कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन को पहली बार 24 नवंबर को दक्षिण अफ्रीका में डिटेक्ट किया गया था। हालांकि, इसकी उत्पत्ति से जुड़े कई सवालों के जवाब आज भी किसी के पास नहीं हैं। ओमिक्रॉन कब, कहां और कैसे जन्मा? ये दक्षिण अफ्रीका के गौतेंग प्रांत में कैसे फैला? ये सवाल दुनिया भर के वैज्ञानिकों को परेशान कर रहे हैं। ऐसे में मेडिकल फील्ड के विशेषज्ञ फिलहाल तीन थ्योरीज पर विचार कर रहे हैं।
ओमिक्रॉन पर अब तक मिली जानकारी
ओमिक्रॉन से जुड़ी पहली थ्योरी
वैज्ञानिकों का मानना है कि ओमिक्रॉन की उत्पत्ति एक ऐसे व्यक्ति में हुई होगी, जो लंबे समय तक कोरोना से पीड़ित होगा। उसका इम्यून सिस्टम भी बहुत कमजोर होगा। MedRxiv जर्नल में प्रकाशित हुई स्टडी में कोरोना के एक अनोखे मामले को फॉलो किया गया। इसमें लगभग 40 साल की महिला को 6 महीने तक कोरोना रहा। वो एचआईवी पॉजिटिव थी, इसलिए उसका इम्यून सिस्टम कमजोर था। ट्रीटमेंट के दौरान 6 बार जीनोम सीक्वेंसिंग के बाद ये पता चला कि महिला के शरीर में कोरोना की ओरीजिनल स्ट्रेन (SARS-CoV-2) का इवोल्यूशन हो रहा था।
ये इकलौता ऐसा केस नहीं है। नेचर जर्नल में प्रकाशित एक शोध में 70 वर्षीय कैंसर और कोरोना मरीज के केस को फॉलो किया गया। 102 दिन कोरोना से पीड़ित रहने के बाद आखिरकार उसकी मौत हो गई। उस पर कीमोथेरेपी के साथ-साथ प्लाज्मा थेरेपी और रेमडेसिवीर इंजेक्शन का ट्रीटमेंट चल रहा था।
एक ऐसा ही मामला हावर्ड मेडिकल स्कूल के वैज्ञानिकों ने जांचा। कमजोर इम्यूनिटी वाले 45 वर्षीय पुरुष को 152 दिन कोरोना रहा। इस दौरान उसमें कोरोना के 12 म्यूटेशन्स हुए।
दूसरी थ्योरी
दूसरी थ्योरी कहती है कि ओमिक्रॉन संक्रमण के पीछे 'रिवर्स जूनोटिक इवेंट' हो सकता है। इसका मतलब, ओमिक्रॉन सबसे पहले किसी जानवर में पनपा होगा और उसके बाद ये इंसानों में आया। वैज्ञानिकों के अनुसार, अगर ये थ्योरी सच है, तो होस्ट जानवर रोडेंट (कतरने वाला जानवर जैसे चूहा) हो सकता है।
तीसरी थ्योरी
तीसरी थ्योरी कहती है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट ऐसी आबादी में इवोल्व हुआ है, जिसमें जीनोम सीक्वेंसिंग न के बराबर हुई है। यह दक्षिण अफ्रीका के उन देशों की स्थिति के अनुकूल है, जहां का हैल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर अच्छा नहीं है।
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