तमिल भाषा के दो शब्द हैं कढ़ाल मन्नन यानी किंग ऑफ रोमांस। 1950 से 1980 के बीच तमिल सिनेमा के सबसे रोमांटिक हीरो थे जेमिनी गणेशन। इन्हें ही कढ़ाल मन्नन भी कहा जाता था। ये इतने हैंडसम माने जाते थे कि फिल्मों में कभी इन्हें बदसूरत दिखने वाले रोल नहीं दिए गए। जेमिनी गणेशन बॉलीवुड एक्ट्रेस रेखा के पिता थे। हालांकि, उन्होंने रेखा को कभी अपनी बेटी नहीं माना और ना ही उनकी मां को पत्नी का दर्जा दिया।
जेमिनी ने 3 शादियां की थीं। पहली शादी तो सिर्फ इस लालच में कर ली थी कि ससुर ने उन्हें मेडिकल कॉलेज में एडमिशन कराने का भरोसा दिया था। डॉक्टर तो नहीं बन पाए, लेकिन किस्मत उन्हें फिल्मी पर्दे पर ले आई। पहले एक्स्ट्रा कलाकार, फिर साइड हीरो, फिर विलेन और फिर बने हीरो। दूसरी शादी फिल्म एक्ट्रेस सावित्री से की, जो अपने जमाने की सबसे अमीर एक्ट्रेस हुआ करती थीं। तीसरी शादी की 78 साल की उम्र में, वो भी अपने से 36 साल छोटी लड़की से।
जेमिनी गणेशन जितने फेमस थे, उतने ही विवादों में भी रहे। एक्ट्रेस रेखा और उनकी मां से जेमिनी का रिश्ता हमेशा विवादों में रहा। सावित्री टॉप एक्ट्रेस थीं, लेकिन धीरे-धीरे बर्बाद हो गईं, इसका कारण भी जेमिनी को ही माना गया। किंग ऑफ रोमांस की जिंदगी में जितना रोमांस था, उतनी ही कंट्रोवर्सीज भी थीं।
आज की अनसुनी दास्तानें में पढ़िए तमिल के सुपरस्टार जेमिनी गणेशन की पूरी कहानी....
6 साल में उठ गया पिता का साया
जेमिनी का जन्म 1920 को तमिल ब्राह्मण परिवार में हुआ था, जिनका नाम रामासामी गणेशन रखा गया था। इनकी दादी और मां देवदासी थीं और पिता रामासामी अय्यर पुदुकोट्टाई, तमिलनाडु के महाराजा कॉलेज के प्रिंसिपल। 6 साल की उम्र में जेमिनी ने एक साथ दादाजी और पिता को खो दिया। परिवार लावारिस हो गया तो उन्हें बुआ के घर मदद मांगने जाना पड़ा।
रोज मां का अपमान होते देखते थे जेमिनी
जेमिनी की बुआ मुथुलक्ष्मी एक पढ़ी-लिखी महिला थीं, जो देवदासी प्रथा से नफरत करती थीं। उन्होंने जेमिनी के परिवार को सहारा तो दिया, लेकिन बदले में उन्हें जिल्लत और तानों से दिन काटने पड़ते थे। जेमिनी की मां और दादी को उनके घर आने वाले मेहमानों के सामने आने की भी इजाजत नहीं थी, क्योंकि मुथुलक्ष्मी को उनसे रिश्तेदारी पर शर्म महसूस होती थी। रोज के तानों और जिल्लत से परेशान जेमिनी की मां और दादी उन्हें वहीं छोड़कर गांव लौट आईं। वो चाहती थीं कि जेमिनी अपनी बुआ की तरह पढ़-लिखकर कामयाब बनें।
मां से दूरी बर्दाश्त नहीं कर सके जेमिनी
जब बुआ ने पढ़ाई के लिए जेमिनी को रामकृष्ण आश्रम भेजा तो वो मां के बिना नहीं रह पाए। दूरी बर्दाश्त नहीं हुई तो जेमिनी आश्रम छोड़कर मां के पास भाग आए। गांव में ही उन्होंने स्कूली शिक्षा ली और फिर B.Sc. करने चेन्नई के मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज आ गए।
डॉक्टर बनने के लिए शादी की, लेकिन अधूरा रह गया सपना
