स्पेन से कैंसर का एक चौंकाने वाला सामने आया है। यहां 36 साल की एक महिला 12 अलग-अलग प्रकार के ट्यूमर से जूझ चुकी है। इनमें से 5 ट्यूमर ने कैंसर का रूप भी लिया, वहीं 7 खतरनाक नहीं निकले। हालांकि एक ही इंसान को इतनी कम उम्र में यह बीमारी बार-बार क्यों हो रही है, नई रिसर्च में वैज्ञानिकों ने इसकी तह तक जाने की कोशिश की है।
पहली बार 2 साल में हुआ कैंसर
साइंस एडवांसेज जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, महिला को पहली बार 2 साल की उम्र में कैंसर हुआ था। तब इलाज रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी से किया गया था। इसके बाद आने वाले सालों में उसे हड्डी, सर्विक्स, ब्रेस्ट, स्किन और थायराइड ग्लैंड के कैंसर भी हुए। इनमें से कुछ को सर्जरी की मदद से ठीक किया गया। स्पेनिश नेशनल कैंसर रिसर्च सेंटर के मार्कोस मालुंब्रेस ने बताया कि महिला में ये कैंसर उम्मीद से पहले खत्म होते गए।
इतने कैंसर होने का क्या राज है?
एक इंसान के DNA में ज्यादातर जीन्स की दो कॉपीज होती हैं, यानी हर क्रोमोसोम में एक। इससे हमारा शरीर सुनिश्चित करता है कि अगर जीन की एक कॉपी चली भी जाती है, तो भी उसकी एक कॉपी सुरक्षित रहेगी और शरीर ठीक से काम करेगा।
एक्सपर्ट्स के अनुसार, इस मामले में एक जीन की दोनों कॉपीज में ही MAD1L1 नाम का म्यूटेशन था। यह जीन क्रोमोसोम्स की कॉपीज को बांटने के लिए जिम्मेदार होता है, ताकि शरीर में सेल्स (कोशिकाएं) बराबरी से बंट जाएं। इस मरीज के केस में बहुत सारे सेल्स में क्रोमोसोम की सही मात्रा नहीं थी, जिससे ट्यूमर बनने लगे।
महिला का जिंदा रहना चमत्कार
एक स्टडी में वैज्ञानिकों ने पाया कि MAD1L1 वाले चूहे गर्भ में ही मर जाते हैं। इस म्यूटेशन को सर्वाइव करना बेहद मुश्किल है। हालांकि, इस महिला ने यह कर दिखाया। मालुंब्रेस का कहना है कि महिला ने भ्रूण के रूप में इस म्यूटेशन को कैसे सर्वाइव किया, यह उनकी समझ से बाहर है।
हो सकता है कि महिला के इम्यून सिस्टम ने शरीर के अजीबोगरीब बदलावों के खिलाफ डिफेंस तैयार कर लिया हो, जिससे ट्यूमर गायब होते गए। चूंकि उसने बचपन से ही इतने ट्यूमर झेले, इसलिए अब उसकी लाइफस्टाइल एकदम नॉर्मल लोगों जैसी ही है। वह सिर्फ नियमित रूप से हेल्थ चेकअप कराती है।
जेनेटिक टेस्टिंग करना जरूरी
मालुंब्रेस कहते हैं कि मरीज की बहन, आंटी और दादी का अबॉरशन हुआ है। इसलिए उनके DNA में भी म्यूटेशन की एक कॉपी होगी। इस तरह से MAD1L1 के नई जनरेशन में ट्रांसफर होने की आशंका है। इसी वजह से कैंसर के लिए जेनेटिक टेस्टिंग बेहद जरूरी है, ताकि सही समय पर इससे बचा जा सके या इसका इलाज हो सके।
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