, तेनाली रामा शो ऑन एयर हुआ और 15 ही दिन में मेरा किरदार धनी-मनी बहुत फेमस हो गया। तसल्ली मिली कि अब काम शुरू हो गया।

पैसे मिलने लगे तो मैंने नायगांव में किराए पर एक कमरा लिया। पहले दिन जब पहुंचा तो मेरे पास एक चादर तक नहीं थी। काम ऐसा चल निकला कि मैंने धीरे-धीरे सामान खरीदा। 2017, 2018, 2019 में मुझे खूब काम मिला।

कई बार जख्मी हुए, लेकिन करते रहे काम

मुझे काम करके इतनी खुशी मिलती है कि कई बार जख्मी होने पर भी मैंने शूटिंग की। मैं काम करके बहुत खुश रहता हूं। एक दिन की शूटिंग के लिए मुझे 3 हजार रुपए मिलते थे। तीन साल मैंने बहुत कमाई की। अब काम इतना है कि मैंने अर्चना पूरन सिंह के साथ एक फिल्म तक ठुकरा दी है।

कोविड का समय ठीक नहीं रहा

कोविड के चलते हमारा शो तेनाली रामा ऑफ एयर हो गया। डर रहता था कि कहीं शो हाथ से ना निकल जाए। घर पहुंचा तो मुझे कोरोना हो गया। मैं घर पर ही पेड़-पौधे लगाता था। वो समय डर में बीता, लेकिन अब लगता है कि वो गोल्डन पीरियड था। कोविड के बाद काम थोड़ा रुका जरूर था, लेकिन 2021 के बाद से मुझे बॉलीवुड फिल्मों में अच्छे और सीरियस रोल मिलने लगे हैं। मेरे पास कई वेब सीरीज, फिल्में और शोज हैं।

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ये टीवी के फेवरेट पंडित हैं। इन्होंने बालाजी प्रोडक्शन के हर सीरियल में सितारों की शादी करवाई। लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए इन्होंने बहुत स्ट्रगल किया। चौकीदारी से लेकर भुर्जी पाव का ठेला लगाने तक सारे काम किए। टीवी में ब्रेक भी मिला, लेकिन काम था पंडित का। और पंडित की इमेज ने इन्हें ऐसा बांधा कि फिर कभी उससे आजाद नहीं हो पाए।

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पिता सुन नहीं पाते थे, मां को दिखता नहीं था:3.8 फीट के बरकत अब कर्नाटक के कॉमेडी खिलाड़ी, कभी ऑर्केस्ट्रा में करते थे काम

आज हम बात करेंगे एक ऐसे कलाकार की जिसका कद महज 3.8 फीट है, मगर जिंदगी में मुश्किलें बड़ी-बड़ी झेलीं। नाम है बरकत अली। जब 5-6 साल के थे तो गांव से सर्कस वाले चुपचाप इन्हें उठा ले गए। घरवाले काफी झगड़े के बाद इन्हें छुड़ा पाए। बचपन में मुंह से खून आने की बीमारी थी और जुबान दो हिस्सों में कटी हुई थी। पिता सुन नहीं पाते थे और मां को रात को दिखना बंद हो जाता था। ऑर्केस्ट्रा में 50 रु. रोज में काम किया। लोग चिढ़ाते थे कि बौना है तेरी शादी नहीं होगी, लेकिन बरकत ने शादी की वो भी लव मैरिज, एक सामान्य कद की लड़की से। किस्मत थोड़ी पलटी तो फिल्मों में काम मिला, एक फिल्म के 3 लाख तक मिलने लगे। भारत ही नहीं, लंदन में भी इनके नाम के चर्चे हुए।

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