शाहरुख खान स्टारर फिल्म 'पठान' रिलीज के 10 दिन बाद भी बॉक्स ऑफिस पर लगातार धमाल मचा रही है। फिल्म ने अब तक करीब 725 करोड़ रुपए की कमाई कर ली है। इसी बीच 'पठान' के राइटर श्रीधर राघवन ने दैनिक भास्कर से खास बातचीत की। पेश हैं प्रमुख अंश:-
:- पठान की पूरी स्क्रिप्ट आपने अकेले लिखी?
जी नहीं। यह सामूहिक एफर्ट था। अब्बास टायरवाला, सिद्धार्थ आनंद और खुद आदित्य चोपड़ा के भी इनपुट, ह्युमर और विजन थे। शूटिंग के बाद एडिटिंग भी राइटिंग का लास्ट फेज था। फिल्म जब न चले तब जरूर राइटर समेत सब अकेला फील करते हैं। हमें पठान की कहानी को लिखने में तीन साल लगे हैं।
:- आपकी लिखी वॉर भी सुपरहिट थी। ब्लॉकबस्टर लिखने का गुरूमंत्र देंगे?
यही कि जिस भी जॉनर की कहानी आप लिखें, उसके मिजाज से पूरी ईमानदारी बरतें। मेरी और मेरे भाई श्रीराम राघवन बचपन से ही मनमोहन देसाई, रमेश सिप्पी, विजय आनंद से लेकर बाकी हर तरह की फिल्में देखते आ रहे हैं। पुणे में पुराने जमाने में अपोलो थिएटर में मॉर्निंग शोज में बदला, जख्मी जैसी फिल्में लगती थीं। वो हम देखा करते थे। अलंकार सिनेमाघर भी पास में था। मैं ऐसी कहानी लिखता हूं, जिसे 8 साल की ऑडियंस भी देख सके।
- पठान में हर कुछ लार्जर दैन लाइफ है। वह सब यकीनी किस तरह बनाया?
आप को अपने लेखन पर पूरा यकीन होना चाहिए। साथ ही वह सब सीक्वेंस तो आदि सर और सिड यानी हमारे प्रोड्यूसर और डायरेक्टर का आयडिया था। वह वैसा इसलिए सोच पाए कि उन्हें वह करने में मजा आ रहा था। उसे उन्होंने इसलिए नहीं लिखा कि ऑडियंस देखकर खूब खुश होगी। इसी तरह जो क्लाइमैक्स है फिल्म का वो आदि सर का लिखा हुआ था। मेरा मानना है कि अगर कोई एक्शन बहुत लाउड या बढ़ाचढ़ा हुआ है, तो भी राइटर को वह यकीनी लग रहा है तो वह लिखा जाता है। हमने वर्ल्ड क्रिएट किया, उसके नियम सेट कर दिए।
- कितने ड्राफ्ट बने इसके, किस तरह इसकी शुरूआत हुई थी?
छह से सात ड्राफ्ट तो बने होंगे। आदि सर के पास पठान जैसे किरदार का आयडिया था। डायरेक्टर सिद्धार्थ आनंद के पास प्लॉट था। फिर उनके साथ मैं और अब्बास टायर वाला साथ बैठे। तीन से चार महीनों तक हम डिस्कस करते रहें कि फिल्म में क्या क्या होना चाहिए। फिर मोटे तौर पर पहला ड्राफ्ट बना। उसके बाद उस पर फिर छह महीने और लगे कि कहानी को और लार्जर दैन लाइफ कैसे बनाना है? संयोग देखिए कि कहानी में जो वायरस का आयडिया था, वह भी आदि सर का था। वह कोविड से पहले ही उनके जेहन में आया था।
- शाह रुख ने क्या कुछ टेक्निकल इनपुट दिए ?
हम उन्हें तो रोमांटिक हीरो के तौर पर जानते हैं, मगर उन्होंने एक्शन में थीसिस लेवल की रिसर्च कर रखी है। उन्होंने उस रिसर्च को डॉक्यूमेंट कर रखा था, उसे उन्होंने हमें सौंप दिया।ऐसी फिल्मों को टेंटपोल मूवीज कहा जाता है। यहां बड़े बड़े सीन के आयडिया प्रोड्यूसर और डायरेक्टर से आए। मैंने बतौर राइटर उस टेंट को केवल वाटरप्रूफ बनाया।
:- पठान की टारगेट ऑडियंस कौन थी?
मैं यह नहीं मान सकता कि पठान सिर्फ एक्शन के चलते हिट हुई। या इसका स्केल बड़ा है, इसलिए हिट हुई। बेशक ये एक रीजन हो सकते हैं। यह हिट हुई, क्योंकि कैरेक्टर काम कर गए। लोगों को शाहरुख, जॉन, दीपिका, डिंपल मैम के किरदार पसंद आए। उनके अलावा बाकी जो कुछ था, वह सब बोनस था। यकीनन 'फास्ट एंड फ्युरियस ’ जैसी फ्रेंचाइजी का एक्शन तो यहां के मुकाबले कई गुना खतरनाक होता है। पर वैसा वह अपने भारी भरकम बजट के चलते बना पाते हैं। पर फिर से मैं कहना चाहूंगा कि अगर आप का इमोशन सही बैठे तो फिल्म लोगों को पसंद आती ही है।
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