अंटार्कटिका में बर्फ की चट्टान से ब्रिटेन के लंदन शहर के आकार जितना एक आइसबर्ग (हिमखंड) टूटकर अलग हो गया है। यह घटना अंटार्कटिका में स्थित ब्रिटेन के हैली रिसर्च स्टेशन के पास हुई है। नेशनल जियोग्राफिक की रिपोर्ट के मुताबिक, आइसबर्ग के टूटने की इस प्रोसेस को काविंग कहा जाता है।
150 मी. मोटी बर्फ से अलग हुआ आइसबर्ग
रिपोर्ट के मुताबिक, विशाल आइसबर्ग का आकार 1,550 स्क्वायर किलोमीटर है। यह रविवार को 150 मीटर मोटी बर्फ की चट्टान से टूटकर अलग हो गया। हालांकि, यह घटना क्लाइमेट चेंज (जलवायु परिवर्तन) से जुड़ी नहीं है।
ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वे (BAS) की मानें तो वैज्ञानिकों को पहले से ही इस घटना की उम्मीद थी। दरअसल, काविंग की प्रोसेस एकदम नेचुरल है। जब बर्फ की चट्टानें इतनी मोटी हो जाती हैं, तब ऐसा होता है। BAS अंटार्कटिका में बर्फ की चट्टानों की स्थिति की निगरानी करता है।
2 साल में दूसरी बार हुई घटना
BAS के ग्लेशियोलॉजिस्ट डोमिनिक होजसन ने बताया कि अंटार्कटिका के इस हिस्से में काविंग की घटना पिछले दो साल में दूसरी बार हुई है। इससे पहले फरवरी 2021 में 1,270 स्क्वायर किलोमीटर का आइसबर्ग 150 मीटर मोटी बर्फ की चट्टान से टूटकर अलग हो गया था। इसका नाम A74 रखा गया था।
BAS का कहना है कि नया आइसबर्ग भले ही A74 से बड़ा है, लेकिन वह भी उसी दिशा में बहेगा जिसमें A74 बहा था। अभी नए आइसबर्ग का कोई नाम नहीं रखा गया है। जल्द ही US नेशनल आइस सेंटर इसका नाम जारी करेगा।
दशकों से अंटार्कटिका की बर्फ टूट रही
वैज्ञानिक दशकों से अंटार्कटिका में जमी बर्फ में दरारें नोटिस कर रहे हैं। 2021 से पहले विशाल आइसबर्ग के अलग होने की घटना 1971 में हुई थी। BAS ने एक प्रेस रिलीज में बताया है कि अंटार्कटिका में बर्फ में क्या बदलाव आ रहे हैं, इस पर नजर राखी जा रही है। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा समेत दुनिया भर के कई सैटेलाइट्स की मदद से इनका एनालिसिस जारी है।
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