ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन कोरोनावायरस से दोहरी सुरक्षा दे सकती है। शोधकर्ताओं का दावा है, वैक्सीन के पहले ट्रायल में जो नतीजे सामने आए हैं, वे इसकी पुष्टि करते हैं। डेली टेलीग्राफ के मुताबिक, पहले चरण के ट्रायल में वैक्सीन देने के बाद वॉलंटियर्स में इम्यून रिस्पॉन्स काफी बेहतर रहा। इनके ब्लड सैम्पल को जांचा गया। रिपोर्ट में सामने आया कि इनमें कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी भी बनीं और किलर टी-सेल्स भी विकसित हुईं।
अप्रैल में हुआ था पहले चरण का ट्रायल
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने पहले चरण का ट्रायल अप्रैल में किया था। स्वास्थ्य सचिव मैट हेनकॉक के मुताबिक, वैक्सीन तैयार करने के लिए टीम लगातार जुटी है, यह इस साल कभी भी उपलब्ध हो सकती है। ऐसा न होने पर 2021 में इसे आने की पूरी उम्मीद है।
वैक्सीन ट्रायल का अप्रूवल देने वाले बर्कशायर रिसर्च इथिक्स कमेटी के चेयरमैन डेविड कारपेंटर का कहना है कि हम वैज्ञानिकों के साथ लगातार काम कर रहे हैं और हर जरूरी बदलाव कर रहे हैं। वैक्सीन तैयार करने में हम सही रास्ते पर हैं।
सितंबर तक आ सकती है वैक्सीन
कारपेंटर के मुताबिक, शोधकर्ता हॉस्पिटल, हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स को वैक्सीन देने के लिए टार्गेट कर सकते हैं, क्योंकि इनमें संक्रमण फैलने का खतरा ज्यादा है। वैक्सीन कब तक उपलब्ध हो जाएगी, इसकी तारीख नहीं बताई जा सकती। यह सितंबर पर आ सकती है। इसी टारगेट को ध्यान में रखते हुए लगातार काम किया जा रहा है।
इम्युनिटी पर संशय
रिपोर्ट के मुताबिक, एक सूत्र का कहना है कि अब तक साबित नहीं हो पाया है कि ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन ChAdOx1 nCoV-19 लंबे समय तक इम्युनिटी देगी। हालांकि, यह एंटीबॉडी और टी-सेल्स दोनों की संख्या शरीर में बढ़ाती है। इन दो चीजों का कॉम्बिनेशन इंसान को सुरक्षित रखने के लिए जरूरी है। अब तक सब कुछ अच्छा रहा है, लेकिन आगे का रास्ता काफी अहम और लंबा है।
2020 के अंत तक 40 करोड़ डोज मुफ्त पहुंचाने का लक्ष्य
फार्मा कम्पनी एस्ट्राजेनेका ने वैक्सीन के 40 करोड़ डोज तैयार करने के लिए यूरोप की इंक्लूसिव वैक्सीन्स एलायंस से हाथ मिलाया है। 2020 के अंत तक वैक्सीन तैयार कराने का लक्ष्य तय किया गया है। वैक्सीन के 40 करोड़ डोज निशुल्क उपलबध कराए जाएंगे।
कोरोना सर्वाइवर के मुकाबले ज्यादा एंटीबॉडी बनने का दावा
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ वैक्सीन तैयार करने वाली फार्मा कम्पनी एस्ट्राजेनेका ने न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में दावा किया है कि ट्रायल के दौरान जिन्हें वैक्सीन दी गई उनमें कोरोना सर्वाइवर के मुकाबले ज्यादा एंटीबॉडी बनीं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इन्फेक्शस डिसीज के डायरेक्टर डॉ. एंथनी फॉसी का कहना है कि रिजल्ट अच्छे हैं, उम्मीद है कि वैक्सीन सफल रहेगा।
ट्रायल में बड़े साइड इफेक्ट नहीं दिखे
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के मुताबिक, ट्रायल के दौरान गंभीर साइड इफेक्ट नहीं देखे गए। सिर्फ थकान, सिरदर्द, ठंड लगना और शरीर में दर्द जैसी छोटी दिक्कतें ही हुईं। जहां इंजेक्शन लगा, वहां दर्द हुआ, लेकिन ऐसा सिर्फ ओवरडोज के मामलों में ही देखा गया।
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