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मेंटल हेल्थ मैनेजमेंट:संकट के दौर में नकारात्मकता हावी न हो इसलिए जरूरी है खुद को मजबूत बनाना, ये उपाय काम आएंगे

2 वर्ष पहले
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साल 2020 में समय ने करवट बदली और तभी से लगातार निराशाओं का दौर जारी है। निराशाएं गंभीर हैं। किसी की नौकरी चली गई, कोई खुद बीमार है तो किसी ने अपनों को खोया है। जीवन में तेजी से बदलाव लाने वाली इन गंभीर निराशाओं का सामना करने के लिए आखिर खुद को किस तरह तैयार किया जा सकता है? यहां जानिए...

नतीजों के लिए हर कोशिश की है तो चिंता क्यों करना?

अक्सर यह माना जाता है कि चिंता करके या तनाव लेकर समस्या का हल नहीं निकल सकता। लेकिन कई बार चिंता भी फायदेमंद साबित होती है। चिंता करके ही हम किसी भी बुरी खबर का सामना करने के लिए खुद को पहले से तैयार कर पाते हैं। लेकिन यदि आप नतीजों के लिए पहले ही हर संभव कोशिश कर चुके हैं तो चिंता और फिक्र करने से भी आपको कोई फायदा नहीं होगा।

जो सबसे बुरा हो सकता है, उसके बारे में विचार कर लें

निराशा का सामना करने के लिए आपको जिन चीजों की जरूरत पड़ने वाली है उन्हें इकट्‌ठा करना शुरू करें। संभावित तौर पर यह मान लें कि जो सबसे बुरा हो सकता था वही आपके साथ हुआ है। इसके बाद खुद को हर परिस्थिति का मुकाबला करने के लिए तैयार करें। नकारात्ममक नतीजों का जो भी प्रभाव आप पर पड़ सकता है उसको पहले से ही समझ लें और उसी के अनुसार व्यवहार करें।

चिंता और उम्मीद में संतुलन बैठाने का प्रयास करते रहें

भविष्य में आने वाली किसी भी तरह की बुरी खबर के लिए अपनी तैयारी रखना भी काम करता है, लेकिन यह पूरी सकारात्मकता के साथ करना चाहिए। वर्तमान पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए। इसके लिए बेहद जरूरी है समझदारी, सामाजिक सहयोग और सकारात्मक रवैया। चिंता करना स्वाभाविक है लेकिन इसके साथ उम्मीद का दामन नहीं छोड़ना चाहिए।

माहौल बदलें, अपना मन और ध्यान कहीं और लगाएं

विपरीत परिस्थितियों में खुद को व्यस्त रखा जा सकता है। सबसे अच्छा तरीका है ध्यान बांटना। समय काटने के लिए ऐसी फिल्में देखी जा सकती हैं जो अलग हों, मजेदार हों और जो आपको हंसा सकें। गहरी और लंबी सांसें लें। सांस पर फोकस करें। अकेले बैठकर मेडिटेशन भी किया जा सकता है। इसके अलावा थोड़ा पैदल चलें या दौड़ें। ऐसे काम करें जो आपके दिमाग और शरीर को ऊर्जा दें।