बुजुर्गों की देखभाल करने के मामले में नीदरलैंड्स दुनियाभर में सबसे ज्यादा खर्च करता है। 2019 में नीदरलैंड्स ने अपनी जीडीपी का 4% और डेनमार्क ने 3.5% बुजुर्गों की देखभाल पर खर्च किया। ये खर्च 2050 तक दोगुना हो सकता है।
खर्च में कटौती के लिए नीदरलैंड्स की सरकार आर्टिफिशियल इंजेटलीजेंस (AI) मॉडल अपना रही है। नीदरलैंड्स की खेल मंत्री कोनी हेल्डर का कहना है कि बुजुर्गों को अब अपनी देखभाल के लिए खुद पर निर्भर होना पड़ेगा।
‘स्मार्ट फ्लोर’ जैसे गैजेट्स गिरने से बचाएंगे
इसके लिए उन्होंने एयरबैग लगे हुए बेल्ट और ‘स्मार्ट फ्लोर’ जैसे गैजेट्स इस्तेमाल करने का सुझाव दिया। इसके जरिए पता लग सकता है कि व्यक्ति जमीन पर गिरने वाला है। ऐसे में हिप फ्रैक्चर होने की आशंका 70% तक कम हो जाती है।
इसके अलावा डेनमार्क में हॉस्पिटल से डिस्चार्ज हुए बुजुर्गों को अपने रोजमर्रा के काम वापस शुरू करने की ट्रेनिंग देने जैसी बातें भी शामिल हैं। इसमें नर्सों के साथ वीडियो कॉल करना शामिल है। जिससे कि किसी भी इमरजेंसी में बुजुर्ग खुद ही मेडिकल परामर्श ले सकेंगे। जिससे देखभाल करने वाले कर्मियों की संख्या 40% कम हो सकती है।
बुजुर्गों के साथ-साथ केयरटेकर्स की उम्र भी बढ़ रही है
नीदरलैंड्स में 2040 तक 75 साल या इससे अधिक आयु वाले लोगों की संख्या दोगुनी यानी कि 25 लाख हो जाएगी। हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के डेविड ग्रेबोव्स्की का कहना है कि केवल बुजुर्गों की संख्या में इजाफा नहीं हुआ है बल्कि उनका ध्यान रखने वाले लोग अब खुद भी बूढ़े हो रहे हैं।
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.