सुशांत सिंह राजपूत सुसाइड केस में मुंबई पुलिस ने सोमवार को उनके साइकेट्रिस्ट डॉ. परवीन दराइच का स्टेटमेंट रिकॉर्ड किया। बांद्रा पुलिस स्टेशन में करीब पांच घंटे चली पूछताछ में दराइच ने बताया कि सुशांत सबसे पहले उनके पास 2018 में आए थे। जब वे काउंसलिंग से संतुष्ट नहीं हुए तो उनसे बहस करने लगे थे और उन्होंने ट्रीटमेंट भी बीच में ही छोड़ दिया था। पुलिस ने दराइच से सुशांत के काउंसलिंग सेशन, इसमें आई परेशानियों और दवाओं के डोज को लेकर पूछताछ की थी।
बाइपोलर डिसऑर्डर से जूझ रहे थे सुशांत
पुलिस ने बीते दिनों में डॉ. परवीन दराइच के अलावा दो अन्य साइकेट्रिस्ट और एक साइकोथेरेपिस्ट से भी बात की। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, नवंबर 2019 से सुशांत इनसे अपना ट्रीटमेंट करा रहे थे। पूछताछ में एक साइकेट्रिस्ट ने बताया कि सुशांत बाइपोलर डिसऑर्डर नाम की बीमारी से जूझ रहे थे। वहीं, बाकी डॉक्टर्स के मुताबिक, उनकी जिंदगी काफी तनाव भरी थी। हालांकि, सुशांत को यह तनाव क्यों था? इसका जवाब कोई भी डॉक्टर नहीं दे सका।
मानसिक बीमारी है बाइपोलर डिसऑर्डर
बाइपोलर डिसऑर्डर एक मानसिक बीमारी है, जिसमें इंसान के व्यवहार में तेजी से बदलाव आने लगता है। इसे मैनिक डिप्रेशन भी कहते हैं। इससे ग्रसित इंसान कई बार अपने आसपास के लोगों पर विश्वास करना बंद कर देता है। डॉक्टर्स के मुताबिक, सुशांत के मामले में भी ऐसा ही था। उन्होंने पुलिस को बताया कि सुशांत किसी भी डॉक्टर से दो या तीन बार मिलते थे और फिर उसे बदल देते थे। इसकी वजह शायद यही थी कि वे अपने डॉक्टर्स पर भरोसा नहीं करते थे।
अप्रैल के बाद फोन पर सलाह लेते थे
पूछताछ में लगभग हर डॉक्टर ने यह बात मानी कि सुशांत दवाएं वक्त पर नहीं लेते थे। और अगर लेते भी थे तो बहुत कम समय के लिए। वहीं, अप्रैल के बाद लॉकडाउन के चलते वे डॉक्टर्स से सिर्फ फोन पर बात करते थे और सलाह ले लेते थे। डॉक्टर्स ने इस दौरान यह आशंका भी जताई कि दो-तीन महीने से सुशांत न तो दवाएं ले रहे थे और न ही उनकी सलाह मान रहे थे।
अब तक लगभग 40 लोगों से पूछताछ हुई
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