अब लक्षण दिखने से पहले ही एक ब्लड टेस्ट से 50 से अधिक तरह के कैंसर का पता चल सकेगा। ब्रिटेन की स्वास्थ्य एजेंसी नेशनल हेल्थ सर्विस ने सोमवार से इस टेस्ट के लिए ट्रायल की शुरुआत की। इस जांच का नाम गेलेरी टेस्ट रखा गया है। इस टेस्ट को हेल्थकेयर कंपनी ग्रेल ने विकसित किया है।
यह जांच कितनी कारगर इसे समझने के लिए इंग्लैंड के 8 क्षेत्रों में 1,40,000 लोगों पर ट्रायल शुरू किया गया है। यह अपनी तरह का पहला ऐसा ट्रायल है। यह ट्रायल नेशनल हेल्थ सर्विस कैंसर रिसर्च यूके और किंग्स कॉलेज लंदन के साथ मिलकर किया जा रहा है।
शरीर किस हिस्से में है कैंसर, पता चलेगा
ग्रेल यूरोप के प्रेसिडेंट सर हरपाल कुमार कहते हैं, गेलेरी टेस्ट कैंसर की जानकारी देने के साथ कैंसर शरीर के किस हिस्से में है, यह भी पता चलता है। यह खतरनाक कैंसर का भी पता लगाता है और इस टेस्ट की रिपोर्ट गलत आने की आशंका कम है। हम नेशनल हेल्थ सर्विस के साथ मिलकर तकनीक की मदद से कैंसर को जल्द से जल्द पता लगाने की कोशिश में जुटे हैं।
ट्रायल के दौरान मोबाइल टेस्टिंग क्लीनिक में ब्लड सैम्पल लेकर जांच की जाएगी। नया टेस्ट बहुत आसान और सिम्पल है। यह कैंसर पता लगाने की प्रक्रिया में एक बदलाव की शुरुआत है।
नेशनल हेल्थ सर्विस की चीफ एग्जीक्यूटिव अमांडा प्रिचर्ड कहती हैं, लक्षण से पहले कैंसर का पता चलने पर उसका बेहतर इलाज किया जा सकेगा। ज्यादा लोगों की जान बचाई जा सकेगी। ट्रायल में इसके सफल होने पर कैंसर का इलाज आसान हो सकेगा।
ऐसे कैंसर का पता लगाता है नया टेस्ट
नए टेस्ट की मदद से गला, पेट, फेफड़े, पेन्क्रियाज के कैंसर का पता लगाया जा सकता है। टेस्ट के लिए ब्लड सैम्पल लिया जाता है। इस ब्लड सैम्पल में मौजूद सेल-फ्री DNA के जेनेटिक कोड में होने वाले रसायनिक बदलावों का पता लगाकर कैंसर की जानकारी दी जाती है। ये रसायनिक बदलाव कैंसर के ट्यूमर से निकलकर ब्लड में मिल जाते हैं। इसी बदलाव को चेक किया जाता है।
2023 तक नतीजे आने की उम्मीद
सोमवार को शुरु हुए ट्रायल के नतीजे 2023 तक आने की उम्मीद है। अगर यह जांच ट्रायल में सफल रहती है तो नेशनल हेल्थ सर्विस 2025 में 10 लाख लोगों की यह जांच करा सकती है। नेशनल हेल्थ सर्विस ने 55 से 77 साल की उम्र वाले अलग-अलग मूल के 10 हजार लोगों को लेटर लिखकर ट्रायल में शामिल होने के लिए आग्रह किया है।
शोधकर्ताओं का कहना है, जिन मरीजों में शुरुआती स्टेज में कैंसर का पता चल जाता है वो पहली या दूसरी स्टेज में होते हैं। इस स्टेज में इलाज के कई विकल्प उपलब्ध होते हैं। चौथी स्टेज के मुकाबले इस स्टेज में मरीज के रिकवर होने की उम्मीद 5 से 10 गुना तक ज्यादा होती है।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.