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कोरोनाकाल में अच्छी खबर:कोरोना का सबसे ज्यादा खतरा बुजुर्गों को लेकिन सबसे ज्यादा इम्युनिटी रेस्पॉन्स इनमें ही देखा, एक बार संक्रमित हुए तो 4 माह तक रहता है एंटीबॉडी का असर

3 वर्ष पहले
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  • आइसलैंड के रिसर्चर ने अपने शोध में किया दावा, 30,576 कोरोना सर्वाइवर्स के सीरम सैम्पल पर हुई रिसर्च
  • रिसर्चर्स ने कहा- संक्रमण के दो महीने बाद तक एंटीबॉडी बनीं और अगले दो महीने तक इनका असर शरीर में रहा

कोरोना से रिकवर होने के कितने समय बाद तक शरीर में एंटीबॉडीज रहती हैं, वैज्ञानिकों ने इसका जवाब ढूंढ लिया है। उनका कहना है एक बार वायरस से संक्रमित होते हैं तो उसके बाद शरीर में बनने वाली एंटीबॉडीज अगले 4 माह तक रहती हैं। यानी 4 माह तक इंसान की कोविड-19 से लड़ने की क्षमता बढ़ जाती है।

न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन प्रकाशित रिसर्च के मुताबिक, संक्रमण के बाद हर मरीज में एंटीबॉडी नहीं बनती हैं क्योंकि कुछ लोगों में वायरस से लड़ने की इम्युनिटी काफी कमजोर होती है। रिसर्च की सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि बुजुर्ग कोरोना के रिस्क जोन में हैं लेकिन एंटीबॉडी का सबसे बेहतर इम्यून रेस्पॉन्स इन्हीं में ही देखा गया।

हालांकि दुनिया के कुछ देशों में कोरोना से रिकवर हो चुके मरीजों में दोबारा संक्रमण के मामले भी सामने आए हैं। पहला मामला हॉन्गकॉन्ग के एक शख्स में देखा गया जो इटली से लौटा था। दोबारा संक्रमण के मामलों के बीच इस रिसर्च के नतीजे राहत देने वाले हैं।

6 अलग-अलग तरह की एंटीबॉडी की जांच हुई

रिसर्च करने वाले आइसलैंड के वैज्ञानिकों का कहना है कि हमने तीन समूहों में कुल 30,576 कोरोना सर्वाइवर्स का सीरम सैम्पल लिया। इनसे 6 अलग-अलग तरह की एंटीबॉडी की जांच की।

पहले समूह में 487 कोरोना सर्वाइवर शामिल थे। इनका एक से अधिक एंटीबॉडी टेस्ट हुआ। रिपोर्ट में सामने आया कि संक्रमण की पुष्टि के बाद 2 महीने तक एंटीबॉडी का स्तर लगातार बढ़ा और अगले दो महीने तक ये शरीर में मौजूद रहीं। रिसर्चर डॉ. केरी स्टेफेनसन के मुताबिक, एसिम्प्टोमैटिक लोगों में भी एंटीबॉडी पाई गईं।

क्या होती हैं एंटीबॉडीज

जब इंसान किसी वायरस के संपर्क में आता है तो शरीर का इम्यून सिस्टम उससे लड़ने के लिए एंटीबॉडीज बनाता है। ये वायरस को शरीर में फैलने से रोकती हैं। शरीर में इसका लेवल पता करने के लिए एंटीबॉडी टेस्ट कराया जाता है। टेस्ट के जरिए यह भी पता लगाया जाता है कि शरीर इन्हें बना रहा है या नहीं। अगर ये मौजूद हैं तो आशंका बढ़ जाती है कि आप कोविड-19 के संपर्क में आ चुके हैं।

मास्क लगाना, हाथ धोना और सोशल डिस्टेंसिंग न भूलें

हॉन्गकॉन्ग में 33 साल के आईटी प्रोफेशनल में हुए रीइंफेक्शन पर रिसर्च करने वाले माइक्रोबायोलॉजिस्ट केल्विन काय-वेंग के मुताबिक, रिकवर होने के बाद कोविड-19 के मरीजों को यह नहीं सोचना चाहिए कि दोबारा संक्रमण नहीं हो सकता। इलाज के बाद भी मास्क लगाने, सोशल डिस्टेंसिंग बरतने और हाथों को धोना न छोडें।

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