फ्लाइट में जगजीत गाते रहे, लैंडिंग आधे घंटे लेट हुई:पाकिस्तान ने जो जासूस पीछे लगाया वो फैन निकला, बेटे की मौत के बाद गायिकी छोड़ी

2 महीने पहले
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अगर आप गजलों के शौकीन हैं तो आपके पसंदीदा गायकों में जगजीत सिंह शामिल होंगे ही। मखमली आवाज के मालिक जगजीत के जिक्र के बिना गजलों की बातें अधूरी हैं। आज उन्हीं गजल सम्राट का 82वां जन्मदिन है। जगजीत सिंह के लिए दीवानगी का जो आलम रहा है, वैसा किसी गायक के लिए देखने को नहीं मिला।

कॉलेज के जमाने से गजलें गा रहे जगजीत को सुनने की फरमाइशों का दौर हमेशा लगा रहता था। किस्सा है कि एक बार जगजीत किसी फ्लाइट में थे और फ्लाइट में ही लोगों ने उनसे गजल की फरमाइश कर दी। जगजीत गाते रहे, फ्लाइट आसमान में चक्कर लगाती रही और आधे घंटे बाद लैंड हुई।

जगजीत की जिंदगी ऐसे ढेरों किस्सों से भरी हुई है। खुद स्वर कोकिला लता मंगेशकर भी उनकी आवाज की दीवानी थीं और मुंबई में जब भी शो होता, वो बकायदा टिकट खरीदकर जगजीत को सुनने जाती थीं। लता जी ने भी जगजीत सिंह के साथ एक म्यूजिक एलबम सजदा में गजलें गाई थीं। हालांकि, जगजीत की जोड़ी उनकी पत्नी चित्रा के साथ सबसे ज्यादा पसंद की जाती थी। चित्रा और जगजीत की लव स्टोरी भी सबसे अलग है।

आज जगजीत सिंह के जन्मदिन पर उनकी गजल की दुनिया के कुछ किस्से पढ़िए...

पिता चाहते थे इंजीनियर बनें जगजीत

जगजीत का जन्म 8 फरवरी 1941 को राजस्थान के श्री गंगानगर में हुआ था। इनका असली नाम जगमोहन सिंह था। बचपन से ही जगजीत को गाने का बड़ा शौक था। पिता ने इनके टैलेंट को समझते हुए इन्हें संगीत की ट्रेनिंग दिलवाई। संगीत में तो जगजीत आए दिन महारत हासिल करते रहे, लेकिन पढ़ाई में मात खा गए।

जगजीत सिंह के पिता चाहते थे कि वो इंजीनियर या IAS बनें, लेकिन जगजीत बार-बार फेल हो रहे थे। ऐसे में पिता समझ चुके थे कि वो ज्यादा पढ़ाई नहीं कर पाएंगे। जैसे-तैसे स्कूल पास की फिर जालंधर के DAV कॉलेज में आर्ट्स की डिग्री हासिल करने के लिए दाखिला लिया। कॉलेज के दिनों में ही जगजीत को ऑल इंडिया रेडियो में नौकरी मिल गई। नौकरी के समय ही जगजीत ने पं. छगनलाल शर्मा और उस्ताद जमाल खान से संगीत की शिक्षा ली।

दाहिनी ओर पगड़ी लगाए जगजीत सिंह अपने साथियों के साथ खड़े हैं। ये तस्वीर तब ली गई थी जब जगजीत ने DAV कॉलेज में सिगिंग प्रतियोगिता में जीत हासिल की थी।
दाहिनी ओर पगड़ी लगाए जगजीत सिंह अपने साथियों के साथ खड़े हैं। ये तस्वीर तब ली गई थी जब जगजीत ने DAV कॉलेज में सिगिंग प्रतियोगिता में जीत हासिल की थी।

गजल सुनाने के बदले उधार में कॉफी पिलाता था कैंटीन वाला

कॉलेज के दिनों में जगजीत के पास कम पैसे ही रहते थे। जब भी कैंटीन में बैठते थे तो उनके आसपास गजल प्रेमियों का जमावड़ा लगता था। कई बार ऐसा भी हुआ कि जगजीत बिना पैसे दिए ही निकल जाते। कैंटीन वाला भी उन्हें टोकने की बजाय अपनी डायरी में उनकी उधारी का हिसाब लिख लिया करता था।

ऐसा कई बार हुआ। जब जगजीत मशहूर गजल सम्राट बने तो एक दिन उनका वही पुरानी कैंटीन जाना हुआ तो वही पुराना मालिक संतोख सिंह मिला। संतोख ने उन्हें वही पुरानी डायरी खोलकर दिखाई जिसमें जगजीत का हिसाब लिखा था।

