जंगलों में आग लगना अब बेहद आम बात हो गई है। पिछले कुछ सालों में कभी अमेजन तो कभी ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में लगी आग से करोड़ों जीवों की मौत हुई है। हाल ही में वैज्ञानिकों ने दुनिया की सबसे पुरानी वाइल्डफायर का पता लगा लिया है। 43 करोड़ साल पहले फैली इस आग के सबूत पोलैंड और वेल्स में मिले हैं।
करोड़ों साल पुराना चारकोल मिला
अमेरिका के मेन में स्थित कोलबी कॉलेज के रिसर्चर्स को पोलैंड और वेल्स में 43 करोड़ साल पुराना चारकोल मिला है। जांच में पता चला कि जंगल में आग सिलुरियन काल में लगी थी। वैज्ञानिकों का कहना है कि उस वक्त पेड़-पौधे उगने और बढ़ने के लिए काफी हद तक बारिश के पानी पर ही निर्भर थे। बहुत ही कम इलाका जमीनी या सूखा होता था।
रिसर्च के मुताबिक, जहां आग लगी होगी वहां पेड़ नहीं, बल्कि प्रोटोटेक्साइट्स नाम की खास प्रकार की फंगस होगी। यह लंबाई में 9 मीटर यानी 30 फीट तक बढ़ सकती थी। कोलबी कॉलेज के प्रोफेसर इयान ग्लासपूल कहते हैं- यह हैरानी की बात है कि उस समय पेड़ के आकार जितनी फंगस होती थी। हमें यह जानकारी पौधों के जीवाश्म की जांच में मिली है।
जंगलों में आग लगना भी जरूरी है
ग्लासपूल के अनुसार, आग भड़कने के लिए तीन चीजों की जरूरत होती है। पहला- ईंधन (पेड़-पौधे), दूसरा आग जलाने का सोर्स (बिजली गिरना) और तीसरा आग जलाए रखने के लिए ऑक्सिजन। उस वक्त आग फैली और पृथ्वी पर आज भी चारकोल जमा है, इसका सीधा मतलब है कि तब ऑक्सिजन का लेवल कम से कम 16% था। आज वातावरण में ऑक्सिजन का स्तर 21% है। यानी समय के साथ यह भी बदल जाता है।
इससे पहले सबसे पुरानी वाइल्डफायर का रिकॉर्ड 33 करोड़ साल पहले का था। ग्लासपूल का कहना है कि धरती पर मौजूद हर चीज की तरह वाइल्डफायर का होना भी जरूरी है। यह पृथ्वी पर होने वाली प्राकृतिक प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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