रात में बच्चे बिस्तर पर पेशाब क्यों करते हैं, वैज्ञानिकों ने इसका एक कारण बताया है। उनकी रिसर्च कहती है, कुछ ऐसे जीन्स का पता लगाया है जो बिस्तर पर यूरिन होने का खतरा बढ़ाते हैं। इंसान के किस चुनिंदा जीन के कारण ऐसा हो रहा है, यह अब तक नहीं पता लगाया जा सका है।
रात में बिस्तर पर यूरिन करने को वैज्ञानिक भाषा में नॉक्टरनल न्यूरेसिस कहते हैं। आम भाषा में इसे नाइटटाइम बेडवेटिंग के नाम से भी जाना जाता है।
बच्चे ही नहीं बड़े भी इससे जूझ रहे
बेडवेटिंग पर रिसर्च करने वाली डेनमार्क यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का कहना है, यह समस्या सिर्फ बच्चों तक ही सीमित नहीं है, किशोर और वयस्क भी इससे जूझ रहे हैं। रिसर्चर जेन क्रिस्टेनसेन कहते हैं, 7 साल की उम्र वाले 16 फीसदी बच्चे बेड वेटिंग से परेशान हैं। वहीं, 2 फीसदी वयस्कों को भी यह समस्या है।
सिर्फ ब्रिटेन में ही 5 लाख बच्चों और टीनएजर्स में बेडवेटिंग के मामले हैं। वैज्ञानिकों का मानना है, रिसर्च के जरिए भविष्य में इलाज का नया तरीका तैयार होने की उम्मीद है।
बेडवेटिंग से परेशान 3900 बच्चों और युवाओं पर हुई रिसर्च
इस समस्या को समझने के लिए डेनमार्क के 3900 बच्चों और युवाओं के जीन की पड़ताल की गई। ये ऐसे बच्चे थे जो रात में बिस्तर पर यूरिन होने की समस्या से जूझ रहे थे और दवाएं ले रहे थे। रिसर्च में सामने आया कि खास तरह के जीन बेडवेटिंग का खतरा बढ़ाते हैं।
क्यों होती है यह समस्या
अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के मुताबिक, बच्चों में इसकी वजह किडनी में इंफेक्शन या यूरोलॉजिकल प्रॉब्लम भी हो सकती है। इसके ज्यादातर मामले बच्चे के शरीर के विकास के समय से शुरू होते हैं। वहीं, 90 फीसदी बच्चे 5 साल की उम्र से यूरिन को कंट्रोल करना सीख जाते हैं।
बच्चों के दिमाग पर बुरा असर पड़ सकता है
रिसर्चर जेन कहते हैं, यह एक गंभीर समस्या जिसका बच्चे पर बुरा असर पड़ सकता है। जैसे, बच्चा डरता है कि कोई उसे चिढ़ाए नहीं। अगर बच्चे के साथ कई सालों से ऐसा हो रहा है तो डॉक्टर्स से सलाह लें।
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