हिसाब में 18 कॉफी का उधार था। जगजीत ने माफी मांगते हुए पैसे चुकाने के लिए जेब में हाथ डाला तो कैंटीन वाले ने उन्हें रोक दिया। वो बोला- आपने पैसे नहीं दिए तो क्या हुआ हमने भी उसके बदले मुफ्त में आपकी गजलें सुनी थीं।

जब कॉलेज में उड़ा जगजीत का मजाक

फिल्ममेकर सुभाष घई कॉलेज के दिनों से ही जगजीत के दोस्त थे। एक बार सुभाष घई ने जगजीत से कॉलेज के प्रोग्राम में गाने को कहा। जैसे ही अनाउंसमेंट हुई कि जगजीत गजल सुनाएंगे तो सामने बैठे लोग हंस पड़े।

जैसे ही जगजीत स्टेज पर पहुंचे तो कुछ लोगों ने कहा कि उन्हें इनकी गजल नहीं सुननी। जगजीत शांति से स्टेज पर आए और उन्होंने गहरी सांस लेकर गजल शुरू कर दी। चंद सेकंड में ही दर्शकों के बीच पहले सन्नाटा छा गया और फिर पूरा ऑडिटोरियम तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।

पिता को बताए बिना जालंधर से मुंबई चले आए

पढ़ाई पूरी होते ही जगजीत बिना पिता को बताए मुंबई चले आए, क्योंकि वो फिल्मों में गाना चाहते थे। मुंबई आए तो कुछ महीनों तक संघर्ष करना पड़ा फिर उन्हें एडवर्टाइजमेंट में छोटे-मोटे जिंगल का काम मिलने लगा।

संघर्ष के दिनों में हुई थी शादीशुदा चित्रा से मुलाकात, फिर हो गई मोहब्बत

साउथ बॉम्बे के बहारिस्तान इलाके में देबू प्रसाद रहते थे जो थे तो ब्रिटानिया बिस्किट कंपनी के ऑफिसर, लेकिन उन्हें रिकॉर्डिंग में खूब दिलचस्पी थी। घर में ही उन्होंने एक रिकॉर्डिंग स्टूडियो खोल रखा था, जहां जिंगल की रिकॉर्डिंग होती थीं। देबू की पत्नी चित्रा और बेटी मोना भी साथ ही रहते थे। एक दिन बालकनी में खड़ी चित्रा ने टाइट सफेद पेंट पहना लड़का पड़ोस के गुजराती परिवार के पास आते देखा।

घर से गाने की आवाज सुनी तो चित्रा ने ध्यान वहीं लगा लिया। कुछ समय बाद वही लड़का बालकनी में आकर सिगरेट पीता दिखा। शाम को पड़ोसन चित्रा के पास आई तो उस लड़के की तारीफ करने लगी, लेकिन चित्रा को उस लड़के की आवाज पसंद नहीं आई। वो लड़का कोई और नहीं जगजीत ही थे। चित्रा खुद भी समय के साथ बड़ी सिंगर बन गईं। एक दिन वही सफेद पेंट वाला लड़का चित्रा के घर उनके साथ रिकॉर्डिंग करने पहुंचा।

चित्रा ने साफ कह दिया कि वो इस भारी आवाज वाले लड़के के साथ रिकॉर्डिंग नहीं करेंगी। जगजीत ने भी अभिमान से जवाब देकर कहा कि आपकी जरूरत भी नहीं है। शुरुआती दो मुलाकातें ऐसी ही रहीं, फिर एक दिन जब चित्रा ने जगजीत को घर तक लिफ्ट देकर घर में चाय के लिए बुलाया तो दोनों की दोस्ती हो गई।

चित्रा से शादी करने के लिए ली थी उनके पूर्व पति से इजाजत

चित्रा और जगजीत की दोस्ती पक्की हो गई थी। कुछ समय बाद चित्रा के पति ने उनसे बेवफाई कर दी और चित्रा टूट गईं। देबू ने साफ कह दिया था कि वो चित्रा के साथ रहना नहीं चाहते। 1968 में दोनों के तलाक की प्रोसेस भी शुरू हो गई। सभी लोगों ने चित्रा का साथ छोड़ दिया था, लेकिन जगजीत ने अच्छे दोस्त का फर्ज निभाया। एक दिन उन्होंने चित्रा से कह दिया कि मैं तुमसे शादी करना चाहता हूं। जवाब मिला, मैं पहले से शादीशुदा हूं और अभी मेरा तलाक भी नहीं हुआ। जगजीत भी ये सब जानते ही थे, उन्होंने कहा, मैं इंतजार करूंगा।

