रेटिंग | 2.5/5 |
स्टारकास्ट | सलमान खान, रणदीप हुड्डा, जैकी श्रॉफ और दिशा पाटनी |
निर्देशक | प्रभु देवा |
निर्माता | सलमान खान, अतुल अग्निहोत्री, सोहेल खान, निखिल नमित |
म्यूजिक | सचित बल्हारा, साजिद-वाजिद, देवी श्री प्रसाद और हिमेश रेशमिया |
जोनर | एक्शन ड्रामा |
अवधि | 114 |
सलमान खान की फिल्में उनके स्टारडम के कंधों पर सवार होती हैं। उनके मेकर्स यही तर्क देते रहे हैं कि उनके चाहने वालों को जो पसंद आता है, उसी के मद्देनजर फिल्म डिजाइन की जाती है। यह फिल्म ‘वॉन्टेड’ फ्रेंचाइजी की है। उस फिल्म ने राधे जैसा लवेबल कैरेक्टर ऑडियंस को दिया। ठीक उसी तरह जैसे ‘दबंग’ से हमें चुलबुल पांडे मिला था। उन दोनों ही फिल्मों ने क्लास और मास दोनों को गुदगुदाया था। लेकिन उनके आगे के पार्ट का ध्यान और मकसद मास ऑडियंस तक सीमित रहा। यहां भी यही है। ‘राधे: योर मोस्ट वॉन्टेड भाई’ टिपिकल सलमान खान फैन को समर्पित किया गया है।
यहां भी सारे मसले और मसाले वहीं हैं, जो ‘दबंग’, ‘वॉन्टेड’ या ‘रेस’ फ्रेंचाइज में मौजूद रहे हैं। पहली 'वॉन्टेड' में इमोशन की अतिरिक्त मौजूदगी थी। यहां वह रस गुम है। पूरा फोकस मुंबई से ड्रग्स माफिया के सफाए पर केंद्रित है, जिसका सरगना राणा (रणदीप हुड्डा) है। अपनी गैंग के दो गुर्गों के साथ मिलकर उसने स्कूली बच्चों तक को ड्रग्स की लत लगा दी है। वह बेरहम है। उसे रोकने के लिए एनकाउंटर स्पेशलिस्ट राधे (सलमान खान) को लाया जाता है। वह भी उसी बेरहमी से राणा को रोकता है। यह भी जरा खटकता है कि मुंबई जैसे बड़े शहर में तीन लोग ही मिलकर पूरा ड्रग्स सिंडिकेट चला रहे हैं।
बहरहाल, फिल्म एक्शन प्रधान है। कोरियन फाइट मास्टर मियॉन्ग हेंगे हेओ को ऑन बोर्ड लिया गया है। उन्होंने रोमांचक और स्लिक स्टंट डिजाइन किए हैं। यहां एक्शन रॉ रखा गया है। 'रेस 3' की तरह लैविश लोकेशंस पर बमबारी नहीं है। मुंबई की तंग गलियों में राधे और राणा की लुकाछिपी और एक्शन है। राणा के गुर्गे के रूप में गौतम गुलाटी का आउटर लुक प्रभावी है। क्लाइमैक्स में एक्शन है, जहां राधे पुलिस की गाड़ी समेत हवा में उड़ान भरने जा रहे हैलिकॉप्टर में एंट्री मारता है। इसका लैविश रूप लोगों ने ‘फास्ट एंड फ्यूरियस9’ के ट्रेलर में देखा है। विन डीजल इससे पहले भी ऐसा हैरतअंगेज स्टंट करते रहें हैं। सलमान खान ने पहली बार ऐसा कुछ आजमाया है।
एक्शन के अलावा दिशा पाटनी के रूप में ग्लैमर कोशंट है। दिया के रोल में उन्हें जो काम मिला है, उसे ठीक तरह से अंजाम दिया है। राधे का सीनियर अविनाश अभ्यंकर है। वह दिया का भाई भी है। इसे जैकी श्रॉफ ने प्ले किया है। 'वॉन्टेड' से लेकर 'दबंग' आदि में भी मेन लीड के अलावा बाकी पुलिस अफसर या मातहत दिमाग से पैदल ही होते हैं। अपराधियों का पर्दाफाश तो सलमान का किरदार ही करेगा। अगर उनके आसपास के किरदारों में भी जरा गंभीरता जोड़ दी जाए तो फिल्म का क्या नुकसान हो जाएगा, यह समझ से परे है।
दिया पूरी फिल्म में राधे को भोलू बुलाती रहती है, लेकिन जो दिया का भोलापन है, वह भी हजम नहीं होता। दिया को स्ट्रॉन्ग और स्मार्ट पर्सनैलिटी वाली लड़की के तौर पर न दिखाना किस मजबूरी का नतीजा है? वह राइटर और डायरेक्टर ही बता सकते हैं। एक्ट्रेसेस का ऐसा चित्रण साउथ की मसाला फिल्मों में होता है। लगातार एक्ट्रेसेस का किरदार डंब ही दिखाया जाता है।
जब ‘सुल्तान’ और ‘बजरंगी भाईजान’ में सलमान के स्टारडम और स्क्रिप्ट का सही मेल हो सकता है तो बाकी की फिल्मों में क्यों नहीं। इस सवाल का भी क्लीषे आंसर उनके चाहने वाले देते रहें हैं। फिल्म में कहानी के वन लाइनर में नेक इरादे नजर आते हैं, मगर क्लास एंटरटेनमेंट के मोर्चे पर उसमें खोट नजर आती है।
सलमान खान ने यकीनन इसमें तेज रफ्तार वाला एक्शन, लार्जर दैन लाइफ स्क्रीन प्रेजेंस रखा है। कैमरा वर्क और कोरियोग्राफी भी अच्छी है, पर क्या टिपिकल सलमान फैन इसे पहले की तरह प्यार देंगे? क्योंकि पिछले डेढ़ साल में उन्होंने भी तो ओटीटी पर उम्दा कंटेंट देखा ही होगा।
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