कोरोनावायरस के संक्रमण के इलाज के दौरान साइड इफेक्ट खतरनाक रूप सामने आया है। चीन के वुहान में कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टरों की चमड़ी काली पड़ गई। वुहान सेंट्रल हॉस्पिटल के डॉक्टरों में भी ऐसे मामले सामने आए हैं। डॉ. यी फेन और डॉ. हू वीफेंग को 18 जनवरी को कोरोना का संक्रमण हुआ। वे करीब 6 हफ्ते तक हॉस्पिटल में रहे और इसी दौरान उनका पूरा शरीर काला पड़ गया।
पहला मामला : बिना मदद के चलना मुश्किल हो गया था
चीनी मीडिया सीसीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, डॉ. यी पेशे से हृदय रोग विशेषज्ञ हैं और संक्रमण के बाद 39 दिन तक वेंटिलेटर पर रहे। वह रिकवर हो चुके हैं। डॉ. यी ने सीसीटीवी को बताया, कोरोना से जूझने में मैं मानसिक तौर पर काफी प्रभावित हुआ, शरीर टूट गया। मैं बिना मदद के चल-फिर तक नहीं पा रहा था। डॉ. यी के मुताबिक, जब वह होश में आए तो अपनी हालत को देखकर गए और रिकवरी के लिए काउंसलिंग तक की जरूरत पड़ी।
दूसरा मामला : 45 दिन वेंटिलेटर पर रहे और मानसिक स्थिति बिगड़ी
दूसरे साथी डॉ. हू वीफेंग का संघर्ष और भी तकलीफ दायक रहा। हू 99 दिन तक हॉस्पिटल के बेड पर रहे और 45 दिन वेंटिलेटर पर लाइफ सपोर्ट दिया गया। इनका इलाज करने वाले डॉ. ली शूशेंग का कहना है कि हू की मानसिक स्थिति बेहद नाजुक रही है। 7 फरवरी से 22 मार्च तक हू संक्रमण के बुरे दौर से गुजरे। धीरे-धीरे हालत में सुधार हुआ और 11 अप्रैल को कुछ बोलने की स्थिति में आए।
आने वाले दिनों में रंग सामान्य होने की उम्मीद
डॉ. ली शूशेंग के मुताबिक, स्किन में बदलाव की वजह इलाज के दौरान दी जाने वाली कोई दवा भी हो सकती है। हालांकि डॉ. ली ने ये स्पष्ट नहीं किया कि कौन सी दवाएं दी गई थीं। डॉ. ली का कहना है, उम्मीद है कि जैसे-जैसे साइड इफेक्ट कम होगा, उनकी त्वचा का रंग सामान्य हो जाएगा।
अलर्ट रहें क्योंकि संक्रमण के नए लक्षण सामने आ रहे
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