चीन की स्पेस एजेंसी बंदरों को अंतरिक्ष में भेजने जा रही है। इसका मकसद यह पता करना है कि अंतरिक्ष में प्रजनन संभव है या नहीं। फिलहाल एजेंसी ने तारीख का ऐलान नहीं किया है, लेकिन प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी जरूर दी है।
43 साल पहले सोवियत संघ ने भी ऐसा ही प्रयोग किया था। तब उन्होंने चूहों को अंतरिक्ष में भेजा था।
आगे जानेंगे चूहों पर सोवियत संघ के टेस्ट का नतीजा क्या रहा, चीन किस तरह से बंदरों पर प्रयोग करेगा। इससे पहले आप हमारे पोल पर अपनी राय दे सकते हैं…
1. कैप्सूल में रहेंगे बंदर, वहीं होंगे सारे ट्रायल
चीन का तियांगोंग स्पेस स्टेशन हाल ही में बनकर तैयार हुआ है। अब वैज्ञानिक यहां कई एक्सपेरिमेंट करेंगे। इनमें अंतरिक्ष में प्रजनन पर रिसर्च काफी बड़ा प्रोजेक्ट है। इसे चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज लीड कर रही है। स्पेस स्टेशन में वेंटियन नाम का सबसे बड़ा कैप्सूल तैयार किया जाएगा, जिसके अंदर लाइफ साइंस से जुड़े प्रयोग होंगे। फिलहाल वैज्ञानिक उपकरणों पर काम कर रहे हैं।
2. स्पेस में आबादी कैसे बढ़ेगी, इस पर होगी रिसर्च
रिसर्चर झांग लू ने बताया- चूहों और अफ्रीकी बंदरों पर कुछ स्टडीज कर यह पता लगाया जाएगा कि वे अंतरिक्ष में कैसे प्रजनन करते हैं और अपनी आबादी बढ़ाते हैं। इससे अंतरिक्ष के वातावरण में उनके बर्ताव और प्रजनन से जुड़े पहलुओं को समझने में मदद मिलेगी।
3. बंदर इंसान से मिलते-जुलते, इसलिए इन्हें चुना गया
इस प्रोजेक्ट के लिए बंदरों को खास तौर पर इसलिए चुना गया है क्योंकि इन्हें इंसानों का पूर्वज माना जाता है। मानव और बंदर की प्रजनन प्रक्रिया में भी कई समानताएं होती हैं। इंसान की तरह ये भी स्तनधारी जीव होते हैं। इसलिए बायोलॉजी के नजरिए से इन पर ट्रायल करना सबसे अनुकूल है।
4. खानपान, स्पर्म और अंडों की सेफ्टी बड़ी चुनौती
5. स्पेस में चूहे प्रेग्नेंट हुए, पर धरती पर जन्म नहीं दिया
स्पेस में स्तनधारी जानवरों में प्रजनन की दर अब तक जीरो रही है। 1979 में कोल्ड वॉर के दौरान सोवियत संघ ने 18 दिन के लिए चूहों को अंतरिक्ष में भेजा था। इसका मकसद भी प्रजनन पर रिसर्च करना था। वैज्ञानिकों ने पाया कि कुछ चूहों ने शारीरिक चुनौतियों का सामना कर संबंध बनाए। इनमें से कुछ में प्रेग्नेंसी के लक्षण भी दिखाई दिए, लेकिन पृथ्वी पर वापस लौटने के बाद एक ने भी बच्चे को जन्म नहीं दिया।
6. NASA ने स्पेस में मुर्गी के अंडे भेजे, वहीं जन्मे चूजे
अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA ने अब तक अंतरिक्ष में अमीबा, काई, मधुमक्खियां, वर्म, मकड़ी, स्नेल, जेलीफिश, मेंढक, खरगोश, कछुए, मुर्गी के अंडे, चूहे आदि भेजे हैं। एक एक्सपेरिमेंट में धरती से मुर्गी के अंडे भेजने के बाद वैज्ञानिक ये देखना चाहते थे कि उनका क्या होता है। स्पेस की जीरो ग्रैविटी में भी अंडों से चूजे वैसे ही निकले जैसे पृथ्वी पर निकलते हैं। वहीं, जेलीफिश पर हुए प्रयोग में बच्चों ने जन्म तो लिया, लेकिन उन्हें जीने के लिए संघर्ष करना पड़ा।
अब जानिए अंतरिक्ष में किए गए रोचक प्रयोगों के बारे में…
1. स्पेस में जाने वाली सबसे पहली जीव मधुमक्खी थी। अंतरिक्ष का एक जीव की बायोलॉजी पर क्या प्रभाव पड़ता है, यह समझने के लिए इन्हें भेजा गया था। NASA आज भी मधुमक्खियों को कई प्रयोगों के लिए इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) भेजता है।
2. NASA ने 1942 में पहली बार एक बंदर को स्पेस में भेजा था। हालांकि फ्लाइट के दौरान घुटन से उसकी मौत हो गई थी। इसके बाद 1948 में एक बंदर को भेजा गया, पर पृथ्वी पर लौटने के दौरान उसकी भी मौत हो गई। ऐसे कुल 5 बंदरों की जान गई थी। 1951 में एक बंदर और कुछ चूहों को स्पेस में भेजा गया, वे पृथ्वी पर लौटने में सक्सेसफुल भी हुए, लेकिन कुछ घंटों बाद उनकी भी मौत हो गई।
3. 1957 में सोवियत संघ ने पहली बार लाइका नाम की फीमेल डॉग को अंतरिक्ष में भेजा था। हालांकि उसे पृथ्वी पर वापस लाने का कोई प्लान नहीं था। वैज्ञानिक मानते हैं कि स्पेस में कुछ घंटों बाद ही उसकी मौत हो गई होगी।
4. NASA ने 1961 में पहली बार एक चिम्पैंजी को पृथ्वी से बाहर भेजा। मिशन से लौटने के बाद उसे कुछ नहीं हुआ। बस उसमें थोड़ी थकान और डिहाइड्रेशन पाया गया था। हैम नाम के इस चिम्पैंजी ने ही NASA के पहले एस्ट्रोनॉट एलन बी शेपर्ड के लिए स्पेस में जाने का रास्ता खोला था।
5. 1968 में सोवियत संघ ने कछुए, मील वर्म, वाइन फ्लाई जैसे कई जीव अंतरिक्ष में भेजे। इन सभी ने पहली बार चांद का एक चक्कर भी लगाया। पृथ्वी पर आने के बाद कछुओं का वजन 10% कम पाया गया था।
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