भास्कर इंटरव्यू:गुड़ी पड़वा पर लॉन्च हुआ लता मंगेशकर का एलबम भावार्थ माउली, बोलीं- मैं मरते दम तक गाने की कोशिश करूंगी

2 वर्ष पहलेलेखक: उमेश कुमार उपाध्याय
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दशकों पहले स्वर कोकिला लता मंगेशकर की आवाज संत ज्ञानेश्वर की कविताओं और अभंगों पर आधारित गीतों में सुनी गई थी। अब हृदयनाथ मंगेशकर ने भक्ति गीतों के नए एलबम भावार्थ माऊली के लिए संगीत तैयार किया है और लता जी ने इन गानों के पहले सही अर्थ पर टिप्पणी प्रस्तुत की है। भारत रत्न लता मंगेशकर ने संत ज्ञानेश्वर की रचनाओं पर आधारित भक्तिगीतों का एलबम हिंदू नववर्ष के अवसर जारी किया है।

इसे लेकर उन्होंने दैनिक भास्कर के साथ खास बातचीत में अपनी दिनचर्या, वर्तमान स्थिति, गानों के रिकॉर्डिंग के वक्त की यादों पर खुलकर बताया।

  • इन दिनों खान-पान को लेकर आपकी दिनचर्या कैसी होती है?

मैं ठीक हूं। हालचाल तो आपको मालूम होगा कि आजकल कोराेना चल रहा है। दिनचर्या बहुत सिंपल-सी है। बहुत साधारण खाना होता है। बाहर तो जाना होता नहीं है। घर में रहना होता है। बीच में काफी बीमार थी। अभी मैं ठीक हुई हूं। डॉक्टर ने कहा है कि जब तक कोरोना चल रहा है, आप कहीं मत जाइए। घर में रहिए। ज्यादा लोगों से मिलिए मत। खान-पान को लेकर ऐसा कोई खास नहीं बताया। खाना तो हर तरह का खा सकती हूं। उन्होंने तला हुआ बंद किया है। बाकी खाने में ऐसा कुछ नहीं है कि जो खा नहीं सकती। हमारे डॉक्टर अच्छे हैं।

  • भावार्थ माउली की खासियत क्या है?

इसकी खासियत यह है कि महाराष्ट्र के बहुत ही बड़े संत हुए हैं- ज्ञानेश्वर जी। संत ज्ञानेश्वर महाराज के गाने अभंगों और उनकी विरहिणी मैंने गाए हैं। इसे अभी नहीं, बल्कि इसे गाए काफी अर्सा हो गया है। लोग सुन चुके है। बहुत पॉपुलर भी है। उन्होंने कौन-सा अभंग किस तरह से लिखा है, वे पूरी दुनिया वालों को क्या कहना चाहते हैं कि उनको क्या करना चाहिए। बहुत सुंदर तरीके इसे हृदयनाथ ने बनाया है। मैं इसमें अपनी तरफ से थोड़ा-बहुत काम किया है। मराठी समझते होंगे, पर संत ज्ञानेश्वर जी की जो मराठी है, उसे समझना बहुत मुश्किल होगा। इसे मराठी लोग भी सही से नहीं समझते। उस वक्त मराठी थोड़ी अलग थी। वे जो बोलते थे तो उनके अलग-अलग शब्द होते थे। उन्होंने क्या कहा है, यह इसमें बताया गया है। मुझे लगता है कि मराठी जो समझते हैं, वे इसे जरूर पसंद करेंगे। ऐसी मुझे उम्मीद है। यह नहीं कहूंगी कि ऐसा ही होगा, ऐसा नहीं है, पर होना चाहिए और हो सकता है कि लोगों को पसंद आए।

  • इसका शीर्षक भावार्थ माऊली रखने का आशय क्या है?

