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फिल्म छतरीवाली पर बोलीं रकुलप्रीत सिंह:एक भी सीन या डायलॉग डबल मीनिंग नहीं है, जबकि ऐसी फिल्मों में लाइन क्रॉस करना आसान है

2 महीने पहलेलेखक: उमेश कुमार उपाध्याय
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रकुल प्रीत सिंह, सुमित व्यास, सतीश कौशिक, राजेश तेलांग स्टारर और तेजस विजय देओस्कर निर्देशित फिल्म ‘छतरीवाली’ 20 जनवरी को जी5 पर रिलीज हो चुकी है। इसके प्रमोशन के दौरान रकुल प्रीत सिंह से मुलाकात हुई, तब उन्होंने फिल्म करने की वजह से लेकर इसके बारे में बताया-

:- इस फिल्म का ऑफर कैसे मिला ?

डायरेक्टर तेजस विजय देओस्कर ने मुझे नरेट किया, तब स्क्रिप्ट काफी पसंद आई। मुझे लगा कि यह एक एंटरटेनिंग फिल्म है और एंटरटेनमेंट के जरिए एक इंपोर्टेंट मैसेज भी दे जाती है। फिल्म पिची नहीं है। इसकी सबसे खूबसूरत बात यह है कि इस तरह की फिल्मों का लाइन क्रॉस करना बहुत आसान होता है। जैसे- कोई सीन या डायलॉग ऐसा हो, जिसे परिवार के साथ नहीं देख सकते। लेकिन यह पूरी तरह फैमिली फिल्म है। इसमें एक भी सीन और डायलॉग में डबल मीनिंग नहीं है, फिर भी इतना प्यारा मैसेज है। यह बात मुझे बहुत पसंद आई। जिस तरह से यह फिल्म महिलाओं के स्वास्थ्य की समस्याओं को हाईलाइट करती है कि सेक्स एज्युकेशन क्यों इंपॉर्टेंट है, क्योंकि वूमेन की हेल्थ अफेक्ट होती है, यह बात मुझे बहुत प्यारी लगी।

:- फिल्म देखने के बाद लोगों में कितने पर्सेंट प्रोटेक्शन यूज करने की उम्मीद रखती हैं?

हमारा देश तो तभी प्रोग्रेस करेगा, जब हम सब लोग रिस्पॉन्सिबल होंगे। एक आइडियल वर्ल्ड वही है कि सब यूज करें। लेकिन जिस तरह से डायरेक्टर का भी मानना है कि यह एक शुरुआत है और इसमें बदलाव आने में समय लगेगा। मेरा मानना है यह कि इससे औरतों को एक आवाज मिले और हर मर्द को लगे कि अगर अपने पार्टनर को सच में प्यार करता हूं, तब उसकी सेहत का ख्याल भी मेरे हाथ में है।

:- फिल्म में आपका रोल क्या है?

मेरा सान्या का किरदार है, जो स्मॉल टाउन करनाल से हैं। सान्या केमिस्ट्री ग्रेजुएट हैं। उनको एक जॉब मिलती है। वह कंडोम फैक्ट्री में क्वालिटी कंट्रोल हेड हैं। इनकी इस जर्नी में परिस्थितियों से पता चलता है कि हां, यह जरूरी है। वह क्यों इस मुद्दों को महत्व देती हैं, यही इस फिल्म की कहानी है। वह कैसे आगे बढ़ती हैं। एक मामूली ऑर्डिनरी नेक्ट डोर गर्ल की कहानी है। उसके घर में भी किस तरह से लोग रिएक्ट करते हैं, उसके बाद क्या-क्या होता है। उसकी एक नॉर्मल फैमिली से हैं, जहां भाई-भाभी है, छोटी बच्ची है, ससुराल के सारे लोग हैं, इसलिए सब लोग इस फिल्म के कनेक्ट भी करेंगे।

:- शूटिंग में क्या चैलेंज आए?

आई थिंक, वहां शूट करने की सबसे बड़ी प्रॉब्लम यही रही कि वहां केमिकल का स्माइल बहुत ज्यादा है। फैक्ट्री का एक सटर्न एरिया होता है, जहां पर रॉ मटेरियल होता है। इस प्रोसेस में एक जगह बड़े-बड़े कंटेनर में प्लास्टिक थे। वहां पर हम खड़े नहीं हो सकते हैं। डबल माक्स लगाकर रखते थे। हम सब बाहर से लंबी सांस लेकर अंदर जाते थे और सीन शूट करके तुरंत बाहर आते थे। इतनी स्ट्रॉन्ग स्मेल आती है। उसमें लोग दिन भर काम करते हैं। फैक्ट्री में देखा कि 70 फीसदी काम करने वालों में महिलाएं थीं। उनके लिए यह एक प्रोडक्ट की तरह है। मटेरियल लाए, वह मशीन में गया, फिर कंडोम बनाकर आया, फिर उसकी क्वालिटी और केमिकल आदि चेक किया। जिस तरह से औरतें दाल-चावल को चुनती हैं, उसी तरह वहां पर चुनते हैं। मशीनें लगी हैं और काम चल रहा है। वहां शूट करने का बहुत डिफरेंट एक्सपीरियंस रहा।

:-रियल लाइफ में शादी कब तक करेंगी?

आप पंडित हैं, मुझे जानने की इच्छा है कि मेरी शादी कब होगी, क्योंकि यह सवाल तो मेरे मां-बाप भी मुझसे नहीं पूछते हैं। फिर क्यों जल्दी है। कर लूंगी, जब करनी होगी। मुझे जब जो चीज बतानी होती है, तब बताती हूं, पर इसमें कोई सच्चाई नहीं है, जितने रूमर्स आ रहे हैं।

:-आगे किन मुद्दों पर फिल्में बननी चाहिए?

मैं ऐसा कोई मुद्दा नहीं बोलूंगी। आई थिंक, बहुत टॉपिक्स हैं। हमको इक्वल सोसायटी बनना है, जहां सबका एक ही मेंटल लेवल हो, तब वह बैलेंस नहीं हैं, जो बन सकते हैं, जो लोगों को अवेयरनेस क्रिएट कर सकते हैं। चाहे वह हेल्थ से रिलेटेड हों या बिलीव से रिलेटेड हो।

:- आपकी और कौन-सी फिल्में आएंगी?

मेरी दो फिल्में हिंदी में हैं, जो इसी साल आएंगी। इसके अलावा दो तमिल में हैं।

:- शूटिंग के दौरान सेट का माहौल कैसा होता था?

बहुत फन माहौल होता था। हम लोगों ने शूटिंग के टाइम बहुत मस्ती की। एकदम फन में यह फिल्म गई है, क्योंकि हम लोग 37 दिनों तक नॉन स्टॉप शूट किया। इसका आउटडोर शूट लखनऊ में था, तब वहां पर रोजाना अलग-अलग खाना खाते थे। हम लोग साथ में वर्कआउट भी करते थे। पैकअप के बाद भी कुछ न कुछ वर्कआउट कर लिया करते थे। सबकी एनर्जी बहुत अच्छी थी, इसलिए सबके साथ काम करने में बहुत मजा आया।

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