दुनियाभर में वायु प्रदूषण का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। मंगलवार को अमेरिका की शिकागो यूनिवर्सिटी ने अपने सालाना एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स में कहा कि भारत में दूषित हवा से लोगों की उम्र औसतन 5 साल घटती जा रही है। वहीं दुनिया में यह आंकड़ा 2.2 साल है। बांग्लादेश के बाद भारत दुनिया का सबसे प्रदूषित देश है।
देश की पूरी आबादी खतरे में
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की पूरी 1.3 अरब आबादी गंदी हवा में सांस ले रही है। वहीं 63% लोग ऐसे हैं जो बेहद खतरनाक वायु प्रदूषण का शिकार बन रहे हैं। पूरे देश में हवा का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के सुझाए स्तर से काफी खराब है।
दिल्ली के लोगों की उम्र 10 साल घटी
इंडेक्स के मुताबिक दिल्ली दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर है। वायु प्रदूषण के कारण यहां रह रहे लोगों के जीवित रहने की संभावना 10 साल घट गई है। वहीं आने वाले समय में लखनऊ की आबादी की औसत उम्र 9.5 साल घट जाएगी। इसके अलावा बिहार, चंडीगढ़, हरयाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के हालात भी बेहतर नहीं है। हवा इसी तरह खराब रही तो यहां के 51 करोड़ लोगों की उम्र में 7.6 साल की गिरावट आएगी।
भारत ने दुनिया में बढ़ाया प्रदूषण
रिपोर्ट की मानें तो साल 2013 से ही दुनिया में प्रदूषण बढ़ाने के पीछे सबसे बड़ा हाथ भारत का है। वैश्विक स्तर पर देश ने 44% प्रदूषण बढ़ाया है। रिसर्चर्स के अनुसार प्रदूषण में 25% कमी भी भारतीयों की औसत उम्र में 1.4 साल जोड़ देगी। दुनिया में साल 1998 से वायु प्रदूषण में सालाना 61.4% इजाफा हुआ है, जिससे जीवित रहने की औसतन उम्र 2.1 साल घट गई है।
पार्टिकुलेट मैटर ने बढ़ाई चिंता
हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर (PM) इंसान के फेफड़ों के लिए जहर से कम नहीं हैं। इस रिपोर्ट में PM 2.5 की जांच की गई है। ये हवा में मौजूद ऐसे कण होते हैं, जिनका आकार 2.5 माइक्रोमीटर या उससे कम होता है। इनकी वजह से समय से पहले ही मौत भी हो सकती है।
WHO के मुताबिक, PM 2.5 हवा में 5 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से ज्यादा नहीं होना चाहिए, लेकिन पूरे देश में पार्टिकुलेट मैटर की मात्रा इससे ज्यादा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वायु प्रदूषण के बाद भारत में कुपोषण से औसत उम्र 1.8 साल और स्मोकिंग से औसत उम्र 1.5 साल कम हो जाती है।
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