देखिए, ज्ञानेश्वर जी को माऊली कहा गया है। ज्ञानेश्वर तो उनका नाम था ही। उन्होंने जो लिखा, उसमें एक तो उन्होंने खुद के लिए लिखा है कि अब मुझे किसी बात की कोई तकलीफ नहीं, कोई दुख नहीं, कोई सुख नहीं, किसी तरह का मेरे मन में किसी के लिए दुष्ट भाव नहीं या बहुत प्रेम नहीं, कुछ नहीं। अब इस हाल में मैं जाना चाहता हूं। उन्होंने क्या किया कि जहां वे रहते थे, वहां छोटा-सा मंदिर था। उस मंदिर के नीचे जमीन के अंदर एक कमरा बनाया है। ऊपर एक बड़ा पत्थर था। वे अंदर गए और वहां जाकर बैठ गए। उनके बड़े भाई, जो उन्हें सिखाया था, उन्होंने दरवाजा बंद करके वह बड़ा-सा पत्थर रख दिया। इस तरह वे वहां बैठकर समाधि ली। मतलब यह जीवंत समाधि थी। वे जिंदा थे। आप भी समझ सकते हैं और मैं भी समझ सकती हूं कि यह छोटा नहीं, बहुत बड़ा काम है। जीवंत समाधि लेना बहुत मुश्किल काम है। ज्ञानेश्वर जी ने ऐसा किया था। जाते-जाते उन्होंने भगवत गीता मराठी में लिखा था। उन्होंने खुद अपने अभंग और भजन लिखे थे, वह अलग किताब है। 19 वर्ष की इतनी छोटी उम्र में उन्होंने बहुत बड़ा काम किया था। उन्होंने दुनिया को उस वक्त यही बताया कि किसी के लिए बुरा भाव मन में मत रखो। किसी का दुश्मन मत बनो। जितना हो सके, लोगों के लिए करो। उनके काम आओ तो बहुत अच्छा होगा। यही उन्होंने किया भी। जितना हो सका लोगों के लिए करके गए।

  • इन गानों की रिकॉर्डिंग के समय की कोई यादगार बात, कोई यादगार अनुभव ?

मुझे अभी बहुत सारा तो नहीं याद आ रहा है। काफी साल हुए इसे गाए हुए। यह 1973 के बाद रिकॉर्ड हुआ है, यह मुझे याद है। क्या हुआ कि 73 में मैं काफी बीमार हो गई थी। मेरे पेट में कुछ तकलीफ हुई थी और उसका ऑपरेशन भी हुआ था। मेरे ऑपरेशन के बाद मेरे भाई हृदयनाथ को लगा कि हो सकता है कि इलाज का कोई गलत असर हुआ हो। अब से मैं इसको दूसरी जगह गाने नहीं दूंगा, क्योंकि बाहर जाकर गाएगी तो फिर लोग बातें बनाएंगे कि अब यह नहीं गा सकती, अब इसका वैसा गला नहीं रहा। वह यह नहीं चाहता था, इसलिए उसने क्या किया कि मेरी आवाज में पहला गाना मोगरा फुलेला… रिकॉर्ड किया। उसको जब पूरा यकीन हुआ कि सब कुछ ठीक है, तब उसने ज्ञानेश्वरी रिकॉर्ड किया। उसके बाद मैंने फिल्मों में दोबारा गाना शुरू किया। यह बहुत बड़ी बात थी।

  • क्या निकट भविष्य में किसी एलबम या फिल्मों में आपके गाने सुनने को मिलेंगे?

मैं ऐसा तो नहीं कहूंगी कि नहीं सुनने को मिलेगा, होना तो चाहिए। मैं कोशिश तो जरूर करूंगी। अभी भी मैं सोच रही हूं कि कुछ न कुछ करूं। मतलब बहुत बड़ा एलबम करूं न करूं, पर दो-चार गाने गा दिए, ऐसा भी हो सकता है या एलबम भी हो सकता है। मैं बता नहीं सकती हूं, पर गाना तो मेरे अंदर से जाएगा नहीं। गाना तो मेरी लाइफ है। मेरा गाना ही सब कुछ है और मेरे पास है क्या! मैं गाने की मरते दम तक कोशिश करूंगी और कुछ अच्छा करने की कोशिश तो करूंगी। मतलब म्यूजिक में कुछ अच्छा करने की कोशिश जरूर करूंगी। अब यह आप लोगों के हाथ में है कि उसको पसंद करेंगे कि नहीं। मैं जरूर कोशिश करूंगी, आप लोगों को नाउम्मीद नहीं करूंगी।

  • मतलब निकट भविष्य में आशा कर सकते हैं?

अभी मैं सोच रही हूं। अभी हाल ही मैं काफी बीमार हो गई थी। कोरोना का भी चल रहा है। डॉक्टर्स ने घर से बाहर जाने से मना कर दिया है। यह नहीं करना है, वह नहीं करना है। फिर क्या बताऊं कि आदमी घर में बैठकर वह कर नहीं सकता, जो करना चाहता है। फिर भी मुझे उम्मीद है कि कुछ न कुछ जरूर करूंगी।

  • भाई के साथ एलबम रिकॉर्ड करने का अनुभव कैसा रहा?