जेमिनी एक बार पढ़ाई के सिलसिले में अपनी दोस्त टी.आर. अलामेलू से मिलने तिरुचिलापल्ली गए थे, जहां उनकी मुलाकात अलामेलू के पिता से हुई। अलामेलू के पिता मेडिकल कॉलेज से जुड़े थे। उन्होंने जेमिनी को प्रस्ताव दिया कि अगर वो उनकी बेटी से शादी करते हैं तो उन्हें मेडिकल कॉलेज में सीट दी जाएगी।
जेमिनी डॉक्टर बनना चाहते थे, तो वो राजी हो गए। 1940 में 19 साल के जेमिनी ने शादी तो की, लेकिन दुर्भाग्य से एक महीने में ही उनके ससुर गुजर गए। बिना सिफारिश के मेडिकल सीट मिलना नामुमकिन था, ऐसे में उन्होंने डॉक्टर बनने का ख्याल छोड़ दिया।
जेमिनी की शादी भले ही मजबूरी में हुई थी, लेकिन उन्होंने कभी पत्नी को ये एहसास नहीं दिलाया। वो अलामेलू को बाबजी कहकर बुलाते थे। कुछ सालों में इनके घर बेटियों का जन्म हुआ। अलामेलू से जेमिनी को चार बेटियां रेवती, कमला, जयालक्ष्मी, नारायणी थीं। जेमिनी खुद तो डॉक्टर नहीं बन सके, लेकिन उन्होंने अपनी तीन बेटियों को डॉक्टर जरूर बनाया, वहीं चौथी बेटी नामी पत्रकार है।
ससुर के गुजरने के बाद घर की जिम्मेदारी जेमिनी पर आ गई, तो वो नौकरी की तलाश में निकल पड़े। एक रिश्तेदार की मदद से उन्हें दिल्ली के मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज में केमिस्ट्री के प्रोफेसर की नौकरी मिल गई। कुछ लोगों की मदद से 1947 में जेमिनी को जेमिनी स्टूडियो में एग्जीक्यूटिव की नौकरी मिल गई। जेमिनी फिल्मों में कास्टिंग की मदद करते थे।
इसी साल जेमिनी को मिस मालिनी फिल्म में साइड हीरो का रोल दिया गया। स्क्रीन पर आए जेमिनी बेहद हैंडसम थे और उनका अभिनय दमदार था। ऐसे में उन्हें लगातार फिल्मों में छोटे-मोटे रोल मिलने लगे। 1953 की फिल्म मनम पोला मंगल्यम में पहली बार इन्होंने बतौर हीरो काम किया और पॉपुलैरिटी हासिल की। इसके बाद जेमिनी लगातार हिट फिल्में देने लगे।
चाहने वालों के लिए रोज निकालते थे समय
रोमांटिक हीरो जेमिनी के चाहने वालों की गिनती नहीं थी। रोजाना उनके घर कई फैंस के लेटर आते थे, जिनके जवाब वो खुद देते थे। वहीं जब कोई स्टूडेंट उनसे मिलने पहुंचता था तो वो घंटों उसे बैठाकर बात करते और अपनी गाड़ी से घर छुड़वाते। एक बार तो ये एक कल्चरल प्रोग्राम के लिए श्रीलंका गए थे। वहां उन्हें लेने के लिए हजारों लोग एयरपोर्ट पहुंचे थे। अगले दिन श्रीलंका के हर अखबार के फ्रंट पेज पर सिर्फ जेमिनी की ही तस्वीरें थीं।
जेमिनी की पॉपुलैरिटी ऐसी थी कि अगर किसी प्रोग्राम में चप्पल उतार दें तो चप्पल चोरी होना आम बात थी। 1964 में जेमिनी तमिल फिल्म की शूटिंग के लिए रामेश्वरम गए थे। इतिहास में पहली बार रामंथस्वामी मंदिर के अंदर शूटिंग हुई थी। जेमिनी को देखने वहां खूब भीड़ पहुंची थी और शूटिंग के लोगों के साथ भीड़ भी हर जगह होती थी।
सबसे फिट एक्टर, जिसे नहीं थी बॉडी डबल की जरूरत
