आप कितने क्रिएटिव हैं, ये जानने के लिए वैज्ञानिकों ने नया तरीका खोजा है। 4 मिनट में आप खुद भी अपना टेस्ट कर सकते हैं। शर्त यह है कि आपको यह न पता हो कि टेस्ट कैसे काम करता है। वैज्ञानिकों ने इसे डाइवर्जेंट एसोसिएशन टास्क यानी DAT नाम दिया है। साइंस जर्नल में छपी रिसर्च से इस तरीके का पता चला है।
मनोवैज्ञानिकों ने 8,914 प्रतिभागियों पर स्टडी के बाद यह तरीका खोजा है। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के मनोवैज्ञानिक जे ओल्सन कहते हैं- DAT टेस्ट अपने आप में पूर्ण नहीं है, लेकिन किसी की क्रिएटिविटी का स्तर जानने के लिए अब तक अपनाए जा रहे दो प्रमुख तरीकों से बहुत बेहतर है।
किसी की क्रिएटिविटी का स्तर नापने के लिए मनोवैज्ञानिकों के पास 3 मुख्य तरीके हैं...
असमानता कितनी जरूरी
DAT में व्यक्ति को 10 संज्ञावाची शब्द लिखने को कहा जाता है। जो एक-दूसरे से जितने अलग व असाधारण शब्द लिखता है, वह उतना ही क्रिएटिव होता है, क्योंकि वह उतने नए तरीकों से सोच सकता है। उदाहरण के तौर पर कुत्ता और किताब लिखने वाले कुत्ता-बिल्ली लिखने वालों से ज्यादा क्रिएटिव होंगे, क्योंकि बिल्ली और कुत्ता मिलते-जुलते शब्द हैं, लेकिन कुत्ता व किताब का मेल नहीं है। 10 शब्द एक-दूसरे से जितने गहरे अर्थ वाले व असामान्य होंगे, व्यक्ति उतना ही क्रिएटिव होगा।
प्रयोगधर्मिता को आंकें
क्रिएटिविटी का स्तर नापने के लिए अल्टरनेटिव यूजेज टास्क प्रणाली में कोई वस्तु दी जाती है। यह कुछ भी हो सकती है, ईंट, झाड़ू, रिक्शा, पानी, लोटा या और कुछ। उसके बाद आपको इसके अधिकतम इस्तेमाल बताने होते हैं। आप उस वस्तु के जितने ज्यादा इस्तेमाल सोच सकते हैं, आप उतने ज्यादा क्रिएटिव माने जाते हैं। वस्तु के इस्तेमाल के कई आइडिया ऊट-पटांग भी हो सकते हैं, लेकिन वे आपकी क्रिएटिविटी बताते हैं।
कल्पनाशीलता का टास्क
क्रिएटिविटी स्तर नापने का तीसरा तरीका ब्रिज द एसोसिएटिव गैप टास्क है। इसमें गैप भरना होता है। भारतीय सेना के SSB टेस्ट के दौरान सबसे पहले क्रिएटिविटी टेस्ट इसी प्रणाली से किया जाता है। इसमें तस्वीरें दिखाई जाती हैं। उन तस्वीरों को जोड़कर एक कहानी तैयार करनी होती है। इस कहानी से आपकी रचनाशीलता और सोचने की शक्ति का पता चलता है। इस प्रणाली के तहत दो शब्दों को तीसरे शब्द से जोड़ने की कोशिश की जाती है। इन दो शब्दों को किस तरह से जोड़ा गया, इससे क्रिएटिविटी का पता चलता है।
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