मैं बताऊं कि भाई के साथ काम करने का जो अनुभव था, वह बहुत अलग था। सबसे पहली बात तो यह थी कि वह खां साहब आमिर, खां साहब कशिश का शिष्य है। वह उनसे गाना सीखा था। औरों काे सुना था। गुलाम अली साहब को सुना है। उसके ऊपर उनका बहुत असर है। घर में बैठकर बहुत रियाज करता था। उसने म्यूजिक में बहुत काम किया है। दूसरी बात यह है कि इसमें जो लिखा है, वह उसने सब पढ़ा है। उसको उर्दू शायरी का भी ज्ञान है। उसको हिंदी शायरी भी पसंद है। उसने इतना सब काम किया है कि बता नहीं सकती हूं। मैं तो हृदयनाथ को हमेशा कहती हूं कि तुम मेरी वाइस में मेरे छोटे गुरू हो।

  • कोरोना काल में सबकी तरह म्यूजिक इंडस्ट्री भी प्रभावित हुई है। क्या कहेंगी।

दुख तो होता ही है। लेकिन कुछ लोग समझते नहीं हैं। बाहर जाते हैं और साथ मिलकर काम करते हैं। बाजार जाते हैं, सब्जी खरीदते हैं। डरते नहीं हैं। कहीं न कहीं ड्राइवर का लग गया, किसी काम करने वाले का लग गया, कोई आया था, उसका लग गया। इस तरह से हमारी इंडस्ट्री के काफी लोग इसकी चपेट में आए हैं। भगवान करे, वे सब ठीक हो जाएं। उसमें से काफी अच्छे हुए हैं। मैंने सुना है, मुझे फोन भी आया। इस बात की मुझे खुशी है। उदित नारायण का बेटे को हुआ था, वह ठीक हुआ है, बप्पी लहरी ठीक हुए हैं, मुझे खुशी है कि सब ठीक हो रहे हैं।

  • आपको क्या लगता है कि म्यूजिक इंडस्ट्री पर क्या हुआ है?

देखिए, मैं बताऊं क्या होता है। जब कोई गाना होता है, तब साथ में म्यूजिक होता है। म्यूजिक में लोग होते हैं, रिकार्डिस्ट होते हैं, वहां छोटा-मोटा काम करने वाले लोग होते हैं, वहां चाय देने वाले होते हैं। ऐसा करके 50-60 लोग तो यही हो जाते हैं। गाने वाले को अगर यह बीमारी लग जाए, क्योंकि यह कहीं से भी लग सकती है। इस डर से अब लोग गाने के लिए जाते नहीं हैं। उनका यह नहीं गाना, मैं सही मानती हूं। अगर यह लग गया और कुछ ज्यादा हुआ, तब अच्छा नहीं है न। हम तो यह सोचते हैं कि भई, कोई नया गाना आए, कोई गाने वाले आएं, पर होता नहीं है। मेरे पहचान एक सज्जन हैं। उनकी बेटी टीवी पर गाने के लिए गई। उसने गाना तो गाया, पर वह घर में कोरोना लेकर आई। उसने अपने पिताजी को भी दिया और अपनी बुआ को भी दिया। यह होता है। यह छोटे लोग नहीं थे। यह सुरेश वाडेकर जी थे, उनकी बेटी गाने के लिए गई थी। वह बहुत अच्छा गाती है। अभी भगवान की कृपा से सब लोग ठीक हो रहे हैं। कोई डरने बात नहीं है। लेकिन ऐसा होता है, तब सब लोग डरते हैं न। इसलिए इंडस्ट्री का नुकसान हो रहा है।

  • संगीत जगत में पहले की अपेक्षा अब किस तरह का बदलाव देखती हैं?