जेमिनी फिटनेस फ्रीक थे। रोज सुबह उठने के साथ लंबी वॉक पर निकलते थे। जब शूटिंग से समय निकालकर घर पर रहते थे, तब भी ज्यादातर समय बैडमिंटन, गोल्फ, टेनिस खेलते हुए बिताते। ये इतने फिट थे कि हमेशा बॉडी डबल को वापस भेज देते थे। फिल्म मिसम्मा के लिए इन्होंने खुद दूसरी मंजिल से छलांग लगाई थी। इसमें ये इतने एक्सपर्ट हो गए थे कि कुछ दिनों में सीढ़ियों की जगह ये दूसरी मंजिल से छलांग लगाते हुए ही उतरते थे।
प्रॉपर्टी खरीदने के शौकीन थे जेमिनी
जेमिनी को शुरुआत से ही प्रॉपर्टी में निवेश करना पसंद था। इन्हें घर खरीदने का जुनून ऐसा था कि अगर कहीं जाते और वो जगह पसंद आती, तो खरीद लेते थे, चाहे कीमत कितनी भी हो। ऐसे ही उन्होंने शूटिंग के दौरान तमिलनाडु के कोडाइकनल में स्थित रेड लिंच, हैरिटेज बंगला खरीदा था। जेमिनी के तमिलनाडु में कई बड़े बंगले और प्रॉपर्टी हैं, जिनकी देखरेख अब उनकी बेटियां करती हैं।
राजनीति में जाने के सख्त खिलाफ थे
जेमिनी के साथी कलाकार एमजीआर, एम. करुणानिधि और जे. जयललिता राजनीति का जाना-माना नाम बने, वहीं जेमिनी ने हमेशा राजनीति से दूरी बनाए रखी। एक समय राजीव गांधी ने उन्हें राज्यसभा की सीट ऑफर की थी, लेकिन उन्होंने ठुकरा दी।
कुरूप व्यक्ति का रूप धर पहुंचे थे प्रोड्यूसर के घर
फिल्म कनावानाए थीवम के लिए मेकर्स को ऐसे हीरो की तलाश थी जो फिल्म में कुरूप बौने का रोल प्ले कर सके। पहले जेमिनी के नाम पर विचार किया गया, लेकिन बाद में मेकर्स ने ये सोचकर फैसला बदल लिया कि फैंस को हैंडसम जेमिनी कुरूप बने अच्छे नहीं लगेंगे।
जब रोल हाथ से निकलता दिखा तो जेमिनी ने जिद पकड़ ली। एक दिन जेमिनी एक कुरूप व्यक्ति का रूप धारण कर प्रोड्यूसर के घर पहुंचे और उन्हें आवाज बदलकर परेशान करने लगे। प्रोड्यूसर ने तंग आकर पुलिस बुलाने का फैसला किया, तो जेमिनी ने हंसते हुए अपने इस नए अंदाज में दिए ऑडिशन का खुलासा किया। जाहिर है वो फिल्म जेमिनी को ही मिली थी। फिल्म में रूप बदलने के लिए जेमिनी को घंटों मेकअप करवाना पड़ता था और मेकअप खराब होने के डर से उन्हें घंटों भूखे रहना पड़ता था।
पुष्पावलि से रहा संबंध, नहीं दे सके पत्नी का दर्जा
मिस मालिनी, चंद्रधारी जैसी फिल्मों में साथ काम करते हुए जेमिनी-पुष्पावली एक-दूसरे को पसंद करने लगे। चूंकि जेमिनी पहले से शादीशुदा थे, ऐसे में उन्होंने पुष्पावली से शादी नहीं की। दूसरी तरफ पुष्पावली ने अपने पहले पति रंगाचारी से अलग होने के बाद उनसे तलाक नहीं लिया था। ऐसे में दोनों की शादी को हिंदू प्रथा के अनुसार जायज नहीं समझा जाता। एक कारण ये भी था कि 1956 तक भारत में तलाक को मान्यता नहीं मिली थी।
रिलेशनशिप में रहते हुए ही पुष्पावली ने 10 अक्टूबर 1954 को बेटी रेखा को जन्म दिया। जब ये खबर फैली तो अखबारों में रेखा को जेमिनी और पुष्पावली की नाजायज बेटी कहा गया। बदनामी के बावजूद जेमिनी ने रेखा को कभी अपनी बेटी का दर्जा नहीं दिया।
स्टूडियो में चुलबुली सावित्री को देखकर दिल दे बैठे जेमिनी
