दुनिया भर को डर सता रहा है कि अगर धरती का तापमान 1.5 से 2 डिग्री तक बढ़ा तो जीना असंभव हो जाएगा। मगर हकीकत में तापमान 2 डिग्री से ज्यादा बढ़ चुका है। यह कहना है वरिष्ठ क्लाइमेट एक्सपर्ट और एरिजोना यूनिवर्सिटी के एमिरेट्स प्रोफेसर गाई मैकफर्सन का।
इसका सबूत यह है कि सूरज से धरती पर प्रति वर्ग मीटर 2 वाॅट एनर्जी बरस रही है। भारत बढ़ते तापमान का एपिसेंटर बन गया है। अक्टूबर-20 में प्रकाशित किताब ‘द इवेंट होराइजन’ में जाने-माने पेलियो क्लाइमेट एक्सपर्ट एंड्रयू जैक्सन भी ये बात कह चुके हैं।
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तेज गति से आर्कटिक में बर्फ पिघल रही
आर्कटिक सफेद रंग का बर्फीला समुद्र है। सफेद रंग सूर्य की किरणें रिफ्लेक्ट करता है व ठंडक बनाए रखता है। यहां 10 हजार टन/सेकंड की रफ्तार से बर्फ पिघल रही है। संभवत: इसी दशक के अंत तक ये नीला पड़ जाएगा। नीला समुद्र किरणें व उसकी गर्मी सोखेगा। बर्फ पिघलने से करोड़ों टन मीथेन गैस वायुमंडल में घुलेगी। इससे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कई गुना बढ़ेगा, जो बेतहाशा गर्मी बढ़ा सकता है।
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औद्योगिक गतिविधियां कम करने से ग्लोबल वाॅर्मिंग बढ़ेगी
यह तो सब जानते हैं कि औद्योगिकीकरण से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन बढ़ा है, जिससे ग्लोबल वाॅर्मिंग बढ़ रही है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि औद्योगिकीकरण से पर्यावरण में एरोसोल भी घुलता है, जो सूरज की गर्मी को पृथ्वी पर आने से रोकता भी है। इसे एरोसोल मास्किंग कहते हैं। यानी अगर अब अचानक औद्योगिकीकरण कम कर दें तो भी तापमान बढ़ेगा, क्योंकि एरोसोल की मात्रा एकदम से घट जाएगी। यह एक प्रलयकारी घटना है।
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