ब्रिटेन के ब्राइटन शहर से एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। यहां 2 साल के बच्चे में प्यूबर्टी यानी किशोरावस्था के लक्षण देखने को मिले हैं। उसका वजन, लंबाई और बाल तेजी से बढ़ रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि बच्चे में ये बदलाव अपने पिता के आर्टिफिशियल टेस्टोस्टेरोन ट्रीटमेंट के संपर्क में आने से हुए हैं। एक्सपर्ट्स की मानें तो बच्चों में ऐसी समस्या काफी दुर्लभ है।
पहले जान लें, क्या है प्यूबर्टी?
प्यूबर्टी या किशोरावस्था जिंदगी का वो फेज है जिसमें लड़का या लड़की यौन रूप से परिपक्व हो जाते हैं। एक लड़का पुरुष और एक लड़की महिला में परिवर्तित हो जाती है। आमतौर पर लड़कियों में प्यूबर्टी 10 से 14 साल और लड़कों में प्यूबर्टी 12 से 14 साल के बीच आती है। इस दौरान उनके शरीर में बहुत से बदलाव आते हैं, जैसे- लड़कियों को माहवारी आना और लड़कों की आवाज भारी हो जाना।
बच्चे के शरीर में क्या बदलाव आए?
इनसाइडर से बातचीत में 2 साल के बरनबी ब्राउनसेल की मां एरिका ब्राउनसेल ने बताया कि अचानक ही बच्चे के प्राइवेट पार्ट्स में बाल बढ़ने लगे और उसके लिंग का आकार भी असामान्य रूप से बढ़ गया। सिर्फ एक साल की उम्र में ही बच्चे का वजन 12 किलो हो गया। 12 से 18 महीने की उम्र के बीच उसका वजन 0.9 किलो तक बढ़ा। ये शरीर का फैट नहीं, बल्कि मांसपेशियां थीं। बच्चे की बोन डेंसिटी भी एक 4.5 साल के बच्चे जितनी हो गई।
बच्चे में सेक्स हॉर्मोन का लेवल ज्यादा मिला
एक्सपर्ट्स की मानें तो बच्चे के शरीर में टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन भारी मात्रा में मिला। यही वजह है कि उसमें इतनी कम उम्र में ही प्यूबर्टी के लक्षण आने लगे। मां का कहना है कि उनका बेटा एक 'लिटिल मैन' लगने लगा है। डॉक्टर्स के लिए चौंकाने वाली बात यह थी कि बच्चा पूरी तरह स्वस्थ था और उसे कोई जन्मजात बीमारी भी नहीं थी। यह देख उन्होंने अनुमान लगाया कि शायद बच्चे की यह हालत उसके पिता पीटर ब्राउनसेल के आर्टिफिशियल टेस्टोस्टेरोन ट्रीटमेंट से हुई है।
टेस्टोस्टेरोन जेल से जल्द आई प्यूबर्टी
दरअसल, बरनबी के पिता बचपन से ही एक गंभीर टेस्टिकुलर बीमारी से पीड़ित हैं, जिसके चलते उनके शरीर में टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन की कमी है। इसे पूरा करने के लिए वो रोज अपनी त्वचा पर एक टेस्टोस्टेरोन जेल लगाते हैं। उनके जाने बिना ही यह टेस्टोस्टेरोन जेल उनके बेटे में ट्रांसफर होता रहा, जिस कारण उसमें समय से पहले ही प्यूबर्टी आ गई।
इससे पहले ऐसा ही एक मामला साल 2008 में अमेरिका के अलाबामा में देखा गया था। तब भी अपने पिता के आर्टिफिशियल टेस्टोस्टेरोन ट्रीटमेंट की वजह से एक 2 साल के बच्चे के प्राइवेट पार्ट्स में बाल उग आए थे। एक्सपर्ट्स का मानना है कि पूरे कपड़े पहनने पर भी आर्टिफिशियल टेस्टोस्टेरोन 40-48% तक खून में ट्रांसफर हो सकता है। इस तरह के ट्रीटमेंट और दवाएं बच्चों के लिए बड़ा खतरा होती हैं। इन्हें सोच समझकर ही इस्तेमाल करना चाहिए।
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