एक दिन जेमिनी स्टूडियो में काम करते हुए जेमिनी की नजर सावित्री नाम की एक लड़की पर पड़ी। वो लड़की हीरोइन बनने का सपना लिए स्टूडियो पहुंची थी, लेकिन उसे काम नहीं मिला। जेमिनी को अपने से 16 साल छोटी वो लड़की पसंद आ गई। ऐसे में उन्होंने उसकी एक तस्वीर ली और अखबार में दे दी।
उस तस्वीर की मदद से सावित्री को फिल्मों में जगह मिली और वो स्टार बन गईं। साथ काम करते हुए दोनों को एक-दूसरे से प्यार हुआ और दोनों ने 1954 में गुपचुप शादी कर ली।
सावित्री से शादी राज रखी, लेकिन गलती से हो गया खुलासा
पहले से ही निजी जिंदगी और अफेयर के चलते सुर्खियों में बने हुए जेमिनी ने दूसरी शादी राज रखी, लेकिन एक साल बाद जब सावित्री ने साबुन ऐड के कॉन्ट्रैक्ट में अपना नाम सावित्री गणेशन लिखा तो इस रिश्ते से पर्दा हट गया।
1955 में पुष्पावली ने जेमिनी की दूसरी बेटी राधा को जन्म दिया। कुछ दिनों बाद ही उन्हें जब सावित्री और जेमिनी की शादी का पता चला तो उन्हें ठेस पहुंची। जेमिनी ने सावित्री के आते ही पुष्पावली से दूरियां बढ़ा लीं और उनकी बेटियों को पहचानने से भी इनकार कर दिया। पहली पत्नी अलामेलू और पुष्पावली की बेटियां एक ही स्कूल में पढ़ती थीं, लेकिन जेमिनी हमेशा रेखा और राधा को नजरअंदाज कर देते थे।
सावित्री की पॉपुलैरिटी से पीछे रह गए जेमिनी
सावित्री को साउथ सिनेमा में महानटी कहा जाता था। 300 फिल्मों में काम कर चुकीं सावित्री उस जमाने की सबसे रईस एक्ट्रेस थीं। सोने- चांदी और घरों पर ये खूब पैसे लुटाती थीं। ये सब उन्होंने फिल्मों में आने से कमाया था। जैसे- जैसे सावित्री की पॉपुलैरिटी बढ़ने लगी, वैसे-वैसे जेमिनी की फिल्में फ्लॉप होने लगीं। एक ही अखबार में जेमिनी की फिल्मों के फ्लॉप होने की खबर होती थी और दूसरे पन्ने पर पत्नी सावित्री की तारीफें।
कई बार तो ऐसा भी हुआ कि कभी जेमिनी के लिए घर के बाहर इंतजार करने वाले फिल्ममेकर उनके घर सावित्री को साइन करने पहुंचने लगे। भीड़ भी घर के बाहर ज्यादातर सावित्री के लिए ही होती थी।
पत्नी के गलत फैसलों से बढ़ गईं दूरियां
एक बार सावित्री और जेमिनी को इंडियन आर्मी को दान देने के लिए कहा गया। जेमिनी ने एक रकम तय की, लेकिन सावित्री ने बढ़-चढ़कर दान करने का फैसला किया। सावित्री ने करोड़ों के कीमती गहने दान कर दिए, जिससे जेमिनी की बेइज्जती हो गई। इस बात से जेमिनी काफी नाराज हुए थे।
जब सावित्री ने 1968 की फिल्म चिन्नारी पापलू में पैसे लगाने का फैसला किया, तो जेमिनी ने उन्हें रोकना चाहा क्योंकि कम पढ़ी-लिखी सावित्री को उनके साथी प्रोड्यूसर्स मूर्ख समझकर मनचाही राशि इस्तेमाल करवाते थे। सावित्री नहीं मानीं और उनकी बनाई फिल्म से करोड़ों का नुकसान हुआ।
पत्नी ने कर दिया था घर से बाहर
जब लगातार सावित्री की बनाई फिल्में फ्लॉप होने लगीं तो उन्होंने कंगाली में शराब का सहारा लिया। दोनों के झगड़े इतने बढ़ने लगे कि एक अफेयर के शक में सावित्री ने जेमिनी को घर से बाहर कर दिया। दोनों का रिश्ता टूट गया और सावित्री इनकम टैक्स रेड और फिल्मों को होते नुकसान से कंगाल हो गईं, लेकिन जब सावित्री कोमा में गईं तो जेमिनी ने 19 महीनों तक उनका ख्याल रखा और उनके इलाज की जिम्मेदारी उठाई।
