6 अप्रैल 1945, ये वही दिन है जब जापान ने दो सूरज देखे थे एक रोज की तरह निकलने वाला और दूसरा तबाही का, इस दिन हिरोशिमा पर न्यूक्लियर अटैक हुआ था। इस अटैक से शहर के लगभग 90 प्रतिशत यानी 80 हजार लोगों की मौत हो गई। दूसरी वर्ल्ड वॉर चल रही थी, और दुनिया में ये पहली बार था जब परमाणु बम का इस्तेमाल किसी शहर पर किया गया था।
आज परमाणु हमले की 77वीं एनिवर्सरी है। अमेरिका ने लिटिल बॉय नाम का बम जापान के शहर हिरोशिमा पर गिराया था, इस बम के गिरने के बाद शहर के साथ आसपास के इलाकों में भी काली बारिश होने लगी। इस बारिश ने भी हजारों लोगों की जान ले ली, तो वहीं कई लोगों को अजीब सी बीमारियों ने घेर लिया। इसके निशान आज भी जापान में मौजूद हैं। 77 सालों बाद भी इस बम के रेडिएशन से अब भी कई लोग अजीब तरह की बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। ये सब परमाणु हमले पर बेस्ड कुछ फिल्मों को देख आप जान जाएंगे। तो चलिए आज हम आपको बताएंगे उन फिल्मों के बारे में जिनमें इस परमाणु हमले और उसके बाद के असर को बेहतरीन तरीके से लोगों के सामने लाया गया है।
फैट मैन एंड लिटिल बॉय
1989 में रिलीज हुई ये फिल्म मैनहट्टन प्रोजेक्ट पर आधारित है। फिल्म में वर्ल्ड वॉर-2 के दौरान फर्स्ट न्यूक्लियर बम बनाने और उससे दो शहरों पर हमला करने के बारे में बताया गया है। फिल्म का नाम उन दोनों न्यूक्लियर बम के नाम पर रखा गया है जो हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए थे।
फ्रैंकलिन कॉनक्वैर्स द वर्ल्ड
1965 में रिलीज हुई इस फिल्म को प्रोड्यूस इशिरो होंडा ने किया था। फिल्म हिरोशिमा में हुए परमाणु हमले और उससे एक बच्चे पर हुए इफेक्ट को बताया गया है। फिल्म में परमाणु हमले के चलते बच्चा अजीब आकार में बढ़ता जाता है। इस फिल्म के जरिए परमाणु हमले में हिरोशिमा में रह रहे लोगों के शरीर पर हुए साइड इफेक्ट को बेहद करीब से दिखाया गया है।
रैप्सोडी इन अगस्त
1991 में रिलीज हुई ये फिल्म उपन्यास नाबे नो नाका पर आधारित है। इस फिल्म की कहानी एक महिला और उसके चार पोते-पोतियों पर केंद्रित है। इस महिला ने 1945 में हिरोशिमा पर हुए परमाणु हमले में अपने पति को खो देती है। जिसके बाद ये बुजुर्ग महिला के जिंदगी में उसके पोते-पोती ही होते हैं। ये महिला मरने से पहले अपने लंबे समय से खोए हुए भाई से मिलना चाहती है। फिल्म में परमाणु हमले के बाद स्ट्रगल कर रहे लोगों की कहानी को सामने लाया गया है।
लिटिल बॉय
2015 में रिलीज हुई इस फिल्म को एलेकजेंड्रो गोमेज मोंटेवेर्डे ने प्रोड्यूस किया है। इस फिल्म का नाम भी हिरोशिमा पर गिराए गए बम के नाम पर लिटिल बॉय रखा गया है। इस फिल्म की कहानी पेपर फ्लायंट बसबी नाम के लड़के पर आधारित है जो इस परमाणु बम हमले से जुड़ा होता है।
द बिगनिंग और द एंड
1947 में रिलीज़ हुई 'द बिगिनिंग ऑर द एंड' एक पॉलिटिकल डॉक्यूमेंट्री है, जिसमें टॉप-सीक्रेट मैनहट्टन प्रोजेक्ट में पर्दे के पीछे की घटनाओं को बताया गया है। फिल्म दिखाती है कि कैसे तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति हैरी एस ट्रूमैन ने हिरोशिमा पर बमबारी की इजाजत दी थी।
न्यूक्लियर टिपिंग पॉइंट
न्यूक्लियर टिपिंग पॉइंट 2010 में रिलीज हुई एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म है। उस समय, अमेरिका और रूस के पास दुनिया के 95% परमाणु हथियार थे। जिनकी संख्या लगभग 20,000 थी। फिल्म चार अमेरिकी सरकारी अधिकारियों के काम को बताती है जो शीतयुद्ध के दौरान ऑफिस में थे और ये चाहते थे कि दुनिया में परमाणु बम का उपयोग न हो। इस डॉक्यूमेंट्री में परमाणु हमले को रोकने के लिए उन अधिकारियों की कोशिशों को बताया गया है। इसके अलावा 'द बांब', व्हाइट लाइट-ब्लैक रैन: द डिस्ट्रक्शन ऑफ हिरोशिमा एंड नागासाकी, द मोमेंट इन टाइम: द मैनहट्टन प्रोजेक्ट, ट्विस जैसी डाक्यूमेंट्री में भी इस हमले और इसके बाद और पहले की सिचुएशन को बेहतरीन तरीके से दिखाया गया है।
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