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चक्कर आना भी कोरोना का एक लक्षण हो सकता है। संक्रमण के कई मामले ऐसे आ चुके हैं जिसमें ये साबित हुआ है कि कोरोनावायरस मस्तिष्क को भी संक्रमित कर सकता है। रिसर्च में अमेरिकी शोधकर्ताओं को एक ऐसा ही मामला देखने को मिला। खास बात भी थी उसमें कोरोना के कोई लक्षण नहीं नजर आ रहे थे। यह कोरोना का काफी अलग तरह का मामला था।
कोरोना के इस मामले की पूरी कहानी
अमेरिकन कॉलेज ऑफ इमरजेंसी फिजिशियंस ओपन जर्नल में प्रकाशित रिसर्च के मुताबिक, 22 मार्च को 78 साल के एक इंसान को इमरजेंसी में भर्ती किया गया। उसे चक्कर आने की शिकायत थी और चलफिर नहीं पा रहा था। लेकिन उसमें कोरोना के कोई लक्षण नहीं दिखे रहे थे।
उसके नाक से स्वैब नमूने का सैम्पल लिया गया तो कोरोना की पुष्टि हुई। शोधकर्ताओं का कहना है कि इंसान में कोरोना के आम लक्षण जैसे सांस लेने में दिक्कत, बुखार से कुछ समय पहले चक्कर आने के लक्षण भी दिख सकते हैं। कई देशों में अभी लक्षण दिखने के बाद ही कोरोना की जांच की जा रही है। ऐसे में फिजिशियन को मरीज में अलग तरह के लक्षण दिखने पर अलर्ट रहने की जरूरत है। साथ ही मरीज की कोविड जांच कराना जरूरी है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक, कई मरीजों में सामने आया कि कोरोना नर्वस सिस्टम तक पहुंचकर मस्तिष्क को संक्रमित कर सकता है। कुछ मामले में यह सामने आया है कि कोरोना सबसे पहले दिमाग में पाए जाने वाले न्यूरॉन्स को संक्रमित कर सकता है। जो हार्ट और सांस से जुड़ी प्रक्रिया को कंट्रोल करते हैं। इसलिए कई बार सांस से जुड़ी समस्या से पहले मस्तिष्क से जुड़ी दिक्कते सामने आती हैं। जैसे चक्कर आना।
कोरोना के ऐसे मामले भी : संक्रमित मरीजों के दिमाग में सूजन से सिरदर्द बढ़ रहा
कोरोनावायरस गले और फेफड़े के साथ अब दिमाग को भी जकड़ रहा है। दुनियाभर के न्यूरोलॉजिस्ट इसकी पुष्टि भी कर रहे हैं। उनका कहना है कि कोरोना से पीड़ित मरीजों में से एक तबका ऐसा भी है जिसमें संक्रमण का असर उनके दिमाग पर भी पड़ रहा है। एक्सपर्ट ने इसे ब्रेन डिसफंक्शन का नाम दिया है।
संक्रमण का असर मरीज के बोलने की क्षमता पर पड़ रहा है और दिमाग में सूजन के कारण सिरदर्द बढ़ रहा है। ऐसे कई दुर्लभ मामले सामने आ रहे हैं। इनके अलावा गंध सूंघने और अलग-अलग स्वाद को पहचाने की क्षमता भी घट रही है।
दो मामलों से समझें, दिमाग में कितना बदलाव हुआ
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