जेमिनी की पहली पत्नी अलामेलू ने करवाया सावित्री का अंतिम संस्कार
19 महीने कोमा में रहने के बाद जब सावित्री का 1981 में निधन हुआ, तो जेमिनी की पहली पत्नी अलामेलू उन्हें घर ले आईं। जेमिनी के घर से ही सावित्री की अंतिम यात्रा निकाली गई। हालांकि सावित्री पर बनी बायोपिक महानटी (2018) में इस बात को नहीं दिखाते हुए जेमिनी के किरदार को नेगेटिव दिखाया गया।
फिल्म रिलीज के बाद जेमिनी के परिवार ने भी उनके रोल पर आपत्ति जताई थी। सावित्री के चाहने वाले आज भी जेमिनी को उनकी बर्बादी और मौत का कारण मानते हैं।
78 की उम्र में की 36 साल छोटी जूलियाना से शादी
1988 के बाद से ही जेमिनी को बढ़ती उम्र के चलते साइड हीरो के रोल मिलने लगे। 1996 की अव्वई शानमुगी उनकी आखिरी फिल्म रही। फिल्मों से दूर होने के बाद जेमिनी ने 1997 में 78 साल की उम्र में 36 साल छोटी जूलियाना से शादी कर ली। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि उन्हें साथी की जरूरत थी, इसीलिए उन्होंने शादी की।
विवादों में रही आखिरी शादी
जेमिनी की तीसरी पत्नी जूलियाना उनसे काफी छोटी थीं, जो हर किसी को खटकती थीं। जेमिनी के परिवार ने उन पर आरोप लगाया कि वो संपत्ति की चाह में जेमिनी के साथ थीं। झगड़े इतने बढ़ गए कि जेमिनी का परिवार उन्हें यू.एस. ले गया और जूलियाना भारत में अकेली रह गईं।
अकेले पड़ चुकीं जूलियाना ने आरोप लगाए कि जेमिनी के परिवार से उन्हें जान का खतरा है। 22 मार्च 2005 काे मल्टिपल ऑर्गन फेल होने से जेमिनी गणेशन का चेन्नई में निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया गया था। जेमिनी ने कभी रेखा के पिता होने का फर्ज अदा नहीं किया था, यही कारण था कि मौत की खबर मिलने के बावजूद रेखा अंतिम संस्कार में नहीं पहुंचीं।
रेखा की नजर से जेमिनी गणेशन-
रेखा ने फिल्मों से जुड़ने के सालों बाद तक ये बात राज रखी कि वो साउथ सुपरस्टार जेमिनी गणेशन की बेटी हैं। वजह ये थी कि उनके कभी पिता से रिश्ते ठीक नहीं रहे। जब रेखा के स्टार बनने के बाद सिमी गरेवाल ने चैट शो में उनसे पूछा कि उनके अपने पिता से रिश्ते कैसे थे तो जवाब मिला-
“मैं बच्ची थी, जब वो हमारी जिंदगी से चले गए थे। मुझे तो याद भी नहीं कि वो कभी हमारे घर पर रहे हों। उनके सारे बच्चे हमारे साथ ही स्कूल में पढ़ते थे। कई बार वो दूसरे बच्चों को छोड़ने स्कूल आते थे, तब मैंने उन्हें पहली बार देखा। मैं उन्हें देखकर कहती थी, अरे ये तो अप्पा हैं। मुझे कभी उनसे मिलने का मौका नहीं मिला। मुझे नहीं लगता कि उन्होंने कभी मुझे नोटिस किया था। उन्होंने मुझे कभी नहीं देखा। मुझे तो पता भी नहीं था कि पिता का मतलब क्या था। मेरे लिए फादर मतलब चर्च के फादर होते थे। पिता का प्यार मां के प्यार से अलग होता होगा, लेकिन मुझे वो कभी नहीं मिला।”
