दूसरे एक्टर्स से तुलना पर बोले तुंबाड फेम सोहम शाह:भगवान से मांगता हूं अगले जन्म मुझे शाहरुख खान बना दें

7 दिन पहलेलेखक: अमित कर्ण/अजीत रेडेकर
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एक्टर और प्रोड्यूसर सोहम शाह की लोकप्रियता ‘शिप ऑफ थिसियस’ और ‘तुंबाड’ को लेकर रही है। वो राजस्थान के छोटे से इलाके से ताल्लुक रखते हैं। कोविड के बाद से ज्यादातर जानकारों की राय रही है कि अब वैसी फिल्में चलेंगी, जो विजुअल स्पैक्टेकल वाली हों। तुंबाड को वो उसी कैटेगरी में रखते हैं। तो सोहम शाह ने दैनिक भास्कर से खास बातचीत की और डिकोड किया कि क्या ऐसा है? पेश हैं प्रमुख अंश:-

तुंबाड की सफलता का श्रेय किसे देंगे ?

मेरे ख्याल से तुंबाड सिर्फ विजुअल स्पैक्टेकल वाली फिल्म नहीं थी। उसकी कहानी अलग थी, उसमें नयापन था। इन दिनों वैसी कहानियां चल रहीं, जो रूटेड हैं। एक जमाना था, जब जो फिल्में विदेशों में सेट रहती थीं, उन्हें देख लोग खुश होते थे। कोविड के दौरान में सब लोगों ने देख लिया। बेशक विजुअल बेहद जरूरी हैं, मगर इंडियन के लिए सदा कहानी ही इंपॉटेंट रहने वाले हैं।

तुंबाड का दूसरा पार्ट कब आएगा ?

मैं फिल्मों का काम बहुत शौक से कर रहा हूं। यह मेरी आवश्यक आवश्यकता नहीं है। तो जब तक भीतर से आवाज नहीं आती कि संबंधित प्रोजेक्ट करना ही है, तब तक मैं यह नहीं करता हूं। यकीनन मार्केट प्रेशर बहुत है उसके पार्ट टू को लेकर, लेकिन मैं उसी सूरत में पार्ट टू बनाना चाहता हूं, जब ऐसी कहानी मिले कि वह सीक्वल के साथ न्याय करे। हम अब भी स्टोरी ढूंढ रहें हैं।

तुम्बाड 2 पर आयडिया तो बहुत मिल जाएंगे कि, दादी की स्टोरी बना लो या पांडुरंग पर कहानी गढ़ लो। मगर उन आयडिया पर स्क्रीनप्ले बनाना बहुत बड़ा क्राफ्ट है। तुम्बाड2 हम इसलिए नहीं बनाना चाहते कि पहले पार्ट को बहुत प्यार मिला। हम इसलिए प्रीक्वल या सीक्वल लाएंगे, क्योंकि वह दुनिया बड़ी खूबसूरत है। ईश्वर की कृपा रही तो तुंबाड 6 भी बनानी है मुझे।

अपने अपकमिंग प्रोजेक्ट्स के बारे में बताइए ?

एक फिल्म बना रहा हूं, जिसमें एक ही कैरेक्टर है। वह कार लेकर कहीं जा रहा है। फिर कहानी की परतें खुलती जाती हैं। मेरा मानना है कि दृश्यम2 जैसी फिल्में वर्क करेंगी। पिछले तीन से चार सालों में वह मुझे बेहतरीन फिल्म महसूस हुई है। कि हीरो उस सिचुएशन से निकलेगा। मगर वह कैसे निकलेगा, उस चीज ने मुझे काफी हुक किया।

मुंबई में स्ट्रगल कर रहे लोगों पर क्या कहेंगे?

ये हर किसी के लिए अलग अलग होता है। मैं वैसा नहीं था कि वड़ा पाव ही खाता रहूं। सड़कों पर ही रहूं, पर मुंबई में बना रहूं। बेशक जो लोग मुंबई में तमाम मुश्किलों के बावजूद रहते हैं, उनकी बहुत रिस्पेक्ट है। पर मैं वैसा नहीं था। मैं चाहता तो एक्टर बनना बचपन से था, पर अपने लिए सेफ्टी नेट बनाना बहुत जरूरी था। ताकि मेरे रहने खाने का प्रॉब्लम न हो। अगर मैं वह अचीव नहीं करता तो मुंबई नहीं आता।

ओटीटी प्लेटफॉर्म पर बतौर प्रोड्यूसर कोई फिल्म या सीरीज ला रहे ?

हमारा किसी के साथ फिलहाल डील नहीं है। वह इसलिए कि हम सदा कुछ अलग बनाना चाहते हैं। साथ ही बतौर प्रोडक्शन हाउस हमारा मैंडेट भी है कि हम पहले कुछ बना लें। उसके बाद उसे ले जाएं ओटीटी वगैरह के पास। तभी कुछ होगा। मुझे यही प्रोसेस सही लगता है। ताकि हम अपने डायरेक्टर्स को फ्रीडम दे सकें कि हम क्या बनाना चाहते हैं?

कौन सी बायोपिक का कैरेक्टर करना चाहेंगे ?

महाराणा प्रताप और अकबर। ये दोनों ही मेरे फेवरेट कैरेक्टर हैं। महाराणा प्रताप खासकर मेरे बड़े फेवरेट हैं। उनकी कविता काफी जोश भर देती है मुझमें। जंगल में उन्होंने दरअसल अपने बेटे के लिए घास की रोटी बनाई थी। वह मगर एक बिल्ला ले गया। तो महाराणा प्रताप का बड़ा अंतर्द्वद्व था।तो वह कैरेक्टर बड़ा फैसिनेटिंग लगता है मुझे।

VFX फिल्म बनाने वालों के लिए कोई टिप्स ?

मेरे ख्याल से इंडिया में भी अच्छा काम होने लगा है VFX के लिहाज से। उससे आप कम लागत में बड़े विजुअल की फिल्म बना पाते हो। साथ ही ऑडियंस को कुछ नया मिल पाता है।

खुद को किससे कंपेयर करते हैं?

किसी से नहीं, मगर अगला जन्म मिले तो भगवान से यही कहूंगा कि शाहरुख खान बना दे मुझे।