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हैदराबाद के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एनिमल बायोटेक्नोलॉजी (एनआईएबी) ने नई कोरोना जांच किट विकसित की है। यह किट 30 सेकंड में इंसान की लार से कोरोनावायरस का पता लगाती है। किट में बायोसेंसर लगे हैं जिसका इस्तेमाल जहरीली चीजों और नशीले ड्रग का पता लगाने में भी किया जा सकेगा। संस्थान का दावा है कि यह किट मई के अंत तक पूरी तरह से तैयार हो जाएगी और इसके बाद यह आम लोगों के उपलब्ध हो पाएगी।
सैम्पल के लिए बेहद कम लार की जरूरत
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एनिमल बायोटेक्नोलॉजी की विशेषज्ञ डॉ. सोनू गांधी के मुताबिक, डिवाइस को जांच के लिए कहीं भी आसानी से ले जाया जा सकता है। सैम्प्ल के लिए भी बेहद कम मात्रा में लार ही जरूरत होगी। कम कीमत में जांच हो सकेगी। इस रिसर्च को साइंटिफिक जर्नल में प्रकाशित होना बाकी है। डिवाइस में काफी कम 1.3 से 3 वोल्ट की बैटरी का इस्तेमाल किया गया है। विशेषज्ञ का दावा है कि इसे दूसरी किट से मिलान करने पर पाया गया कि यह अधिक सेंसेटिव है।
ऐसे काम करेगी किट
यह एक तरह की पोर्टेबल किट है जिसे कहीं भी ले जाया जा सकेगा। किट का नाम ई-कोवसेंस (eCovSens) रखा गया है। इसमें लगा बायोसेंसर कार्बन इलेक्ट्रोड और कोरोनावायरस एंटीबॉडी से मिलकर तैयार किया गया है। यह एंटीबॉडी कोरोनावायरस की ऊपरी सतह पर मौजूद स्पाइक प्रोटीन को पकड़ सकेगी। जब एंटीजन और एंटीबॉडी एक दूसरे को पकड़ेंगे तो इलेक्ट्रिक सिग्नल जारी होगा, इससे वायरस की पुष्टि होगी।
इलेक्ट्रिक सिग्नल एलसीडी से पढ़ा जा सकेगा
सैम्पल में वायरस मौजूद होने या न होने पर इलेक्ट्रिक सिग्नल की मदद से तैयार हुई रीडिंग को एलसीडी डिस्प्ले पर पढ़ा जा सकेगा। जांच किट को कम्प्यूटर या मोबाइल से ब्लूटूथ के जरिए कनेक्ट किया जा सकता है। सैम्प्ल में जितना वायरस होगा सिग्नल की तीव्रता उतनी ही तेज होगी।
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