मैं आपको एक छोटी-सी बात बताऊं। हमारा जो नया संगीत है, वह बदला है। पर बदला क्या नहीं है? लोगों के कपड़े बदले हैं, औरतों के मेकअप बदले हैं, बच्चों की बातचीत बदली है। आप देखेंगे तो हर चीज पहले जैसी नहीं हो रही है। हम लोग कहते हैं कि पहले जैसा नहीं रहा, तब हमें सुनाया जाता है कि आपको मालूम नहीं, आप तो 1856 की बात सुना रही हैं। मतलब इसे देखना ही अच्छा है। इस पर बोलना ही नहीं चाहिए। यह खुद-ब-खुद बदलेगा। मैं तो यह मानती हूं कि दुनिया गोल है, वह घूमती रहती है। वह फिर से अपनी जगह पर आती है। फिर जिसे सतयुग कहते हैं, वह सारा बदल जाता है। आज कलयुग चल रहा है, मेेरे हिसाब से। यह जो सब बदला हुआ है, यह उसकी वजह से नजर आ रहा है। कुछ लोग ऐसे हैं, उनको यह बदलाव अच्छा नहीं लगता और कुछ लोग ऐसे हैं कि उनको बहुत अच्छा लगता है। अब आपका मुझे मालूम नहीं, पर मुझे बिल्कुल नहीं अच्छा लगता। अब क्या करें! अब बदलने से या नहीं बदलने से आदमी कुछ नहीं कर सकता।

  • बदलाव की वह क्या चीज है, जो अच्छा नहीं लगता?

सारी चीजें हैं। मैं सीधी बात बताऊं कि हमारी औरतें कपड़े पहनती हैं। हमने जो देखा है, वह यह देखा है कि साड़ियां पहने हुए हैं, उनका सिर ढंका हुआ है। घर में भी मां को भी देखा है। और कई लोगों को देखा है। आज देखती हूं तो बहुत कुछ अलग दिखाई देता है। पर मैं इसको बुरा नहीं करती हूं। मैं यह मानती हूं कि यह बदलना ही था। यह ऐसा होना ही था, जो हुआ। इसके आगे जाकर यह भी बदल जाएगा और फिर से अलग कुछ आएगा।

  • इस बदलाव में इंडस्ट्री को आगे ले जाने पर क्या कहेंगी। कैसे ले जा सकते हैं?

इसका मैं फिर कभी जवाब दूंगी, आज नहीं। क्योंकि मैं खुद सोचूंगी और फिर आपको बताऊंगी कि क्या करने से यह हो सकता है।

  • भाई हृदयनाथ मंगेशकर के बाद आप मयूरेश पई के साथ सबसे ज्यादा एलबम में काम किया है?

जी हां। मैंने मयूरेश के साथ बहुत सारे अलबम किए हैं। मेरा एलएम स्टूडियो है। उसका सारा भार इनके ऊपर ही है। उसे यही देखते हैं। वह सब करते हैं। वहां लोगों को रखना और रिकार्डिस्ट को देखना, यह सारा काम उनका ही है। ऐसा समझिए कि वह मेरी फैमिली मेंबर जैसे ही हैं। मेरे लड़के जैसे हैं, मेरे परिवार के सदस्य हैं, ऐसा ही मानती हूं। हृदयनाथ के बाद भाई हैं या बेटे हैं, कुछ भी समझिए। वे हमारे घर में सबको अच्छे लगते हैं और सब उनको बहुत प्यार करते हैं।

  • उनकी प्रोफेशनल खासियत क्या है, जो भाई के बाद उनके साथ सबसे ज्यादा एलबम की हैं?

वे बड़े प्रोफेशनल हैं। उनको म्यूजिक की समझ क्या है, वह मुझे मालूम है। वे इंसान कैसे हैं, वह हम सबको मालूम है। मैंने उनके साथ हनुमान चालीसा किया, गजल किए हैं, गीत किए हैं, काफी कुछ रिकॉर्ड किया है। कौन-सा चला या कौन नहीं चला, यह बात तो बाद की होती है। हमने अपनी तरफ से रिकॉर्ड किया, जो चला वह चला होगा। आजकल मुश्किल क्या हुई है कि सीडी चलती नहीं है। सारे रिकॉर्ड सोशल साइट पर डाले जाते हैं। वहां से जिसको चाहिए, वह ले लेता है। उससे हमें बहुत कम मालूम होता है, क्योंकि लोग लेते भी नहीं हैं। लोग लेकर सुनकर अपने पास रख लेते हैं, तब पता नहीं चलता कि कौन-सा ज्यादा चला और कौन-सा नहीं चला।

  • जीवन की ऐसी कुछ सीख, जो लोगों को बताना चाहें, वह क्या है?

मैंने आज तक जो काम किया है, वह म्यूजिक का किया है। जो भी है, वह म्यूजिक के द्वारा नए लोगों तक पहुंचाना चाहूंगी और कोई इच्छा नहीं है। यह गुड़ी पड़वा कोरोना को ले जाए और सब सुखी हों, यही मैं चाहूंगी।

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