1969 में जगजीत ने चित्रा से शादी की। दोनों की शादी 30 रुपए में मंदिर में हुई थी। एक दोस्त माला ले आया, किसी ने पंडित और मिठाइयों का इंतजाम कर दिया था।
1969 में जगजीत ने चित्रा से शादी की। दोनों की शादी 30 रुपए में मंदिर में हुई थी। एक दोस्त माला ले आया, किसी ने पंडित और मिठाइयों का इंतजाम कर दिया था।

1970 में तलाक के बाद देबू ने दूसरी शादी कर ली। जगजीत, देबू के दोस्त भी थे। वो सीधे देबू के पास पहुंचे और कहा मैं चित्रा से शादी करना चाहता हूं। जगजीत का साहस और व्यवहार देखकर जाहिर है कि उन्हें चित्रा के पूर्व पति से शादी की इजाजत मिली।

बेटे के जन्म के बाद दिया पहला चार्टबस्टर एलबम

बेटे विवेक के जन्म के बाद जगजीत और चित्रा ने म्यूजिक एलबम द अनफॉरगेटेबल बनाई। एलबम के तमाम गजलें जबरदस्त हिट रहीं, जिनमें गजल बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी… भी शामिल है। इस एल्बम के बाद जगजीत और चित्रा स्टार बन गए।

जगजीत ने फिल्मों के लिए भी कई बेहतरीन गजलें गाईं। 1981 में फिल्म प्रेम गीत की गजल होठों से छू लो तुम, फिल्म अर्थ की झुकी-झुकी सी नजर.., फिल्म साथ-साथ में तुमको देखा तो ये ख्याल आया…, ये तेरा घर ये मेरा घर… इन सभी ने जगजीत सिंह को गजल सम्राट का टाइटल दिलाया।

ये तस्वीर 8 फरवरी 1980 की है, जब अपने जन्मदिन के मौके पर जगजीत पत्नी चित्रा और बेटे विवेक के साथ एक म्यूजिक एल्बम "जगजीत सिंह प्रेसेंट तलत अजीज" लॉन्च करने पहुंचे थे।
ये तस्वीर 8 फरवरी 1980 की है, जब अपने जन्मदिन के मौके पर जगजीत पत्नी चित्रा और बेटे विवेक के साथ एक म्यूजिक एल्बम "जगजीत सिंह प्रेसेंट तलत अजीज" लॉन्च करने पहुंचे थे।

पाकिस्तान में करवाई गई थी जगजीत की जासूसी, जासूस निकला फैन

1979 में जगजीत अपनी पत्नी चित्रा के साथ पहली बार पाकिस्तान के सिंगिंग टूर पर गए थे। उस समय दोनों देशों के बीच तनाव था। जैसे ही जगजीत पाकिस्तान पहुंचे तो उन्हें लोगों के बर्ताव से साफ समझ आ रहा है कि उनके साथ नॉर्मल व्यवहार नहीं किया जा रहा है। फ्लाइट में चढ़ते हुए जगजीत और चित्रा ने एक आदमी को नोटिस किया। एयरपोर्ट से निकले तब भी वो शख्स नजर आया।

एक ही शख्स का बार-बार दिखा तो जगजीत को भी खटका। जब दोनों होटल पहुंचे तो कुछ घंटों बाद रूम की बेल बजी। दरवाजा खोला तो देखा वही शख्स खड़ा था। जगजीत ने पंजाबी में पूछा कि क्या आप हमारी जासूसी कर रहे हैं। एजेंट का जवाब हां था। उस जासूस ने बताया कि उनके कमरे की जासूसी की जा रही है।

जगजीत के लिए तोहफा लाया था जासूस

जासूस के इस कन्फेशन किया कि वो इंटेलिजेंस एजेंसी का आदमी है। जगजीत हैरान रह गए। उस जासूस ने बताया कि वो जगजीत का बहुत बड़ा फैन है। वो जासूस अपने लंबे से कोट में एक तोहफा भी लाया था। वो था अखबारों में लिपटी हुई शराब की बोतल, क्योंकि होटल में शराब सर्व नहीं की जा रही थी।

पाकिस्तान में लगा दी गई थी जगजीत के गजलों पर रोक

जगजीत पाकिस्तान एक म्यूजिकल टूर पर निकले थे, लेकिन अचानक उस कनसर्ट पर रोक लगाकर जगजीत को बैन कर दिया गया। इसके बावजूद जगजीत की पाकिस्तान में इतनी ज्यादा फैन फॉलोइंग थी कि उन्हें एक प्रेस क्लब के फंक्शन का न्योता मिला। जगजीत ने वहां पहुंचकर भरे हुए ऑडिटोरियम में परफॉर्मेंस दी थी। पाकिस्तान का ये किस्सा राइटर सत्य सरण ने जगजीत पर लिखी “किताब बात निकलेगी तो फिर- द लाइफ एंड म्यूजिक ऑफ जगजीत सिंह” में उनकी पत्नी चित्रा के हवाले से लिखा था।

