मुल्क, आर्टिकल 15 और थप्पड़ के बाद अनुभव सिन्हा एक और सामाजिक सरोकार वाली फिल्म 'भीड़' ला रहें हैं। इसमें दीया मिर्जा को भी अहम भूमिका दी गई है। इसके पहले वो अनुभव की ही 'दस' और 'कैश' जैसी कॉमर्शियल जॉनर वाली फिल्मों की हिस्सा रही हैं।
हाल के समय में दीया और अनुभव ने थप्पड़ और अब भीड़ जैसी सोशल कॉज वाली फिल्म पर काम किया है। अब अनुभव के साथ काम करने को लेकर दीया ने अपना एक्सपीरिएंस शेयर किया है।
दीया जब भीड़ की शूटिंग के लिए जाने वाली थी तो उनका बेटा महज 6 साल का था। उन्होंने उस दौरान की चुनौतियों पर भी बात की। वहीं उनकी चाहत बायोपिक फिल्में करने की भी है। वो चाहती हैं कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू पर एक फिल्म बने।
भीड़ अनुभव के करियर की बेस्ट फिल्म- दीया
दीया मिर्जा ने दैनिक भास्कर के साथ बातचीत में कहा, 'कोविड के चलते पहले वाले लॉकडाउन में अप्रवासी मजदूरों की दुर्दशा एक बड़ी सामाजिक त्रासदी थी। मैंने अनुभव के साथ तो पहले भी काम किया है, लेकिन भीड़ उनके करियर की सबसे अच्छी फिल्म है। उस दौर में (लॉकडाउन के समय) पूरे हिंदुस्तान में इंसानियत का खूबसूरत और बदसूरत दोनों चेहरा देखने को मिला। ऐसी कहानियां हमारे अस्तित्व को जगाती हैं।'
शूटिंग के वक्त बेटा सिर्फ 6 महीने का था
दीया आगे कहती हैं, ‘मैं तो अनुभव सिन्हा की हर फिल्म में होना चाहूंगी, क्योंकि हमारे देश में बहुत कम फिल्म मेकर हैं, जो राजनीतिक और सामाजिक सरोकार की फिल्में बनाते हैं।
भीड़ की शूटिंग मैंने तब की थी, जब मेरा बेटा महज 6 महीने का था। मुझे बॉम्बे छोड़कर दूसरे शहर जाना था। तब मैंने अपने आप से बस एक सवाल पूछा था कि जब मेरा बेटा बड़ा होगा तो क्या ये फिल्म उसकी जिंदगी में किसी तरह का फर्क लाएगी? मुझे खुद से जवाब 'हां' में मिला। ’
फिल्म की स्क्रिप्ट पढ़ते ही आंखों में आंसू थे
फिल्म के बारे में दीया अपना एक पर्सनल अनुभव जाहिर करती हैं। उन्होंने कहा, ‘इसकी स्क्रिप्ट पढ़ते ही मेरी आंखें भर आई थीं। मेरे पति जो फिल्म इंडस्ट्री से नहीं हैं, वो मुझे उस वक्त वैसे देख कर आश्चर्य में थे। इस फिल्म का जो सब्जेक्ट है, उसे हम इंसानों को कभी नहीं भूलना चाहिए।
हम शायद ही कभी सड़क किनारे गाड़ी से निकल कर तपती धूप में काम करते मजदूरों की पीड़ा को समझने या महसूस करने की कोशिश करते हैं। लिहाजा मैं जब क्लाइमेंट चेंज से जुड़े मसलों के बारे में बातें करती हूं तो मेरे जहन में किसान, मजदूर, बच्चे होते हैं, कि कैसे उनकी जिंदगी बेहतर की जा सके।’
अब वहीं रोमांटिक फिल्में चलेंगी जो जज्बात से रिलेट करती हों
दीया के करियर की शुरुआत ' रहना है तेरे दिल में ’ जैसे रॉम कॉम जॉनर की फिल्म से हुआ था। वैसी फिल्मों के मौजूदा परिदृश्य पर वो अपनी राय रखती हैं। उन्होंने कहा, ' ये जॉनर तब काम करेगा, जब फिल्म में अहमियत इमोशन को दी गई हो। साथ ही जो मौजूदा सोशल पॉलिटिक्स हैं, उन्हें भी कहानी में पिरोना होगा।
बेशक ' रहना है तेरे दिल में ’ में सोशल पॉलिटिक्स या कल्चरल डिवाइड का बैकड्रॉप नहीं था। वहां बस प्यार की तलाश और धोखे की कहानी थी । मेरे ख्याल से वैसी रोमांटिक कहानियां काम करेंगी, जो या तो दर्शकों की ख्वाहिशें जगाने में सफल होती हैं या फिर उनके जज्बात से रिलेट करती हों।
डीडीएलजे में हीरो उसी सूरत में हीरोइन से शादी करना चाहता है, जब उसके परिवार वाले हीरो को एक्सेप्ट करे। जबकि हीरोइन के पिता हीरो को बिल्कुल पसंद नहीं करते। फिर भी हीरो हीरोइन को भगाता नहीं। तो ये प्लॉट लेवेल पर ही बड़ा पॉवरफुल इमोशन था। ’
इंटरकास्ट मैरिज पर फिल्म बननी चाहिए
दीया जोर देकर कहती हैं, ' क्या आज की तारीख में भी अंतर्जातीय विवाह का विरोध होता है? बिल्कुल। हाल के सालों में इंटर कास्ट मैरेज का विरोध बढ़ा है। इस विरोध ने पिछले दस सालों में राजनीतिक रंग भी ले लिया है । वैसी स्टोरीज बनाई जानी चाहिए। चाहे किसी भी जॉनर में। नीयत कहानी पर हो तो आज की तारीख में भी वैसी कहानियों पर फिल्में बनानी चाहिए।
पंडित नेहरू पर बायोपिक देखना चाहती हैं दीया मिर्जा
दीया मिर्जा बायोपिक वाली फिल्में भी करना चाहती हैं। उन्होंने कहा, मैं लंबे समय से अमृता शेरगिल जी की बायोपिक करना चाहती हूं। अब मैंने उन पर स्क्रिप्ट लिखवानी शुरू कर दी है। देखते हैं कब तक बनती है।
बाकी इंदिरा गांधी जी पर तो एक एक्ट्रेस कर ही रही हैं। स्पोर्ट्स में ओलंपियन दीपा मलिक हों या महिला आईएफएस दीप जे कॉन्ट्रैक्टर, उनकी बायोपिक बननी चाहिए। मुझे हैरत होती है कि लोग पंडित नेहरू पर क्यों नहीं बायोपिक बना रहे?
Copyright © 2023-24 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.