अमेरिका समेत भारत में पुरुषों और महिलाओं की मौत की बड़ी वजह दिल की बीमारी है। हालांकि शोध बताते हैं कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं के दिल के दौरे के चेतावनी संकेतों को ज्यादा अनदेखा किया जाता है। महिलाएं मदद लेने से भी हिचकिचाती हैं क्योंकि उनमें पुरुषों के मुकाबले लक्षण बहुत हल्के होते हैं। इसलिए जब वे अस्पताल पहुंचती हैं, तो डॉक्टर उनके लक्षणों को कम आंकने या इलाज करने में देरी करते हैं।
महिलाओं में दिल की बीमारी के लक्षण कुछ अलग
दरअसल, महिला/पुरुषों में दिल की बीमारी का आम लक्षण छाती/सीने में दर्द या बेचैनी है। हालांकि, कई महिलाओं में ऐसे लक्षण दिखते हैं, जिन्हें दिल की परेशानी से जोड़ना मुश्किल होता है। जैसे सांस लेने में परेशानी, बीमार लगना, थकान, जबड़े और पीठ में दर्द।
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की रिपोर्ट बताती है कि जिन महिलाओं को छाती में दर्द नहीं होता है, उनमें दिल का दौरा घातक होता है, क्योंकि इसका मतलब है कि मरीज और डॉक्टर दोनों को समस्या पहचानने में ज्यादा समय लगता है। डॉक्टर यह कह देते हैं कि यह उनका दिमागी फितूर है।
येल-न्यू हेवन हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. एलेग्जेंड्रा लैंस्की बताते हैं ‘एक महिला जबड़े में दर्द की शिकायत लेकर कई डॉक्टरों के पास गई। सभी ने डेंटिस्ट के पास भेजा। डेंटिस्ट ने उसकी दो दाढ़ें निकाल दीं। तब भी दर्द दूर नहीं हुआ, तो वह मेरे पास आई। जांच में पता चला कि दर्द दिल से जुड़ा हुआ था। महिला की बाईपास सर्जरी की गई, तब जबड़े का दर्द दूर हुआ।’
महिलाओं को जागरूक करने के लिए चल रहा कैंपेन
महिलाओं को दिल की बीमारी के प्रति जागरूक करने के लिए अमेरिका में बाकायदा कैंपेन चल रहा है। इसमें बताया जाता है कि पसीना, चक्कर आना या असामान्य थकान हृदय रोग के लक्षण हो सकते हैं। जर्नल थेरेप्यूटिक्स एंड क्लिनिकल रिस्क मैनेजमेंट में प्रकाशित शोध बताता है कि 36% पुरुषों की तुलना में 62% महिलाओं को सीने में दर्द नहीं हुआ। कई महिलाओं ने सांस की तकलीफ के साथ गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षण जैसे मतली आना और अपच होना बताए। अक्सर लोग सीने में दर्द के बजाय सीने में दबाव या जकड़न का अनुभव करते हैं।
35-54 की महिलाओं में हाई ब्लड प्रेशर, मोटापे ने बढ़ाया खतरा
कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. जैकलीन टैमिस-हॉलैंड कहती हैं, ‘लोगों को लगता है कि दिल का दौरा पड़ने पर फिल्मों की तरह सीने में दर्द ही सबसे बड़ा लक्षण होता है, जबकि ऐसा नहीं है। पुरुषों के मुकाबले महिलाएं खुद को दिल की बीमारी के लिए संवेदनशील नहीं मानतीं। हालांकि, युवा उम्र की महिलाएं भी इसकी चपेट में आने लगी हैं। 35 से 54 साल की महिलाओं में हाई ब्लड प्रेशर और मोटापे के कारण दिल के दौरे का खतरा बढ़ा है।
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