ये तस्वीर 20 जून 1981 को सितम गाने की रिकॉर्डिंग के समय ली गई थी। तस्वीर में जगजीत हार्मोनियम बजाते नजर आ रहे हैं। तस्वीर में उनके साथ आशा भोसले और डायरेक्टर अरुणा-विकास भी नजर आ रहे हैं।
ये तस्वीर 20 जून 1981 को सितम गाने की रिकॉर्डिंग के समय ली गई थी। तस्वीर में जगजीत हार्मोनियम बजाते नजर आ रहे हैं। तस्वीर में उनके साथ आशा भोसले और डायरेक्टर अरुणा-विकास भी नजर आ रहे हैं।

जगजीत के चलते आधे घंटे लेट हुई फ्लाइट की लैंडिंग

एक बार जगजीत पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरपोर्ट की फ्लाइट से दिल्ली के लिए रवाना हुए थे। प्लेन के क्रू ने देखा कि जगजीत फ्लाइट में हैं तो हर कोई उनसे गजल सुनाने की गुजारिश करने लगा। जगजीत ने जैसे ही गजल सुनानी शुरू कि तो पायलट ने कंट्रोल रूम कॉल कर आधे घंटे तक लैंडिंग ना कराने की इजाजत ले ली, जिससे जगजीत का पूरी गजल सुन सकें। जब तक जगजीत गाते रहे प्लेन आसमान में ही रही। फ्लाइट दिल्ली एयरपोर्ट पर आधे घंटे की देरी से लैंड हुई। शायद ये पहली बार होगा जब पैसेंजर लेंडिंग में देरी होने से खुश हुए होंगे।

लता मंगेशकर भी थीं जगजीत की फैन, टिकट लेकर सुनती थीं कॉन्सर्ट

हिंदी सिनेमा की लीजेंड्री सिंगर लता मंगेशकर खुद भी जगजीत सिंह की बड़ी फैन थीं। उनको जगजीत की गजल “सरकती जाए है रुख से नकाब आहिस्ता-आहिस्ता” सबसे ज्यादा पसंद था। जब भी मुंबई में जगजीत सिंह का कॉन्सर्ट होता, वो टिकट लेकर सुनने जाती थीं।

कार एक्सीडेंट में बेटा खोया तो छोड़ दी गायिकी

1990 को जगजीत सिंह के इकलौते बेटे विवेक का एक कार एक्सीडेंट में निधन हो गया। बेटा महज 20 साल का था जिसकी मौत ने जगजीत और चित्रा पर ऐसा गहरा असर पड़ा कि दोनों ने गायिकी छोड़ दी। जगजीत ने एक साल बाद ध्यान बंटाने के लिए फिर गायिकी में वापसी की और कॉन्सर्ट्स शुरू किए।

1991 में लता मंगेशकर के साथ उन्होंने सजदा नाम से एल्बल रिलीज किया था, जो काफी हिट रहा। कहा जाता है कि फिल्म दुश्मन की गजल "चिट्ठी ना कोई संदेश" जगजीत सिंह ने बेटे की याद में ही गाया और इसके लिए उन्होंने पैसे भी नहीं लिए थे। बेटे की मौत के बाद चित्रा ने कभी दोबारा रिकॉर्डिंग ही नहीं की।

जगजीत ने लता मंगेशकर के साथ सजदा एल्बम से कमबैक किया था। ये तस्वीर सजदा के कवर पेज के फोटोशूट की है।
जगजीत ने लता मंगेशकर के साथ सजदा एल्बम से कमबैक किया था। ये तस्वीर सजदा के कवर पेज के फोटोशूट की है।

70 कॉन्सर्ट का वादा अधूरा छोड़ गए जगजीत

साल 2011 में जगजीत ने अपने 70वें जन्मदिन के मौके पर जगजीत ने एक साथ 70 कॉन्सर्ट साइन किए। UK, सिंगापुर और मोरिशस में सक्सेसफुल कॉन्सर्ट के बाद जगजीत को गुलाम अली के साथ मुंबई में परफॉर्म करना था। इससे पहले ही जगजीत को ब्रेन हेमरेज के चलते लीलावती अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा। जगजीत दो महीनों तक कोमा में रहे और फिर उन्होंने 10 अक्टूबर 2011 को दम तोड़ दिया।

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