अंटार्कटिका पर बिछी सफेद बर्फ की चादर के नीचे नीला पानी छिपा हुआ है। यह दावा स्क्रिप्स इंस्टीट्यूशन ऑफ ओशियनोग्राफी और कोलंबिया यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक हालिया रिसर्च में किया है। उन्होंने पश्चिम अंटार्कटिका में खोज के दौरान बर्फ के नीचे पानी का विशाल भंडार देखा है। वैज्ञानिकों को आशंका है कि यह पानी क्लाइमेट चेंज के बुरे असर का नतीजा हो सकता है।
पानी में डूब सकता है स्टैच्यू ऑफ यूनिटी
वैज्ञानिकों का मानना है कि यदि अंटार्कटिका की सतह से इस पानी को निकाला जाए, तो इससे 220 से 820 मीटर गहरी झील बन सकती है। इसमें भारत के गुजरात में स्थित स्टैच्यू ऑफ यूनिटी (182 मीटर) भी आसानी से डूब जाएगा। रिसर्चर्स के अनुसार, उन्हें पानी का ये सोर्स व्हिलंस आइस स्ट्रीम के आसपास मिला है, लेकिन महाद्वीप पर ऐसे और भी कई सोर्स मौजूद हो सकते हैं।
अंटार्कटिका के नीचे हो सकता है भूजल
जर्नल साइंस में प्रकाशित इस रिसर्च के मुताबिक, अंटार्कटिका में भूजल भी हो सकता है, लेकिन इस बारे में रिसर्च करना बाकी है। अंटार्कटिका में समुद्र का स्तर 57 मीटर तक बढ़ने की आशंका है। इसलिए रिसर्चर्स इस बात का पता लगाना चाहते हैं कि आखिर महाद्वीप से महासागरों तक पिघलकर आने वाली बर्फ कितनी तेजी से खत्म होगी।
बर्फ के नीचे कई झील, नदियां
पिछले कुछ सालों में वैज्ञानिकों ने अंटार्कटिका की जमीन के नीचे दबी सैंकड़ों झीलें और नदियां खोजी हैं। हालांकि ऐसा पहली बार हुआ है जो बर्फ के नीचे तरल पानी का भंडार मिला है। शोधकर्ताओं का कहना है कि व्हिलंस आइस स्ट्रीम 96.6 किलोमीटर चौड़ी है और अंटार्कटिका की सबसे बड़ी रॉस आइस शेल्फ को मजबूत करने वाली आधा दर्जन धाराओं में से एक है।
तकनीक की मदद से खोजा पानी
इस रिसर्च में शामिल वैज्ञानिकों ने 2018 में 6 हफ्तों के लिए अंटार्कटिका की बर्फ के नीचे तलछट की मैपिंग की। उन्होंने इसके लिए मैग्नेटोटेल्यूरिक इमेजिंग नाम के जियोफिजिकल इलेक्ट्रोमैग्नेटिक मेथड का इस्तेमाल किया। इस तकनीक के जरिए ही बर्फ के नीचे पानी की साफ तस्वीर नजर आई। शोधकर्ता इसकी मदद से अंटार्कटिका की सतह का 3डी नक्शा बनाएंगे।
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