हार्ट अटैक पर इतनी रिसर्च के बाद भी यह दुनिया भर में मौत का सबसे बड़ा कारण बना हुआ है। बाजार में मिलने वाले इंजेक्शन और दवाएं शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम तो करते हैं, लेकिन किसी मरीज को निश्चित रूप से दिल के दौरे से नहीं बचा सकते। अब इस समस्या का समाधान अमेरिका की बायोटेक कंपनी वर्व थेराप्यूटिक्स ने ढूंढ निकाला है।
कंपनी के CEO डॉ. सेकर कथिरेसन ने ब्लूमबर्ग से बातचीत में कहा कि एक इंसान के DNA में बदलाव करके शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल को जमने से रोका जा सकता है। यह हार्ट अटैक का परमानेंट सॉल्यूशन हो सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, 2019 में दिल की बीमारी से लगभग 1.8 करोड़ लोगों की मौत हुई थी, जिसमें से 85% मौतों की वजहें हार्ट अटैक और स्ट्रोक थीं।
हार्ट अटैक से जूझ चुके मरीजों पर होगी रिसर्च
वर्व थेराप्यूटिक्स के अनुसार, DNA में बदलाव करने की तकनीक सबसे पहले उन लोगों पर आजमाई जाएगी, जिन्हें हाई कोलेस्ट्रॉल के कारण दिल का दौरा पड़ चुका है। ये एक आनुवंशिक बीमारी होती है, जिसका नाम हाइपरकोलेस्ट्रॉलीमिया है। इससे दुनिया में हर साल 3.1 करोड़ लोग प्रभावित होते हैं।
अगर यह तकनीक खराब कोलेस्ट्रॉल को रोकने में कामयाब होती है, तो फिर इस रिसर्च में युवा लोगों को भी शामिल क्या जाएगा, ताकि उन्हें हार्ट अटैक से पहले ही बचा लिया जाए। हालांकि, ऐसा कब होगा कंपनी ने इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी है।
इंसान के DNA में बदलाव किए जाएंगे
डॉ. कथिरेसन हावर्ड के मशहूर जेनेटिसिस्ट और कार्डियोलॉजिस्ट हैं। उन्होंने ऐसे जेनेटिक म्यूटेशंस की खोज की है, जिनकी मदद से शरीर में कोलेस्ट्रॉल का लेवल कम किया जा सकता है। इससे हार्ट अटैक आने की संभावना अपने आप ही कम हो जाती है। अब वे अपनी रिसर्च को कोलेस्ट्रॉल बढ़ाने वाले जीन के फंक्शन को बंद करने पर फोकस कर रहे हैं।
फिलहाल वर्व थेराप्यूटिक्स ऐसी दो दवाएं बना रही है, जो इंसान के DNA के दो जीन को टारगेट बनाएंगी। जीन के नाम PCSK9 और ANGPTL3 हैं। जहां कुछ मरीजों को इनमें से एक ही दवा की जरूरत पड़ेगी, वहीं कुछ को दोनों दवाओं से ही आराम मिलेगा। कंपनी Crispr DNA एडिटिंग टूल का इस्तेमाल कर रही है। इसके जरिए वैज्ञानिक आसानी से इंसान के जीन सीक्वेंस को बदल सकते हैं।
बंदरों पर हो चुका ट्रायल
वर्व थेराप्यूटिक्स के अनुसार, इस इलाज का ट्रायल बंदरों पर किया जा चुका है। उनके DNA में बदलाव करने के 2 हफ्ते बाद कोलेस्ट्रॉल का लेवल 59% तक कम हुआ और अगले 6 महीने तक यही लेवल बरकरार रहा। कंपनी कुछ ही महीनों में इंसानों पर भी इस इलाज का ट्रायल शुरू करेगी। हालांकि, ड्रग रेगुलेटर से इसका अप्रूवल लेने में सालों लग सकते हैं।
अभी कंपनी के सामने कई चुनौतियां
हेल्थ एक्सपर्ट एलीजबेथ मैकनेली कहती हैं कि वर्व थेराप्यूटिक्स द्वारा इस्तेमाल की जा रही टेकनोलॉजी इतनी नई है कि डॉक्टर्स और पेशेंट्स इसे अपनाने से हिचक सकते हैं। लोगों के मन में ये डर बैठ सकता है कि इससे DNA में कोई गड़बड़ न हो जाए। वहीं माइकल शरमैन का कहना है कि यदि कंपनी अपने इलाज को सुरक्षित साबित कर भी देती है, तो भी शायद ये मौजूदा दवाओं के मुकाबले महंगा ही रहेगा।
एनालिस्ट्स का मानना है कि DNA बदलने वाले इस इलाज का खर्च प्रति मरीज 50,000 से 2,00,000 डॉलर तक आएगा। बता दें कि वर्व थेराप्यूटिक्स को गूगल वेंचर्स से समर्थन मिला है, जो अल्फाबेट कंपनी की पूंजी निवेश शाखा है।
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