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महानटी सावित्री1960 के दशक की सबसे सफल और सबसे रईस एक्ट्रेस थीं। उस जमाने में इनके पास 100 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति थी। चेन्नई में सबसे बड़ा कार कलेक्शन इनके पास था। इनके बंगले के बाहर 10 विंटेज कारें खड़ी रहती थीं। बॉलीवुड एक्ट्रेस रेखा की ये सौतेली मां थीं। तमिल सुपरस्टार जेमिनी गणेशन की दूसरी पत्नी थीं। हालांकि ये शादी ही इनके जीवन और करियर दोनों के लिए सबसे ज्यादा घातक साबित हुई। जब जेमिनी से इनकी शादी हुई, तब वो पहले ही शादीशुदा थे और चार बच्चों के पिता भी थे। गरीबी से शुरू हुआ जीवन शोहरत और दौलत दोनों की ऊंचाई तक ले गया, लेकिन जीवन के आखिरी साल फिर उसी तंगहाली में गुजरे, जहां से जिंदगी शुरू हुई थी।
सावित्री ने अपने शौक और लोगों की मदद के लिए अपनी जायदाद को दोनों हाथों से लुटाया, लेकिन आखिरी समय में खुद के पास कुछ नहीं बचा। पति की बेवफाई ने इन्हें शराब का आदी बना दिया। करियर लगभग डूब गया। 46 साल की उम्र में 19 महीने कोमा में रहने के बाद उनकी मौत हो गई।
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5000 जूते, 8000 ड्रेसेस रखने वालीं एक्ट्रेस कुक्कू:कुत्ते भी लग्जरी गाड़ी में घुमातीं; आखिरी समय में सड़कों से उठाकर खाया खाना
40 से 60 के दशक के बीच बमुश्किल ही कोई ऐसी फिल्म होती थी, जिसमें कुक्कू का डांस ना हो। ये हिंदी सिनेमा की पहली आइटम गर्ल मानी जाती हैं। इनके एक गाने पर डांस की फीस 6000 रुपए होती थी, उस समय इतने पैसे किसी एक्ट्रेस को पूरी फिल्म में काम करने के लिए भी नहीं मिलते थे। 3 लग्जरी कारें थीं, जिनमें से एक इनके कुत्तों के लिए ही थी। रोज 5 स्टार होटल से खाना मंगवाती थीं, लेकिन वक्त ने करवट ली और एक समय ऐसा आया कि कुक्कू सड़क पर आ गईं। गुजारे तक के पैसे नहीं बचे थे। ये सड़कों पर फेंकी गई सब्जियां बीनकर लातीं और पकाकर खाती थीं। इनकी मौत पर फिल्मी दुनिया का कोई साथी इन्हें आखिरी विदाई तक देने नहीं आया।
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शमशाद बेगम ने बॉलीवुड छोड़ा था क्योंकि गंदगी बढ़ गई:गायिका बनीं तो पिता ने शर्त रखी- बुर्के में ही गाना होगा, फोटो भी नहीं खिचवाएंगी
सैयां दिल में आना रे, आ के फिर ना जाना रे', ये गाना गाने वाली महिला थीं हिंदी सिनेमा की पहली प्लेबैक सिंगर शमशाद बेगम। करीब 4000 गीत गाने वाली शमशाद बेगम का वो रुतबा था कि शुरुआती दिनों में लता मंगेशकर और आशा भोसले से भी इन्हीं की तरह गाने को कहा जाता था। ये अपने जमाने की सबसे महंगी गायिका थीं। उन दिनों जब एक गाने के लिए सिंगर्स को 50 से 100 रुपए के बीच मिलते थे, उस दौर में शमशाद बेगम एक गाने के एक हजार रुपए लेती थीं। कई फिल्म मेकर्स तो उन्हें अपनी फिल्मों के लिए अफोर्ड ही नहीं कर पाते थे। जब ये सिंगर बनीं तो पिता ने शर्त रखी थी कि बुर्का पहनकर ही गाना और कभी तस्वीरें क्लिक मत करवाना।
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